नरेंद्र मोदी के समर्थन पर फिर उठे सवाल, विरोध में हैं ज्वेलर्स

नरेंद्र मोदी के समर्थन पर फिर उठे सवाल, विरोध में हैं ज्वेलर्स

ये बात हमेशा दोहराई जाती है कि नरेंद्र मोदी का एक बड़ा समर्थक वर्ग भारत का मध्य वर्ग था, जिसने नरेंद्र मोदी को बड़ी जीत दिलायी। इसमें तमाम तरह के मध्य स्तरीय व्यापारी वर्ग शामिल हैं। नरेंद्र मोदी के समर्थन पर फिर सवाल उठ गया है और इस बार विरोध में हैं ज्वेलर्स।

उनका विरोध ज्वेलरी पर 1% ज्यादा एक्साइज़ टैक्स लगाने को लेकर है। ऐसा माना जाता है कि सोने की खपत के लिहाज से भारत चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है। ये ज्वेलरी उद्योग तकरीबन 30 हजार करोड़ का सालाना टैक्स देता है। सरकार इसे बढ़ाना चाहती है। दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस की सरकार दो बार इसकी कोशिश कर चुकी है। एक बार 2005 में और दूसरी बार 2012 में। लेकिन दोनों ही बार सरकार को इसे वापस लेना पड़ा था जबकि मौजूदा वित्तमंत्री अरुण जेटली ने फिलहाल इसके रोलबैक होने से इंकार कर दिया है।

एक आकलन के हिसाब से 50-60% सोने की खपत शादियों में बनने वाले गहनों के तौर पर होती है। हमारे देश की परंपरा और संस्कार दोनों में शादियों के लिए गहने बनाए जाते हैं। इसलिए इन ज्वेलर्स का मानना है कि देश के मध्यवर्ग पर भी चोट हो रही है। रोजगार के हिसाब से भी तकरीबन 1 करोड़ लोग सीधे तौर पर जुड़े हैं और छह करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित होते हैं। इसलिए 358 संगठनों के 3 लाख से ज्यादा गहने बनाने वाले सरकार के विरोध में हड़ताल पर हैं और धीरे-धीरे ये बजट के बाद के विरोध का बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है।

(अभिज्ञान प्रकाश एनडीटीवी इंडिया में सीनियर एक्जीक्यूटिव एडिटर हैं)

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इसआलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवासच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएंज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवातथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनकेलिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।