यह ख़बर 15 अगस्त, 2014 को प्रकाशित हुई थी

लालकिले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बदले अंदाज

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को संबोधित करने के लिए आज एक अलग ही अंदाज़ में लाल किले पर पहुंचे। उन्होंने वह नेहरू जैकेट नहीं पहनी हुई थी, जो अमूमन उनके कुर्ते पर नज़र आती है। उनके सिर पर चटख रंगों का शानदार जोधपुरी बंधेज साफा नज़र आया।

परिधान के मामले में बेहद सतर्क मोदी का ये अंदाज़ नया नहीं है। पिछले साल उन्होंने पंद्रह अगस्त को भुज के लालन में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लाल किले के भाषण के तुरंत बाद अपना भाषण दिया था। तब उन्होंने किसानी पगड़ी पहनी हुई थी।
 
लोकसभा चुनाव के दौरान भी अलग−अलग जगहों पर सभाओं में मोदी अलग−अलग तरह के साफे, दस्तार और फेटा पहने नज़र आए थे। इसे लेकर एक बार विवाद भी हो चुका है। साल 2011 में सद्भावना मिशन के दौरान उन्होंने एक मौलवी की दी गई टोपी पहने से इनकार कर दिया था।

बीजेपी नेताओं का कहना है कि आज का दिन मोदी के लिए बेहद महत्वपूर्ण था और इसीलिए उन्होंने साफा पहनने का फैसला किया।

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राजस्थान के शाही घरानों में साफा शादी−ब्याह और राजतिलक जैसे बड़े मौकों पर पहना जाता है। हालांकि साफा सिर्फ राजघरानों तक ही सीमित नहीं है। राजस्थान मध्य प्रदेश और गुजरात के ग्रामीण इलाकों में किसान भी साफा पहनते हैं। मोदी ने जिस जोधपुरी साफे को पहना था, वह शौर्य का प्रतीक माना जाता है।