दिल्ली में राज किसका होना चाहिए, उपराज्यपाल का या मुख्यमंत्री का?

नई दिल्‍ली:

इम्तहानों में अब यह सवाल आना चाहिए कि दिल्ली में सरकार कौन है इसकी उदाहरण सहित व्याख्या करें। शर्त यह होनी चाहिए कि इसका जवाब विद्यार्थी लिखें न कि उप राज्यपाल या मुख्यमंत्री। इस स्थिति में एक सवाल यह भी खड़ा होना चाहिए कि फिर जनता कौन है और क्यों है। मगर यह आईआईटी के लेवल वाला सवाल हो जाएगा। बीए पासकोर्स के स्तर का सवाल यह है कि दिल्ली में सरकार कौन है।

सोमवार यानी 20 जुलाई को किसे अंदाज़ा रहा होगा कि जिस आत्मविश्वास से 31 साल की स्वाति मालिवाल महिला आयोग के अध्यक्ष का काम संभाल रही हैं उन्हें अगले ही दिन इस दफ्तर में आने से मना कर दिया जाएगा। 17 जुलाई शुक्रवार को नोटिफिकेशन जारी हुआ और 20 जुलाई को स्वाति के साथ तीन अन्य सदस्यों ने कार्यभार संभाला। 21 की शाम उप राज्यपाल का आदेश आता है कि सभी की नियुक्ति रद्द की जाती है। 23 जुलाई को आप इन चारों सदस्यों को आईएसबीटी के पास नवीन जयहिंद के घर इस हालत में देख सकते हैं।

स्वाति ने बताया कि उनके दफ्तर जाने पर रोक लग गई है और नेम प्लेट भी हटा दिया गया है। उप राज्यपाल के आदेश में लिखा है कि इनकी नियुक्ति से पहले उनसे मंज़ूरी नहीं ली गई थी। हमेशा महिला आयोग के पुनर्गठन से पहले उप राज्यपाल की सहमति ली गई है। यहां तक कि जनवरी 2014 में आम आदमी पार्टी की पहली सरकार ने महिला आयोग की अध्यक्ष को हटाने का प्रस्ताव उप राज्यपाल के पास ही विचार के लिए भेजा था। हमने 17 जुलाई के नोटिफिकेशन की कॉपी देखी तो आखिर में यही लिखा हुआ है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उप राज्यपाल के नाम और आदेश से जारी किया जाता है। इस पर महिला एवं बाल कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक सुशील सिंह के हस्ताक्षर हैं।

केंद्र से लेकर राज्यों तक में कोई भी नोटिफिकेशन राष्ट्रपति, राज्यपाल या उप राज्यपाल के नाम से ही जारी होता है। यहां सवाल है कि क्या केंद्र में प्रधानमंत्री कोई नोटिफिकेशन जारी करने से पहले राष्ट्रपति से पूछते हैं या फैसला कर उनके पास भेजते हैं। इन सब तकनीकी बातों को समझना ज़रूरी है। नियम क्या है। क्या नोटिफिकेशन जारी करने से पहले उप राज्यपाल से पूछना होगा या नोटिफिकेशन सरकार नहीं जारी कर सकती, उप राज्यपाल ही कर सकते हैं। हमने दिल्ली महिला आयोग की वेबसाइट चेक की कि वहां क्या लिखा है।

- महिला आयोग का गठन दिल्ली सरकार नोटिफिकेशन के ज़रिये करेगी
- अध्यक्षा का नाम सरकार तय करेगी
- सरकार पांच अन्य सदस्यों के नाम तय करेगी
- सदस्य सचिव भी सरकार नियुक्त करेगी

अब आते हैं उप राज्यपाल के सचिव एस.सी.एल. दास के पत्र के उस हिस्से पर जिससे गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को भेजे अपने पत्र में 25 जुलाई 2002 के गृहमंत्रालय के आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के मामले में सरकार का मतलब उप राज्यपाल है जिसे संविधान की धारा 239 के तहत राष्ट्रपति नियुक्त करते हैं। इसलिए संवैधानिक रूप से मान्य और सरकार की निरंतर परिभाषा के अनुसार उप राज्यपाल ही सरकार हैं।

जवाब में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उप राज्यपाल को एक चिट्ठी लिखी है। राजनीतिक टोन में लिखी गई इस चिट्टी में मुख्यमंत्री ने कहा है कि
- मुझे पता चला है कि प्रधानमंत्री जी के इशारे पर उप राज्यपाल ने महिला आयोग को भी पूरी तरह से निष्क्रिय कर दिया है। इसके पहले प्रधानमंत्री जी ने दिल्ली की एसीबी को निष्क्रिय कर दिया था। मुझे बताया गया कि महिला आयोग के सभी सदस्यों की फाइलें छीन ली गईं हैं और नेम प्लेट हटा दी गईं हैं। यह तो सरासर गलत है।

मुख्यमंत्री ने लिखा है कि दिल्ली सरकार को दिल्ली महिला आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करने का पूरा अधिकार है लेकिन उनकी चिट्ठी में नोटिफिकेशन वाले पहलू का कोई ज़िक्र नहीं है। आज स्वाति मालीवाल ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर बताया है कि महिला आयोग के वरिष्ठ अफसर ने लिखकर बताया है कि बुधवार को दस बजे सुबह एलजी का फोन आया था। एलजी ने कहा कि हिदायत दी जाए कि किसी फाइल पर साइन ना करे, आयोग कोई फ़ैसला ना ले, कोई काम ना करे। स्वाति ने अधिकारी के लिखे पत्र को भी दिखाया। बुधवार शाम जब स्वाति ने ट्वीट किया था कि एलजी के दफ्तर से फोन आया था कि फाइलें ले जाएं और साइन न करने दिया जाए तो एलजी के दफ्तर ने इससे इंकार किया था कि उनके यहां से कोई फोन नहीं हुआ था। स्वाति मालीवाल अब अधिकारी का पत्र दिखा कर बता रही हैं कि एलजी ने फोन कर हिदायत दी थी।

यह एक गंभीर मामला है। क्या उप राज्यपाल खुद फोन कर अफसरों को हिदायत दे रहे हैं कि क्या करना है और क्या नहीं करना है। क्या वे सरकार चला रहे हैं। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने उप राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा है कि उपराज्यपाल का कहना कि उप राज्यपाल खुद ही दिल्ली सरकार हैं। ये कैसे हो सकता है। एक व्यक्ति अपने आपको सरकार कैसे कह सकता है। फिर तो दिल्ली में तानाशाही हो जाएगी। भारत एक जनतंत्र है। दिल्ली में चुनी हुई सरकार है। ज़ाहिर है दिल्ली सरकार का मतलब चुनी हुई सरकार है न कि एक व्यक्ति विशेष।

एंटी करप्शन ब्रांच के दायरे को लेकर जब केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी तब कोर्ट ने अंतरिम तौर यह व्यवस्था देते हुए दिल्ली सरकार से कहा कि...
- पिछले दिनों हुए ट्रांसफर पोस्टिंग के आदेशों को उप-राज्यपाल के पास भेजा जाए। उप-राज्यपाल इस पर चर्चा कर सकते हैं, अगर आपत्ति हुई तो वापस राज्य सरकार को भेज सकते हैं।
- केंद्र से हलफमाना मांगा है कि दिल्ली और बाकी केंद्र शासित प्रदेशों में किस तरह से काम होता रहा है।

इस मामले पर 11 अगस्त को बहस होगी लेकिन तब तक उप राज्यपाल और मुख्यमंत्री अपने दायरे को लेकर कई बार भिड़ चुके होंगे। कौन सही है ये कौन तय करेगा, जो भी है राज्य के लिए अच्छा तो नहीं है। टकराव सिर्फ उप राज्यपाल और सरकार के बीच नहीं है बल्कि सरकार और पुलिस के बीच भी है।

बुधवार को एसीबी चीफ मुकेश मीणा ने कहा कि दिल्ली सरकार ने भ्रष्टाचार की सूचना के लिए 1031 नंबर लॉन्‍च किया तो उसकी शिकायतें उनके पास क्यों नहीं भेजी जा रही हैं। अगर नहीं भेजना है तो इसके लिए लगाए गए विज्ञापन उखाड़ फेंके। आज मीणा साहब ने 1031 हेल्पलाइन खत्म कर दो नए नंबर जारी कर दिये हैं। दिल्ली सरकार का जवाब आया कि मीणा एसीबी चीफ हैं ही नहीं। उनका काम ट्रेनिंग और अंडर ट्रायल केसों की मोनिटरिंग करना है और जो बयान दिया है उसके लिए कार्रवाई होगी। पुलिस कमिश्नर का बयान आया है कि दिल्ली सरकार जो विज्ञापन चला रही है कि पुलिस की जिम्मेदारी हमें दे दीजिए उसे बंद किया जाए क्योंकि इससे भ्रम फैल रहा है। जो कमी है उन्हें बताई जाए और बिना नियंत्रण में लिये ही दिल्ली पुलिस बेहतर कर सकती है। निश्चित रूप से अरविंद केजरीवाल का सिपाही को ठुल्ला कहना अशोभनीय था।

क्या दिल्ली में दो सरकार है, क्या कहीं दो सरकार हो सकती हैं। इस सवाल का जवाब सोचते हुए याद कीजिए क्या दुनिया में कहीं होता है कि पहले केंद्र एक व्यक्ति के रूप में एक सरकार नियुक्त करे और फिर उसके लिए विधानसभा का गठन कराए और घमासान चुनाव हो। उस एक व्यक्ति की सरकार के लिए चुनाव जीतने वाली पार्टी का नेता खुद को मुख्यमंत्री चुने और कुछ को मंत्री। ऐसा आपने कहां देखा है। इम्तहानों में छात्रों से दिल्ली से जुड़े गणित के सवाल भी पूछे जाएं कि हू इज़ ग्रेटर दैन हूं इन दिल्ली यानी...
- क्या उप राज्यपाल नजीब जंग ग्रेटर दैन मुख्यमंत्री केजरीवाल हैं
- क्या मुख्यमंत्री केजरीवाल ग्रेटर दैन उप राज्यपाल नजीब जंग हैं
- या किसी हालत में केजरीवाल इज़ इक्वल टू नजीब जंग हो सकते हैं

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इन दोनों के ग्रेटर और लेसर दैन के चक्कर में कहीं दिल्ली की जनता का इज इक्वल टू न हो जाए।