घर ही नहीं रहेगा तो रहेगा किस घर में...डरा है मिडिल क्लास 5 तारीख को जाने वाली EMI से

भारत का मध्यमवर्ग बहुत परेशान है. 24 मार्च को प्रधानमंत्री का भाषण ख़त्म होने से पहले दुकान पर पहुंच गया. 21 दिनों के लिए जब सामान जुटाकर रास्ते में था तो ध्यान आया कि जिस कार से घर जा रहे हैं उसकी किश्त कैसे जमा होगी?

घर ही नहीं रहेगा तो रहेगा किस घर में...डरा है मिडिल क्लास 5 तारीख को जाने वाली EMI से

आदरणीय वित्तमंत्री जी,

भारत का मध्यमवर्ग बहुत परेशान है. 24 मार्च को प्रधानमंत्री का भाषण ख़त्म होने से पहले दुकान पर पहुंच गया. 21 दिनों के लिए जब सामान जुटाकर रास्ते में था तो ध्यान आया कि जिस कार से घर जा रहे हैं उसकी किश्त कैसे जमा होगी? इसी चिन्ता में जब फ्लैट में पहुंचा तो पसीने छूटने लग गए. सही बात भी है. जिस घर में सामान भर रहे थे वो घर तो लोन पर है. घर का लोन कैसे चुकाएंगे? इस वक्त जब घर में रहना ही एकमात्र उपाय है. घर में शांति से तभी रहेगा जब EMI की चिन्ता दूर होगी. 

मुझे पूरा भरोसा है कि आप जैसी संवेदनशील वित्तमंत्री मिडिल क्लास की इस चिन्ता के बारे में सोच रही होंगी. हो सकता है घोषणा में देरी हो. अगले महीने की 5 तारीख को खाते से EMI जानी है. सैलरी कम हो गई है. सैलरी बंद हो गई है. दो तरह की स्थितियों में प्यारा मध्यमवर्ग थोड़ा सा चिन्तित है. कहां से EMI भरेगा? अगर पैसा EMI में ही चला गया तो हाथ में क्या बचेगा?

इसलिए आप आज कल में ही EMI पर रोक लगा दें. बैंकों को स्पष्ट निर्देश दे दें. किसी के खाते से EMI का पैसा नहीं कटेगा. बहुत से मध्यमवर्गीय लोग मुझे भी लिख रहे हैं. उन्होंने आपको तो लिखा ही होगा. प्लीज़ उन्हें 5 तारीख के आतंक से मुक्ती दे दीजिए.

यही नहीं किरायेदारों की आबादी तो मकान मालिकों से अधिक होती है. किरायेदार भी कई स्तर के होते हैं. अच्छे कमाने वाले से लेकर मज़दूर वर्ग तक. सुनने में आया है कि मकान मालिक किराया न देने के कारण मज़दूरों को निकाल रहे हैं. तो आप या प्रधानमंत्री देश के मकान मालिकों से अपील करें कि वे तीन या छह महीने तक कोई किराया न लें. किराया न देने के कारण किसी को घर से न निकालें.

वैसे यह काम ब्रिटेन ने एक हफ्ता पहले कर लिया था. कानून ही बना दिया कि तीन महीने तक न तो किराया बढ़ाया जा सकता है और न ही किसी को निकाला जा सकता है. यह भी सही है कि मकान मालिक अपनी EMI कैसे देगा तो उन्हें भी किश्त चुकाने से तीन महीने की छूट दी गई है. भारत भी इस तर्ज पर कोई कदम उठा सकता है. पिछले ही शुक्रवार को ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने घोषणा कर दी है कि वे एक ऐसे मॉडल की तलाश में है जिससे किरायेदारों का घर भी न छूटे और मकान मालिकों का घर भी न छिन जाए. लोन न देने पर बैंक ज़ब्त कर लेगा. आयरलैंड ने भी किरायेदारों को निकालने पर रोक लगा दी है. किराया बढ़ाने पर रोक लगा दी है. अमरीका के कई प्रान्तों ने किराये दारों को निकालने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. 60 दिनों की रोक लगा दी है.

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आपको भी किरायेदारों और EMI पर घर खरीदने वालों के लिए कोई योजना तुरंत लॉन्च करनी चाहिए. अगर EMI निकल गया तो लोगों के हाथ में पैसे नहीं बचेंगे. छोटे बिजनेसमैन हैं, हमारे वकील भाई हैं, मीडियाकर्मी हैं, इन सबने लोन पर मकान लिए हैं. अब सैलरी कम हो जाएगी या बंद हो जाएगी तो लोन कहां से चुकाएंगे? मीडियाकर्मी में सिर्फ एंकर नहीं गिने जाएं, डेस्क के लोग भी गिने जाएं. कई तरह के पेशे के लोग बेहद चिन्तित हैं.

मुझे उम्मीद है कि आप कुछ न कुछ सोच रही होंगी. मेरी तरफ से सुझाव यह रहेगा कि आप पहले तीन महीने की किश्त माफ कर दें. वो पैसा सरकार बैंकों को चुका दे. फिर अगले तीन महीने की किश्त आधी कर दें. ये पैसा भी सरकार भर दें. उसी तरह मकान मालिकों से अपील करे कि किराया न वसूलें और वे अपील से नहीं मानते हैं तो कानून बना दीजिए. हम सब मिल कर लड़ लेंगे. हम जीतेंगे.

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