क्या ऐसे ट्रंप की नजरों से छुप जाएगी गरीबी?

बस 36 घंटे की भारत यात्रा के 72 घंटे तक कवरेज की चैनलों की तैयारी पर डोनाल्ड ट्रंप ने पानी फेर दिया

क्या ऐसे ट्रंप की नजरों से छुप जाएगी गरीबी?

अभी तो माहौल जम रहा था कि अमेरिका से राष्ट्रपति ट्रंप का जहाज़ उड़ेगा और न्यूज़ चैनलों पर ईवेंट कवरेज का मजमा जमेगा..सूत्रों के हवाले से खूब हलवे बनाए जाएंगे, कुछ बातों का पता होगा, कुछ का पता ही नहीं होगा लेकिन तभी आज ट्रंप साहब ने होली जैसे बन रहे मूड को बिगाड़ दिया. उन्हें सोचना चाहिए था कि हम कुछ न पता चले उसके लिए कितनी मेहनत कर रहे हैं. जबकि हमें पता है कि ट्रंप साहब के पास ड्रोन कैमरा है. इसके बाद भी हमने दीवार बनाई ताकि गरीबों का घर न दिखे. अब ट्रंप साहब कार से उतरकर ड्रोन तो उड़ाएंगे नहीं. इस दीवार से अलग एक और दीवार है. मोटेरा स्टेडियम की तरफ. उस बस्ती की दीवार को रंगा जा रहा है, ईस्टमैन कलर वाले लुक में. ट्रंप और मोदी जी के नीचे यू एंड आई, यानी आप और मैं लिखा है. इस लेवल की हम नज़दीकी दिखा रहे हैं और ट्रंप साहब कह रहे हैं कि भारत का व्यवहार ठीक नहीं है. चित्रकार की कल्पना का भारत-अमेरिका संबंध कार्टून की किताब की तरह मिथक में बदल रहा है. यहां पर आप ईगल और पिकॉक देख सकते हैं. ये दोनों ही अमेरिका और भारत के राष्ट्रीय पक्षी हैं. आप और हम की जुगलबंदी के प्रतीक बन गए हैं. यह खूबसूरत चित्रकारी जिस दीवार पर की गई है उसके पीछे भारत की गरीबी रहती है.

हम इतनी मेहनत करते हैं छिपाने के लिए. अभी सूत्रों के हवाले से खबरों का मजमा जमने वाला था कि राष्ट्रपति ट्रंप ने कह दिया कि भारत का व्यवहार अमेरिका के साथ ठीक नहीं है लेकिन पीएम मोदी उन्हें पसंद हैं. डील बाद के लिए बचाकर रखे हूं. अमेरिका चुनाव से पहले होगा या बाद में, यह पता नहीं लेकिन भारत के साथ बड़ी डील होगी. अब यह डील उनके हिसाब से बड़ा होगा या भारत के हिसाब से जब अभी पता ही नहीं तो क्या कहा जाए. भारत का मानना है कि टैरिफ यानी आयात-निर्यात करों को लेकर अमरीका का अपना मत रहा है. उस सदंर्भ में उसका सोचना होगा कि भारत का व्यवहार ठीक नहीं है लेकिन एक विकासशील देश के तौर पर भारत की जरूरत अलग है. लेकिन पीएम  मोदी ने मुझसे कहा है कि एयरपोर्ट और कार्यक्रम स्थल के बीच 70 लाख लोग मौजूद रहेंगे. स्टेडियम अभी बन रहा है, लेकिन दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम होगा.

क्या वाकई पीएम मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप से कहा है कि अहमदाबाद एयरपोर्ट से मोटेरा स्टेडियम के बीच सत्तर लाख लोग होंगे? पर सत्तर लाख कहां से आएंगे? अहमदाबाद की कुल आबादी ही 55 से 60 लाख है. साढ़े नौ किलोमीटर का फासला है. 36 घंटे के एक सीरियस दौरे को लेकर हल्की बात नहीं कहनी चाहिए थी. खासकर ये कि भारत का व्यवहार ठीक नहीं हैं. कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा है कि यह कहना कि भारत का व्यवहार ठीक नहीं है, भारत की प्रतिष्ठा के साथ अपमान है. कोई बात नहीं. जैसे ही स्टेडियम का कवरेज शुरू होगा, उन भव्य दृश्यों की कल्पना कीजिए जिसमें दुनिया खो जाएगी. स्टेडियम का शोर गूंजेगा. कैमरा चारों तरफ घूमेगा. बस 36 घंटे की यात्रा की 72 घंटे तक कवरेज की चैनलों की तैयारी पर ट्रंप ने पानी फेर दिया.

पानी से याद आया कि यमुना में पानी नहीं था, तो गंगा का पानी यमुना की तरफ फेर दिया. 19 फरवरी की शाम साढ़े चार बजे ताजमहल के पीछे यमुना बुरे हाल में पड़ी है. हम जिसे गंदगी कहते आ रहे हैं वो गंदगी भी है. नदी के पास अपना पानी नहीं है तो क्या हुआ, सिंचाई विभाग के पास पानी का इंतज़ाम है. इसलिए फैसला हुआ है कि सिंचाई विभाग के भागीरथी प्रयास से गंग नहर का पानी, यानी गंगा का पानी यमुना में आएगा और ट्रंप जब शाम के वक्त यमुना का दीदार करेंगे तो एक भरी पूरी नदी देखेंगे. ये हाल पानी छोड़े जाने के बाद का है. लगता है पानी आगे बह गया. मेरी राय में सिंचाई विभाग इसका भी इंतज़ाम करे कि ताज के लिए छोड़ा गया पानी आगे बहकर फिरोज़ाबाद और इटावा न पहुंच जाए. मथुरा वाले तो कब से इसी की मांग कर रहे थे कि यमुना में पानी छोड़ा जाए. ट्रंप साहब सूर्यास्त से पहले ताज देखेंगे. ऐसी खबर आई है. रात में देखते तो नदी छिपाई जा सकती थी, दिन के वक्त ये ज़रा मुश्किल है. इसलिए यमुना को गंगा के पानी से बदला जा रहा है. क्या इसे नदी को नदी से बदलने का कार्यक्रम कहा जाएगा, विद्वान इस पर आगे बहस कर सकते हैं.

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एक बात बताइये, ताज को पता नहीं चलेगा कि कोई यमुना में पानी मिला रहा है. क्या यमुना साबित कर पाएगी कि उसका पानी उसका नहीं गंगा का है, ठीक यही चुनौती जाबेदा बेगम की है. असम की जाबेदा 15-15 प्रकार के दस्तावेज़ देकर साबित नहीं कर पाईं कि कैसे वे उसी मां-बाप की संतान हैं जिन्हें वे अपनी अम्मी और अब्बा कहती हैं. असम में नागिरकता साबित करने के लिए साबित करना होता है कि 1971 से पहले वह या उसके मां-बाप रहते रहे हैं. जो लोग 1971 के बाद पैदा हुए हैं उन्हें पैन कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र दिखाने होते हैं. ताकि वे साबित कर सकें कि उन पूर्वजों से नाता है जो 1971 से पहले रहते आए हैं. 50 साल की जाबेदा अपने मां-बाप से नाता साबित नहीं कर पाईं. यह कहानी एक आम भारतीय औरत की कहानी है. शायद करोड़ों औरतों की है, जिनका नाम जमुना देवी है उनकी भी हो सकती है और जिनका नाम जाबेदा बेगम है, उनकी तो है ही.