सबसे गरीब राज्य बढ़ रहे हैं खाद्य सुरक्षा की ओर, लेकिन बिहार और झारखंड पिछड़े

सबसे गरीब राज्य बढ़ रहे हैं खाद्य सुरक्षा की ओर, लेकिन बिहार और झारखंड पिछड़े

प्रतीकात्मक चित्र

पूर्वी भारत दुनिया की कुपोषण की राजधानी है। पहली बार, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून से यह संभव है कि कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए, लेकिन अभी भी कई लोग इस कानून के तहत अपना अधिकार पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

ज़मीनी स्थिति जानने के लिए जून, 2016 में छात्रों ने भारत के छह सबसे गरीब राज्यों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून पर एक सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण में पाया गया कि इन छह राज्यों में से चार राज्य (छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल) सबके लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सराहनीय प्रयास कर रहे हैं, जन वितरण प्रणाली काफी ठीक से काम कर रही है और अधिकतर लोग इसमें सम्मलित हैं। लेकिन बिहार और झारखंड की जन वितरण प्रणाली में अभी भी ज़रूरी सुधार पूरे नहीं हुए हैं।

यह सर्वेक्षण 1 से 10 जून, 2016 के बीच छात्रों द्वारा किया गया। हर राज्य में छात्रों ने लॉटरी द्वारा चुने गए जिलों के छह गांवों में घर-घर जाकर लोगों से उनके राशन कार्ड, जन वितरण प्रणाली की खरीद और अन्य संबंधित मुद्दों पर जानकारी ली। कुल 3,600 परिवारों का सर्वेक्षण हुआ – अन्य जानकारी संलग्न नोट में दी गई है.

जैसे कि अपेक्षा थी कि खाद्य सुरक्षा के मामले में छत्तीसगढ़ सबसे आगे निकला। छत्तीसगढ़ ने दिसंबर 2012 में अपना खाद्य सुरक्षा कानून पारित किया था। इस राज्य में एक बेहतर और लगभग सर्वव्यापक जन वितरण प्रणाली है, जिसमें प्रति व्यक्ति को मासिक 7 किलो अनाज (जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के 5 किलो प्रति व्यक्ति के नियम से अधिक है) देने के प्रावधान है। जिन परिवारों का सर्वेक्षण हुआ था, उनमें से अधिकतर को अपना पूरा राशन मिल रहा था।

छतीसगढ़ की जन वितरण प्रणाली में हुए सुधारों से सीखते हुए ओडिशा और हाल में मध्य प्रदेश ने भी अपनी जन वितरण प्रणाली को सुधारा है। यह सर्वेक्षण पहले भी साबित की गई इस बात की पुष्टि करता है कि पिछले कुछ सालों में इन दोनों राज्यों की जन वितरण प्रणाली की पहुंच बहुत बढ़ी है और असर में भी इजाफा हुआ है।

पश्चिम बंगाल की जन वितरण प्रणाली में भी अब बहुत सुधार आया है। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार ने खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने के लिए बहुत मेहनत की और ग्रामीण क्षेत्रों में जन वितरण प्रणाली को सर्वव्यापी कर दिया। सर्वेक्षण में पाया गया कि पश्चिम बंगाल में जन वितरण प्रणाली में हुए सुधारों का सकारात्मक प्रभाव हुआ है। वहां अधिकतर परिवारों के पास राशन कार्ड है, जन वितरण प्रणाली का डीलर नियमित है और राशन की चोरी काफी कम हो गई है।

वहीं बिहार और झारखंड की जन वितरण प्रणाली में अभी भी बहुत सुधार की आवश्यकता है। कई गरीब परिवारों के पास अभी तक राशन कार्ड नहीं है और अगर उनके पास कार्ड है भी, तो उसमें परिवार के कुछ लोगों के नाम नहीं हैं। राशन के वितरण में कई अनियमितताएं हैं और राशन की चोरी का स्तर भी काफ़ी अधिक है, विशेष रूप से बिहार में। इन दोनों राज्यों की जन वितरण प्रणाली में सुधार की गति को तेज़ करने की सख्त आवश्यकता है। बिहार और झारखंड की जन वितरण प्रणाली में भी बाकी राज्यों की तरह सुधार की काफी गुंजाइश है।

सब राज्यों में अभी भी काफ़ी काम करने की आवश्यकता है। राशन कार्ड में परिवार के सदस्यों के छूटे नाम एक गंभीर समस्या है। ओडिशा में अन्त्योदय कार्ड की संख्या में भारी कटौती हुई है, जिससे सबसे गरीब परिवारों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में जन वितरण प्रणाली के अनाज की खराब गुणवत्ता की कई शिकायतें हैं। जन वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभी और लंबा संघर्ष करना होगा।

(ज्यां द्रेज विकासपरक अर्थशास्त्री और रांची विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग में विजिटिंग प्रोफेसर हैं)

(रीतिका खेड़ा विकासपरक अर्थशास्त्री हैं और आईआईटी दिल्ली में पढ़ाती हैं)


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