नोटबंदी के मारे, GST से हारे? रवीश कुमार के साथ प्राइम टाइम

भारत की अर्थव्यवस्था चुनौतियों से गुज़र रही है. पहली तिमाही में जीडीपी के 6 फीसदी से नीचे आने के बाद, कंपनियों के मुनाफे में गिरावट की ख़बर आई है.

नोटबंदी के मारे, GST से हारे? रवीश कुमार के साथ प्राइम टाइम

भारत की अर्थव्यवस्था चुनौतियों से गुज़र रही है. पहली तिमाही में जीडीपी के 6 फीसदी से नीचे आने के बाद, कंपनियों के मुनाफे में गिरावट की ख़बर आई है. डीज़ल के दाम बढ़ने से खेती की लागत बढ़ गई है, किसान परेशान हैं, नौकरियों का पता नहीं है, बैंक संकट में हैं, इसके बाद भी टीवी चैनलों पर हिन्दू मुस्लिम टॉपिक की भरमार है. ये हिन्दू मुस्लिम टॉपिक इतना ज़्यादा क्यों हैं, क्या आपने कभी सोचा है, आप साढ़े तीन साल के दौरान सभी चैनलों पर हुए डिबेट की सूची बनाइये, ज़्यादातर का संबंध हिन्दू मुस्लिम से मिलेगा. इन बहसों से आपका व्यापार बढ़ा, रेलवे में वेकैंसी आ गई, या सैलरी बढ़ गई. इनका एक ही मकसद है. जनता की बुनियादी समस्याओं को सामने ही मत आने दो. 

अर्थव्यवस्था को लेकर बैठकों का दौर जारी
आप मेरी बात याद रखिएगा, हिन्दू मुस्लिम टॉपिक आपके बच्चों को बर्बाद कर देगा, इतना ज़हर भर देगा कि वे भीड़ में बदल जाएंगे और हर वक्त टाइम बॉम की तरह टिक टिक करते नज़र आएंगे. इसके बाद भी समस्याएं सामने आ जाती हैं. भारत सरकार के भीतर कई स्तरों पर अर्थव्यवस्था को लेकर बैठकें चल रही हैं. सरकार भी स्वीकार करने लगी है कि जो दिख रहा है उसे सरकार अनदेखा नहीं कर रही है. वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री से सलाहमशवरा करने के बाद कुछ अतिरिक्त कदम उठाए जाएंगे कि अर्थव्यवस्था में रफ्तार लाई जा सके. बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमणियन स्वामी ने भी कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ जा रही है. उधर व्यापारी जीएसटी को लेकर धीरे-धीरे बोलने लगे हैं. जीएसटी की समस्याएं टेक्निकल प्राब्लम से कहीं ज्यादा बड़ी हैं. 

जीएसटीएन की बड़ी शिकायतें 
व्यापारियों की तरफ से सबसे बड़ी शिकायत जीएसटीएन को लेकर आ रही है. कई जगहों पर नेटवर्क काम नहीं करता है और कई बार सुस्त हो जाता है. जीएसटीएन के चेयरमैन अजय भूषण पांडे ने कहा है कि अगस्त की जीएसटी भरे जाने के आखिरी दिन यानी 20 सितंबर को हर घंटे 80,000 लोग जीएसटी भर रहे हैं. 20 सितंबर की मध्य रात्रि तक ये भरा जाना है. सोचिए हर महीने ऐसी तारीख आएगी और व्यापारियों की धड़कनें बढ़ जाएंगी. वित्त मंत्री जेटली ने कहा है कि व्यापारियों के लिए अच्छा होगा कि वे आखिरी दिन से पहले ही भर दें. सिस्टम की क्षमता एक लाख फार्म प्रति घंटा ही है. इस हिसाब से 24 लाख से ज्यादा नहीं भरे जा सकेंगे. अगर ऐसा हुआ तो क्या अगस्त में जुलाई से भी कम लोग जीएसटी भरेंगे. 18 सितंबर तक सात लाख लोग ही जीएसटी रिटर्न भर पाए थे.

जुलाई में 46 लाख करदाताओं ने जीएसटी रिटर्न भरा 
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सरकार को उम्मीद थी कि 64 लाख करदाता अगस्त की जीएसटी भरेंगे. जुलाई में 46 लाख करदाताओं ने जीएसटी रिटर्न भरा था. लगता नहीं कि सरकार जुलाई का आंकड़ा छू पाएगी. जबकि जीएसटी में रजिस्टर्ड करदाताओं की संख्या 85 लाख हैं. जब 85 लाख हैं तो सभी को भरना चाहिए, पचास फीसदी से कम लोगों ने क्यों भरा. क्या जीएसटीएन नेटरवर्क की जटलिताओं के कारण या कोई और वजह है. 

ज़मीन पर जीएसटी की परेशानियां अलग हैं. अब तीन महीने हो गए इसलिए पहले से ज़्यादा मुखर हो रही हैं. हमारे सहयोगी सुशील महापात्रा दिल्ली के कूड़ा उठाने और रिसाइकलिंग करने वाले व्यापारियों से मिले. कोई कूड़ा नहीं खरीद रहा है. कचरे के ढेर जमा हो गए हैं. सौरभ शुक्ला भागीरथ पैलेस के व्यापारियों से मिले और शरद शर्मा दाल व्यापारियों से मिले. आप उनकी बात सुनिये ताकि पता चले कि जीएसटी को लेकर ज़मीन पर क्या सोचा जा रहा है. ये सभी टैक्स देना चाहते हैं, मगर प्रक्रिया की जटिलता से परेशान हैं. 

समय पर नहीं भरेंगे जीएसटी तो देना होगा जुर्माना
जीएसटी समय पर नहीं भरेंगे और ग़लत भरेंगे तो जुर्माना देना होगा. हर महीने कम से कम 3 और साल में 37 रिटर्न भरने हैं. रिटर्न भरने में 2 करोड़ से ज्यादा गड़बड़ी हुई तो जेल और 5 करोड़ से अधिक की गड़बड़ी हुई तो जेल भी और बेल भी नहीं. हिसाब करने में सीए या टैक्स वकील की चूक आपको कानूनी जाल में फंसा सकती है. जीएसटी के कारण हर व्यापारी सीए या फिर टैक्स एडवोकेट के यहां भाग रहा है. बहुत कम लोग हैं जो खुद जीएसटी भर पाते हैं. टैक्स वकील भी सावधानी बरतना चाहते हैं इसलिए वे अब एक क्लाएंट पर एक घंटे की जगह पांच घंटे लगा रहे हैं ज़ाहिर है पैसे तो अधिक लेंगे ही. यह सब बिजनेस पर अतिरिक्त भार है.

VIDEO: प्राइम टाइम इंट्रो: जीएसटी से व्यापारी क्यों परेशान?
व्यापारियों के हक में आया फैसला
कई राज्यों में व्यापारी और सीए संगठन कोर्ट चले गए हैं. गुवाहाटी और राजस्थान हाई कोर्ट से फैसला भी व्यापारियों के हक में आया है. हमें कई व्यापारियों ने अपनी समस्याएं बताई हैं. ज्यादातर ने कहा कि काम छोड़कर फार्म भरने में लगे हैं. कई घंटे और दिन इसी में चले जाते हैं. हमें कई लोगों ने लिखा है जिसकी सूची यहां पेश कर रहा हूं.

वेबसाइट मुक्कमल नहीं
जीएसटीएन की वेबसाइट मुक्कमल नहीं है, बहुत ही ज़्यादा टेक्निकल प्राब्लम है. सीए एक चेक लिस्ट थमा देते हैं, जिसे पूरा करने में ही महीना बीत जाता है. 3 महीने में वकील और सीए पर 50,000 ख़र्च कर चुका हूं, जबकि छोटा व्यापारी हूं. हर महीने टैक्स वकील में 2000 का अलग ख़र्चा होने लगा है. व्यापारी सीए नहीं हैं. छोटे व्यापारी की दुकान में सौ आइटम होते हैं, सबके टैक्स अलग, फार्म भरने में पसीने छूट रहे हैं. जीएसटी से पहले पूरे साल के लिए सीए को 6000 देता था, अब हर महीने 2000 दे रहा हूं. महीने में सीए को 20 बार काल करना पड़ता है, फीस भी बढ़ा दी है सो अलग.

रिफंड ने भी व्यापारियों को परेशान किया
एक मसला रिफंड का है. इसने भी व्यापारियों को काफी परेशान किया है. सरकार ने कहा था कि पहले महीने जीएसटी से 95,000 करोड़ टैक्स आए, बाद में पता चला कि इसमें से 65000 करोड़ तो इनपुट क्रेडिट क्लेम यानी व्यापारियों को वापस मिलने हैं. सरकार कहती है कि इससे उसकी आय पर कोई असर नहीं पड़ेगा तो फिर व्यापारी पूछते हैं कि फिर टैक्स अधिकारियों को क्यों कहा गया है कि जिन लोगों ने एक करोड़ से अधिक की राशि का क्लेम किया है उनकी जांच करो. टैक्स रिफंड मिलने में देरी क्यों हो रही है. इस पर भी लोगों ने लिखा है जिसकी सूची पेश कर रहा हूं.

28 परसेंट जीएसटी दिया, रिफंड नहीं मिला तो 28 फीसदी पूंजी मेरे हाथ में कम हो गई. जुलाई का इनपुट टैक्स क्रेडिट 13 लाख है, हमारी पूंजी तो सरकार के यहां जमा हो गई. 4 लाख इनपुट क्रेडिट टैक्स अलगे साल भी मिलेगा, इसकी उम्मीद नहीं लगती है. ज़रूर बड़ी संख्या में बिजनेसमैन जीएसटी से काफी ख़ुश हैं. मगर जो इसके कारण बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और परेशान हैं उन्हें टैक्स चोर या टैक्स विरोधी कहना भी ठीक नहीं होगा. जो टैक्स चुराते हैं वो जीएसटी के बाद भी हाथ की सफाई कर रहे हैं. आप बाज़ार में जाइये जम कर कच्चे बिल पर काम हो रहा है. पेंट व्यवसाय तो कच्चे बिल पर ही चलता है. इसलिए हम आज इस समस्या को लेकर बात करना चाहते हैं, जब चाहते हैं तो करेंगे ही प्राइम टाइम में. 


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