प्राइम टाइम इंट्रो : बीजेपी के बुज़ुर्गों की नाराज़गी

प्राइम टाइम इंट्रो : बीजेपी के बुज़ुर्गों की नाराज़गी

नई दिल्‍ली:

बिहार में हार क्या हुई बीजेपी में हार को लेकर एक दूसरे को हराने वाले सामने आ गए हैं। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, शांता कुमार और यशवंत सिन्हा ने साझा बयान जारी किया है। इस बयान पर हस्ताक्षर यशवंत सिन्हा के हैं।

अंग्रेजी में जारी इस बयान में लिखा गया है, 'बिहार चुनाव के नतीजे से पता चलता है कि दिल्ली की हार से कोई सबक नहीं सीखा गया है। यह कहना कि बिहार की हार के लिए सभी ज़िम्मेदार हैं, इसका मतलब है कि कोई जिम्मेदार नहीं हैं। पार्टी के जीतने पर जो लोग श्रेय ले रहे होते वहीं अब हारने के बाद पल्ला झाड़ रहे हैं। पिछले एक साल से जिस तरह से पार्टी को चलाया जा रहा है वो इस हार का मुख्य कारण है। हार के कारणों की गहन समीक्षा होनी चाहिए। इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए कि कैसे कुछ लोगों के सामने सबको झुकने के लिए कहा जा रहा है। सामूहिक नेतृत्व की पंरपरा को बर्बाद किया जा रहा है। हार के कारणों की समीक्षा वो न करें जो चुनाव के प्रबंधन से जुड़े थे और बिहार चुनाव के लिए ज़िम्मेदार थे।'

सिर्फ हार के कारणों पर हमला नहीं है। पार्टी में सामूहिक नेतृत्व की परंपरा को बर्बाद करने का सवाल उठाया गया है। यह कहा गया है कि कुछ लोगों के आगे सबको बंदगी करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। काउ टाउ जापानी शब्द है। तो ये है मार्गदर्शक मंडल की समीझा और सीधा सीधा हमला। सोमवार को ही बीजेपी संसदीय दल की बैठक हुई थी जिसमें किसी को हार के कारणों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया गया था।

संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रेस से बात करते हुए मोहन भागवत के आरक्षण वाले बयान को हार का कारण मानने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी की जीत या हार सामूहिक होती है। यह चुनाव केंद्र सरकार पर जनादेश नहीं था। जेटली ने यह भी कहा कि बगावती सुर उठाने वाले नेताओं पर बैठक में कोई चर्चा नहीं हुई। जेटली ने कहा कि चुनाव में भाजपा के सहयोगी टोटल वोट ट्रांसफर नहीं करा पाए। बिहार चुनाव में महागठबंन का भी वोट कम हुआ। हमारा भी कम हुआ।

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अरुण शौरी, शत्रुध्न सिन्हा और सांसद आर.के. सिंह लगातार बोल रहे हैं। इन तीनों ने अपने अपने स्तर पर बोलना शुरू किया। आज पार्टी सांसद भोला सिंह ने जो कहा वो आडवाणी यशवंत सिन्हा के बयानों से मिलता जुलता है। भोला सिंह ने तो चुनावी रैलियों में प्रधानमंत्री की भाषा पर भी सवाल उठा दिया है। बेगुसराय के सांसद ने कहा कि वे लालू यादव के झांसे में फंस गए और अपना स्तर गिरा लिया। भोला सिंह ने कहा कि लोग मोदी को सुनने गए कि प्रधानमंत्री बोल रहे हैं लेकिन उन्हें लगा कि ये तो लालू यादव बोल रहे हैं। भोला सिंह ने प्रधानमंत्री पर सीधा हमला किया है। नाम लेकर किया है। भोला सिंह ने साप्रदायिक मुद्दों को उठाने के लिए भी अमित शाह और प्रधानमंत्री की आलोचना की और कहा कि इसके कारण हम विकास के मुद्दे से भटक गए। उन्होंने पाकिस्तान भेजने वाले बयानों के कारण गिरिराज सिंह की भी आलोचना की और कहा कि ऐसे लोग कैसे मंत्री बन जाते हैं। भोला सिंह ने कहा कि वे कई बार चुनाव जीत चुके हैं मगर किसी ने उनसे पूछा तक नहीं। बाहर से जो प्रभारी भेजे गए थे उन्होंने उनसे बात तक नहीं की। एक और सांसद हुकूम देव नारायण यादव ने भी आरक्षण के सवाल को हार का कारण बताया था।