कॉलेजों में शिक्षक नहीं हैं तो छत्तीसगढ़ के छात्र कॉलेज जाना ही बंद कर दें...?

जो पार्टी सरकार में है उसे अपने घोषणापत्र में पिछले घोषणापत्र का रिपोर्ट देना चाहिए. मुमकिन हो तो इसे बताना अनिवार्य कर दिया जाए. जो विपक्ष में हैं, उसके घोषणापत्र को भी सतर्कता से देखा जाना चाहिए.

कॉलेजों में शिक्षक नहीं हैं तो छत्तीसगढ़ के छात्र कॉलेज जाना ही बंद कर दें...?

घोषणापत्र देखकर भले जनता वोट न करती हो मगर चुनावों के समय इसे ठीक से देखा जाना चाहिए. दो चार बड़ी हेडलाइन खोजकर हम लोग भी घोषणापत्र को किनारे लगा देते हैं. राजनीतिक दल कुछ तो समय लगाते होंगे, बात-विचार करते होंगे कि क्या इसमें रखा जा रहा है और क्या इससे निकाला जा रहा है, इसी को समझकर चुनावी चर्चाओं में घोषणापत्र को गंभीरता से लिया जाना चाहिए. जो पार्टी सरकार में है उसे अपने घोषणापत्र में पिछले घोषणापत्र का रिपोर्ट देना चाहिए. मुमकिन हो तो इसे बताना अनिवार्य कर दिया जाए. जो विपक्ष में हैं, उसके घोषणापत्र को भी सतर्कता से देखा जाना चाहिए. छत्तीसगढ़ के चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस का घोषणा पत्र देख रहा था. दोनों दलों ने शिक्षा को लेकर क्या-क्या लिखा है, समझने की कोशिश कर रहा था.

पहले कांग्रेस के घोषणा पत्र की बात करते हैं. कांग्रेस ने एक आरोप पत्र भी जारी किया है. जिसमें बताया है कि छत्तीसगढ़ के शासकीय कॉलेजों में प्राध्यापक के 525 पद मंज़ूर हैं मगर सबके सब ख़ाली हैं. एक भी प्राध्यापक नहीं है. कांग्रेस ने इस जानकारी का सोर्स विधानसभा का रिकॉर्ड लिखा है. 15 साल से बीजेपी की सरकार है, ऐसा कैसे हो सकता है कि प्राध्यापकों के 525 पद ख़ाली हैं. यहां के विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर के 67 पद मंज़ूर हैं, 50 ख़ाली हैं. कुछ विश्वविद्यालयों में एक भी  प्रोफेसर नहीं हैं. सहायक प्राध्यापकों के लिए मंज़ूर पदों की संख्या है 3436, लेकिन 1214 शिक्षक ही तैनात हैं. अगर वहां पढ़ाने वाला ही कोई नहीं है तो फिर छात्र नाम क्यों लिखा रहे हैं, वे कॉलेज ही क्यों जा रहे हैं.

अगर आंकड़ें सही हैं, तो यह नौजवानों के साथ धोखा है. आप मुझे कांग्रेस बीजेपी की सरकार का खेल न खेलने के लिए कहें. नौकरी और यूनिवर्सिटी सीरीज़ के दौरान हाल देखने के बाद मैं किसी से प्रभावित नहीं हूं. मुझे अब कई राज्यों का हाल पता है. लेकिन क्या बीजेपी जवाब देगी कि 15 साल तक राज करने के बाद कॉलेजों की ये हालत क्यों हैं? क्लास में पढ़ाने वाले नहीं हैं तो छात्र पढ़ क्या रहे हैं? गोबर, गाय और गौ मूत्र पढ़ रहे हैं? बीजेपी को कांग्रेस के इस आरोप पत्र का जवाब देना चाहिए ताकि स्थिति स्पष्ट हो. नौजवानों को बताना चाहिए कि क्या वे जहां पढ़ते हैं वहां कोई प्रोफेसर है. क्या उन्होंने इस बात को कभी नोटिस किया है? छत्तीसगढ़ के छात्र बताएं कि क्या कांग्रेस ने झूठे आरोप लगाए हैं या सही कहा है?

यही नहीं कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि शिक्षाकर्मियों के 50,000 और पंचायत संवर्ग के शिक्षकों के 22,644 पद ख़ाली हैं. 72,000 से अधिक पद ख़ाली हैं. बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में लिखा है कि योग्य शिक्षकों की बहाली होगी. संख्या दर्ज नहीं है. कांग्रेस के घोषणापत्र में लिखा है कि 50,000 शिक्षकों की बहाली करेंगे. ये रिक्तियां बता रही हैं कि नौजवानों ने अपने पांव पर कुल्हाड़ी मार ली है. सरकारों ने उनके लिए शिक्षा के अवसर बर्बाद कर दिए और नौजवानों ने खुद से भी इन सवालों की हत्या कर दी है. किसी राज्य में शिक्षा की यह हालत होगी तो फिर वहां चुनाव किस मुद्दे पर हो रहा है, ये चुनाव ही क्यों हो रहा है?

छत्तीसगढ़ एक ग्रामीण राज्य है. 77 फीसदी आबादी गांवों में रहती है. क्या सरकार जानबूझकर ग्रामीण आबादी को अशिक्षित रखना चाहती है? हमने बीजेपी का घोषणापत्र देखा. इसमें 12वीं तक के सभी छात्रों को यूनिफॉर्म देने की बात है. कक्षा 9 के सभी छात्रों को साइकिल दी जाएगी. राज्य बोर्ड की 10वीं की परीक्षा में जो छात्र चोटी के 1000 में आएंगे उन्हें 11वीं और 12वीं के लिए ट्यूशन फीस दी जाएगी. क्या ये प्राइवेट ट्यूशन की फीस है? क्लास में शिक्षक की बहाली क्यों नहीं हो रही है, अभी तक ये खाली ही क्यों थी? जब शिक्षा का बुनियादी ढांचा कमज़ोर होगा तब गरीब छात्रों का क्या होगा. बीजेपी हर ब्लॉक में एक अंग्रेज़ी मीडियम स्कूल खोलेगी. हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास के लिए यूनिवर्सिटी खोलेगी. अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर भोपाल में हिन्दी यूनिवर्सिटी है. उसी का हाल बुरा है तो नई यूनिवर्सिटी क्या चला लेंगे. जो यूनिवर्सिटी है उसके लिए तो प्रोफेसर नहीं हैं.

आप जनता हैं. आपको तय करना है कि अपने लिए शिक्षा की बेहतर व्यवस्था चाहिए या नहीं. क्या छत्तीसगढ़ के नौजवान इस चुनावी हफ्ते में शिक्षा की हालत को लेकर कुछ लिख रहे हैं, बहस कर रहे हैं, या वे प्रायोजित नारों को लेकर रट्टा मार रहे हैं? तभी कहता हूं कि नौजवानों की राजनीतिक समझ की गुणवत्ता थर्ड क्लास नहीं होती तो ऐसे मुद्दों को कोई ठिकाने नहीं लगा सकता था. अगर राज्य में शिक्षा को लेकर अच्छा हुआ है तो उसके बारे में भी ज़ोर शोर से लिखिए मगर चुनाव में बहस हो, इसकी तो पहल कीजिए.

आप भी दोनों दलों के घोषणा पत्र पढ़ें. अलग-अलग श्रेणियों में जाकर तुलना करें कि दोनों दल आपसे वाकई कोई ठोस वादा कर रहे हैं या फिर पन्ना भर रहे हैं. कुछ का कुछ लिख दे रहे हैं. पहले घोषणापत्रों के ज़रिए इन राजनितिक दलों की कॉपी तो चेक कीजिए.

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