राजीव रंजन की कलम से : बस परेड कराकर तो मत कीजिए 'महिला इंपॉवरमेंट' का दिखावा!

नई दिल्ली:

इस साल गणतंत्र दिवस परेड की थीम को हम 'शक्ति और सौन्दर्य का मिलन' कह सकते हैं। वैसे सरकारी भाषा में इसे 'महिला सशक्तिकरण' (वुमेन इंपॉवरमेंट) कहा जा रहा है। दरअसल 26 जनवरी को नई दिल्ली के राजपथ पर परेड का मुख्य आकर्षण भले ही अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा होंगे, लेकिन इस दौरान सेना की महिला शक्ति भी लोगों का ध्यान आकर्षित करेगी।

इस गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार थलसेना, वायुसेना और नौसेना के पारंपरिक पुरुष दलों के साथ महिलाओं की अलग टुकड़ियां भी नजर आएंगी। आमतौर पर परेड की एक टुकड़ी में 148 प्रतिभागी या सदस्य होते हैं। इस लिहाज से तीनों सेनाओं की 148-148 महिला अधिकारी परेड में हिस्सा लेंगी। ऐसा इतिहास में पहली बार होने जा रहा है।

कहा जा रहा है कि यह सब कुछ प्रधानमंत्री कार्यालय के सुझाव पर हो रहा है, ताकि लोगों को पता लगे कि सेना में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है। लेकिन सीआरपीएफ, आईटीबीपी और बीएसएफ जैसे अर्धसैनिक बलों में महिलाओं की टुकड़ी होने के बावजूद उन्हें 26 जनवरी के परेड में अपनी टुकड़ी को कमान  करने का मौका नहीं दिया जा रहा।
 
वैसे तीनों सेनाओं के अफसरों को परेड के लिए 148 महिलाएं खोजने में भी खासी मुश्किल पेश आ रही है। वजह है महिलाओं की कम संख्या। और दूसरी बात यह है कि परेड के लिए केवल महिला होना ही काफी नहीं। सभी की कद काठी एक जैसी होनी चाहिए और एक जैसा कदम ताल भी। भारतीय सेना में कुल करीब 13 लाख जवान हैं, जिनमें करीब 37 हजार पुरुष अधिकारी हैं, जबकि महिला अधिकारियों की कुल संख्या मात्र 1300 है। यानि सेना में प्रति 28 पुरुष अधिकारियों की तुलना में एक महिला अधिकारी है।
सेना की महिला अधिकारी परेड का अभ्यास करते हुए
इसी तरह से वायुसेना में महिलाओं की संख्या है 1334, जिसका अनुपात है 1:8 (पुरुष अधिकारियों की संख्यां है करीब 11 हजार)। यानि आठ पुरुष अधिकारियों की तुलना में एक महिला अधिकारी।

अगर नौसेना की बात करें तो महिलाओं की संख्या है मात्र 337 जबकि भारतीय नौसेना की कुल संख्या है 60 हजार (करीब 8 हजार अधिकारी)। यानि करीब 24 पुरुष अधिकारियों की तुलना में एक महिला अधिकारी है।
 
मोदी सरकार के बनने के बाद ही यह फैसला लिया गया कि अब सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन दिया जाएगा। लेकिन यह मौका उन महिलाओं को ही मिलेगा, जो 2015 से सेना में कमीशन होगी। वैसे सेना में महिलाएं 1991 से ही शामिल हैं, लेकिन महिलाओें को लेकर सेना में हमेशा से हिचक रही है।

साल 1991 से सेना में महिला अधिकारी हैं, लेकिन हालत यह है अभी तक उनके लिए अलग यूनिफॉर्म तक नहीं बन पाए है।  बात चाहे पॉकेट की हो या जिप की।

सेना में कैप्टन रही सुमिषा शंकर कहती हैं, हमें पुरुषों की तरह दिखाने की क्या जरूरत है? अमेरिका जैसे देशों में सेना में महिला अधिकारियों का ड्रेस उनके सुविधा के मुताबिक होता है।

गौरतलब है कि 2008 में कोर्ट के फैसले के बाद पहले नौसेना और वायुसेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन दिया गया, लेकिन थल सेना ने बड़ी मुश्किल से महिलाओं को स्थाई कमीशन दिया। फिलहाल, महिलाओं को स्थाई कमीशन लीगल, इंटेलिजेंस, सप्लाई कोर में ही दिया गया है। अब करीब 2031 महिलाओं को स्थाई कमीशन एविएशन, सिग्नल जैसी शाखाओं में दिया जाएगा।
 
गौरतलब है कि देश की सेना में महिला केवल अफसर ही बन सकती हैं। जवान के स्तर पर महिलाओं की भर्ती सेना में नही होती। वहीं अर्धसैनिक बलों में महिला जवानों की भर्ती भी होती है। यहां तक की सीमा सुरक्षा बल में महिलाओं को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारतीय पोस्ट की सुरक्षा में तैनात किया गया है और सीमा पर पैट्रोलिंग भी कर रही हैं।

सीआरपीएफ में तो महिलाओं को नक्सल विरोधी अभियान में तैनात किया गया है। वहीं, महिला अधिकारियों का दावा है कि सेना के भीतर तमाम मौके पर प्रतिस्पर्धाओं में महिला अधिकारियों ने बेहतर प्रदर्शन किया है।

सेना में उनके बेहतर प्रदर्शन को दरकिनार करते हुए सेना ने कभी महिला अधिकारियों को तवज्जो नहीं दी और अब जब सेना कमान देने को तैयार हुई है, तब वह भी कोर्ट के दखल के बाद संभव हो पाया है। वहीं, भारतीय सेना में ये सारी महिला अधिकारी सहयोगी भूमिका (सपोर्ट रोल) में हैं, पर कॉम्बेट रोल का सवाल ही नहीं होता।

इसका सीधा मतलब यह ही कोई महिला अधिकारी लड़ाई के मैदान में नहीं जा सकती है। वहीं, नौसेना में महिला युद्धपोत में नहीं जा सकती है और न ही वायुसेना में महिला लड़ाकू विमान उड़ा सकती है।

उधर, पाकिस्तान जैसे कट्टर माने जाने वाले मुल्क में आज महिला लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं और हाल में पाकिस्तान की वायुसेना की फ्लाइट लेफ्टिनेंट आएशा फारूक ने दुनिया में पहली महिला फाइटर पायलट का गौरव हासिल किया, जिसने किसी इलाके में बम गिराया है।

सेना के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि देखिए भारत में हालात अलग हैं। महिलाओं को अचानक सेना में ऊपर नहीं ले जाया जा सकता। उसके लिए ट्रेनिंग के साथ माहौल बनाना पड़ेगा, तब जाकर बात बन सकती है।'

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इस पर वायुसेना में तैनात एक महिला अधिकारी ने कहा कि महिला इंपॉवरमेंट का दिखावा केवल परेड कराकर तो मत कीजिए, जो महिलाएं सेना में हैं उन्हें काबिलीयत के बावजूद ना तो प्रमोशन में वरीयता दी जा रही है और ना ही कोई निर्णायक भूमिका, तो फिर परेड का श्रृंगार क्यों?