क्या GST बिल जल्द पास हो पाएगा?

क्या GST बिल जल्द पास हो पाएगा?

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

मुंबई:

आप चाहे उत्पादक हों, सप्लायर हों, विक्रेता हों या उपभोक्ता हों हर चरण पर आपको सामान बनाने से लेकर बेचने और खरीदने तक टैक्स देना पड़ता है। इसे एक और बार यूं समझिये कि जब कच्चा माल किसी फैक्ट्री में आता है तब आने से पहले भी वो कहीं न कहीं टैक्स देकर आता है, फैक्ट्री से बनकर निकलता है तो उस पर टैक्स लग चुका होता है, उसके बाद जब दूसरे राज्य की दुकान पर ले जाया जाता है तो रास्ते में कई प्रकार की चुंगी लगती है, फिर दुकान पर पहुंच कर जब आप खरीदते हैं तो वैट नाम का टैक्स देते हैं। इन सबको हम इनडायरेक्ट टैक्स यानी अप्रत्यक्ष कर कहते हैं।

अब कहा जा रहा है कि फलाना ढिमकाना टैक्स हटाकर एक टैक्स लगेगा, जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स। वित्त मंत्री ने इस टैक्स के बारे में कहा है कि जिस तरह से देश का राजनीतिक एकीकरण 1947 में हुआ उसी तरह से आर्थिक एकीकरण नहीं हो सका। जीएसटी आने से अप्रत्यक्ष कर प्रणाली एक समान हो जाएगी। टैक्स की उगाही बढ़ेगी और जीडीपी को भी लाभ होगा।

वैट लागू होने के वक्त भी यही सब दावे हुए थे लेकिन उसके बाद एक और टैक्स आ गया सर्विस टैक्स। अब एक और टैक्स आ रहा है जीएसटी। 12 साल से हम इस पर चर्चा कर रहे हैं।
- 2003 में वाजपेयी काल में केलकर कमेटी ने जीएसटी की चर्चा शुरू की थी।
- आज वित्त मंत्री ने कहा कि 2006 में कांग्रेस ने इसकी घोषणा की थी।
- लेकिन 2011 में संविधान संशोधन लाने के बाद भी राजनीतिक दलों और राज्यों में सहमति नहीं बन सकी।
- 15वीं लोकसभा में यह बिल लैप्स कर गया, दिसंबर 2014 में मोदी सरकार ने लोकसभा में इसे दोबारा पेश किया।
- और मई 2015 में ये लोकसभा में पास हुआ।

राजनीतिक मसले को छोड़ देते हैं क्योंकि इज़ इक्वल टू होने लगेगा। मतलब तब कांग्रेस कहती थी कि बीजेपी लागू नहीं होने दे रही है और अब बीजेपी कह रही है कि कांग्रेस लागू नहीं होने दे रही है। तब मनमोहन सिंह कहते थे कि बीजेपी 2004 की हार से उबर नहीं पाई है और अब जेटली कहते हैं कि कांग्रेस 2014 की हार से उबर नहीं पाई है। 3 मई 2014 के अपने ट्वीट में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था
चिदंबरम कहते हैं कि मध्यप्रदेश और गुजरात जीएसटी लागू होने नहीं दे रहे हैं। हमें इस पर गर्व है क्योंकि मौजूदा रूप में लागू हो गया तो विनाशकारी होगा।

इस ट्वीट में शिवराज सिंह चौहान गुजरात के बिहाफ पर विरोध करने का गर्व कर रहे हैं जबकि तीन महीना पहले फरवरी 2014 में गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर मौजूदा प्रधानमंत्री का ट्वीट है कि 'मैंने साफ किया है कि बीजेपी ने कभी जीएसटी का विरोध नहीं किया है लेकिन बिना मुकम्मल आईटी ढांचे के जीएसटी को लागू करना मुश्किल हो जाएगा।'

हमें नहीं मालूम कि जीएसटी के लिए मुकम्मल आईटी का ढांचा इस एक साल में तैयार हुआ है या नहीं। कांग्रेस के बनाए बिल को भी स्टैंडिंग कमेटी ने कई बड़े बदलाव कर दिये थे। लेकिन कांग्रेस बीजेपी के पहलू पर बात करने से पहले ज़रूरी है कि हम और आप जीएसटी के बारे में समझें। संविधान संशोधन बिल होने के कारण जीएसटी को राज्यसभा में दो तिहाई बहुमत से पास होना है। फिर उसके बाद आधे राज्य भी दो तिहाई बहुमत से पास करेंगे तब जाकर जीएसटी लागू होगा। सरकार का लक्ष्य है कि 2016 में लागू कर दिया जाए लेकिन इस लक्ष्य के कुछ दूसरे मुकाम और भी हैं। जीएसटी को ऑपरेशन यानी अमल में लाने के लिए...
- एक जीएसटी काउंसिल बनेगी, जिसके मुखिया केंद्रीय वित्त मंत्री होंगे।
- सदस्यों में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री, राज्यों के वित्त मंत्री होंगे।
- काउंसिल में कोई भी फैसला तीन चौथाई मतों से होगा।
- जीएसटी काउंसिल ही तय करेगी कि जीएसटी टैक्स रेट क्या होगा।

एक्साइज ड्यूटी, कस्टम्स ड्यूटी, सेल्स टैक्स, कई प्रकार के सेल्स, सर्विस टैक्स, ऑक्टरॉय यानी चुंगी, नाना प्रकार के अप्रत्यक्ष कर आपने सुने ही होंगे। इन करों के माध्यम से केंद्र सरकार और हर राज्य की सरकार अपनी कमाई करती है। जैसे हाल में ही दिल्ली सहित कई राज्यों ने मिलकर पेट्रोल पर एक्साइज़ ड्यूटी बढ़ा दी। दाम बढ़ गए। जैसे एक बार किसी राज्य ने एक्साइज़ ड्यूटी कम कर पेट्रोल की कीमतों में राहत दी थी। मुझे नहीं मालूम कि जीएसटी के बाद राज्य इस तरह से टैक्स घटा बढ़ा सकेंगे या नहीं। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की साइट पर जीएसटी को थोड़ा सरल तरीके से समझाया गया है जिसके अनुसार...
- दावा किया जा रहा है कि अब नाना प्रकार के टैक्स की जगह एक टैक्स लगेगा।
- लेकिन इस एक टैक्स के भी तीन प्रकार बताये जा रहे हैं।
- सेंटर जीएसटी, स्टेट जीएसटी और इंटर स्टेट जीएसटी।

कच्चा तेल, हाई स्पीड डीज़ल, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस, अल्कोहल, सिगरेट को जीएसटी की सूची से बाहर रखा गया है। यह समझना ज़रूरी है कि जीएसटी वहां नहीं लगेगा जहां कोई चीज़ बनती है बल्कि सीधे वहीं लगेगी जहां वो बिकती है। इसलिए कई राज्यों को भय है कि जीएसटी के आने से उनका राजस्व कम हो जाएगा क्योंकि जिन राज्यों में वस्तु का उत्पादन होता है वहां टैक्स नहीं लगेगा, इससे उनकी कमाई कम हो जाएगी। केंद्र सरकार ने इसकी भरपाई का वादा किया है और एक प्रतिशत का अतिरिक्त टैक्स लगाने की बात की है।

वैट के समय भी ज्यादा से ज्यादा टैक्स उगाहने और काला धन न बनने का दावा किया गया था। ऐसा हुआ या नहीं आप जानते ही होंगे। अब जीएसटी के बारे में कहा जा रहा है कि एक टैक्स होगा तो पूरे देश में दाम कम हों जायेंगे। अब इस बहस को समझने के लिए कुछ तकनीकी बातों की तस्वीर दिमाग में बनानी होगी।
- जैसे कपड़ा बनाने से पहले आप धागा खरीदते हैं।
- इसे कच्चा माल कहते हैं और इस पर टैक्स लगता है।
- उस धागे में वैल्यू तब जुड़ती है जब उससे कपड़ा बनता है।
- वैल्यू जुड़ी तो उसके लिए अलग से टैक्स लगा।
- थोक और खुदरा दुकानदार को भी टैक्स देना होता है।

अलग-अलग चरण पर टैक्स लगाने से किसी चीज़ की कीमत बढ़ती जाती है, इसे हम कैस्केडिंग इफेक्ट कहते हैं। जैसे ताश के पत्ते ढेर हो जाते हैं उसी तरह से एक को छूने से बाकी भी धीरे-धीरे गिरने लगते हैं और गिरने की रफ्तार बढ़ जाती है। इसी तरह से मौजूदा कर प्रणाली में इतने चरण पर टैक्स लगता है कि चीज़ों की कीमत बढ़ जाती है। जीएसटी में दावा किया जा रहा है कि कैस्केडिंग इफेक्ट कम हो जाएगा। यानी चीज़ों के दाम कम हो जाएंगे। अलग-अलग राज्यों की चुंगी से छुटकारा मिल जाएगा। आपकी बल्ले बल्ले हो जाएगी।

जीडीपी बढ़ जाएगी और टैक्स कलेक्शन बढ़ेगा यानी काला धन कम होगा। जीएसटी की दर क्या होगी। टैक्स को लेकर भी सपने सुहाने हो सकते हैं। लेकिन कितना टैक्स लगेगा। 27 प्रतिशत या 18 प्रतिशत। क्या इस पर आसानी से सहमति बन जाएगी। इसके अलावा भी कई सवाल भी उठ रहे हैं।

- अमीर और ग़रीब के इस्तेमाल की चीज़ों पर सरकारें अलग-अलग टैक्स लगाती हैं।
- जीएसटी के आने के बाद यह अंतर मिट जाएगा।
- आम आदमी के इस्तेमाल की चीज़ों के दाम बढ़ेंगे या घटेंगे।
- छोटे उद्योगों और असंगठित क्षेत्र के उद्योगों का क्या होगा।
- अभी उन्हें एक्साइज़ ड्यूटी में कई प्रकार की राहत मिलती है।
- इस छूट के कारण कई उद्योग खड़े हो सके हैं।
- अब अगर इन पर टैक्स लगा तो क्या वे बड़े उद्योगों का सामना कर पायेंगे।

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लाखों छोटे उद्योगों और कारोबारों पर जीएसटी लगा तो क्या होगा। 2016 में लागू हुआ तो शुरुआती साल में इसके झंझटों का भी सरकार को अंदाज़ा तो होगा ही। जो भी है इस मामले में मेरी कोई न तो बेहतर समझ है और न राय। अखबारों और इकोनॉमिक एंड पोलिटिकल वीकली में छपे लेखों को पढ़कर आपके लिए ये सब तैयार किया है। प्रयास करेंगे सरल तरीके से जीएसटी की संभावनाओं और आशंकाओं के बारे में समझने के लिए।