आतंकवाद ख़तरनाक है, लेकिन राज्य का आतंक उससे ज़्यादा ख़तरनाक है, क्योंकि इसका सीधा असर नागरिकों के जीने की स्वतंत्रता पर पड़ता है. सरकार जब तय कर लेती है कि वह किसी समूह या समुदाय को निशाना बनाएगी, जब वह कानूनी तौर-तरीक़ों की परवाह नहीं करती तो दरअसल वह सबसे पहले देश के साथ अन्याय कर रही होती है, अपने नागरिकों पर अत्याचार कर रही होती है.