युद्ध का विरोध करना युद्ध से घबराने की बात नहीं

भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रालयों के बयान में काफी अंतर है. इन अंतरों को पहचानना बहुत जरूरी है

युद्ध का विरोध करना युद्ध से घबराने की बात नहीं

जिसकी आशंका की जा रही है उसकी एक झलक आज दिखी है. अगर यह उसी दिशा में जाती दिख रही है तो अब सबको गंभीर होकर सोचना चाहिए. क्या बुधवार की सुबह जो हुआ वह भारत पाकिस्तान को युद्ध की लेकर जा सकता है. अव्वल तो जो हुआ वह अपने आप में युद्ध की कार्रवाई ही थी. मंगलवार को भारत ने पाकिस्तान की सीमा में आपरेशन बालाकोट किया तो बुधवार को पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के राजौरी में नौशेरा सेक्टर में भारतीय वायु सीमा का उल्लंघन किया है.

11 बजकर 49 मिनट पर पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ़ गफ़ूर ने ट्वीट किया कि
'विदेश मंत्रालय के जारी प्रेस रिलीज़ के अनुसार पाकिस्तान एयर फोर्स ने स्ट्राइक किया है जिसके जवाब में भारतीय वायुसेना नियंत्रण रेखा में घुस आई. पाकिस्तान एयरफोर्स ने पाकिस्तानी सीमा में दो भारतीय विमानों को मार गिराया है. आजाद जम्मू-कश्मीर के इलाके में एक भारतीय जहाज गिरा है. हमारी टुकड़ी ने एक भारतीय पायलट को अपनी गिरफ्त में ले लिया जबकि वहां दो पायलट थे.'

हम सिलसिलेवार बता रहे हैं कि कैसे आज सब कुछ हुआ है. एक-एक शब्द को आपको गौर से सुनना और समझना होगा. मंगलवार के आपरेशन के बाद भारत के विदेश मंत्रालय की शब्दावली पाकिस्तान की प्रेस रिलीज में नज़र आई. गैर फौजी कार्रवाई. पाकिस्तान के आसिफ गफूर ने कहा कि भारत की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान की सेना और वायुसेना के पास जवाब देने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था. पाकिस्तान अमन चाहता है. जिस तरह से भारत ने बालाकोट का नाम लिया उसी तरह पाकिस्तान ने भारतीय इलाकों के नाम लिए.

पाकिस्तान के मेजर जनरल गफूर ने बताया कि पाकिस्तान एयरफोर्स के जहाज टारगेट को निशाना बनाकर लौट रहे थे तब भारत के दो जहाज पीछा करते हुए पाकिस्तान के इलाके में दाखिल हो गए. पाकिस्तान ने दोनों जहाज मार गिराए. एक जहाज़ पाकिस्तान के इलाके में गिरा और एक दूसरे हिस्से में गिरा. एक ज़ख्मी को अस्पताल भेजा गया है और एक पायलट हमारे पास है. बाद में शाम छह बजकर 20 मिनट के करीब आसिफ गफूर ने अपना बयान बदला और कहा कि एक ही पायलट पाकिस्तान की सेना की गिरफ्त में है. इतना सब कहने के बाद मेजर जनरल ने फिर कहा कि पाकिस्तान बातचीत चाहता है. जंग शुरू करना आसान है लेकिन खत्म कहां होती है, किसी को नहीं पता. ये पाकिस्तान का पक्ष हुआ.

पाकिस्तान ने आज भारत का शब्द चुरा लिया. माहौल युद्ध का हो चला है, लड़ाकू विमान दोनों की सीमाओं के आर-पार हो जा रहे हैं और पाकिस्तान भी भारत की तरह कहता है कि उनकी कार्रवाई गैर फौजी थी. नॉन मिलिट्री. भारत की तरह पाकिस्तान में भी विदेश मंत्रालय की तरफ से बयान जारी किया गया जिसमें कहा गया कि 'पाकिस्तान की कार्रवाई भारत की जारी आक्रामकता का बदला नहीं है. पाकिस्तान ने नान मिलिट्री टारगेट पर निशाना बनाया. इंसानी नुकसान नहीं होने दिया. एक ही लक्ष्य था कि हम आत्मरक्षा के अपने अधिकार, इच्छा शक्ति और क्षमता का इजहार करना चाहते थे. हम लड़ाई नहीं चाहते थे. मगर मजबूर किया गया तो उसके लिए तैयार हैं. इसलिए हमने यह कार्रवाई साफ चेतावनी और दिनदहाड़े की. अगर भारत तथाकथित आतंक समर्थकों पर बिना प्रमाण के हमला कर रहा है तो हमें भी उन तत्वों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई का अधिकार है, जो भारत के संरक्षण में हैं और पाकिस्तान की जमीन पर आतंक फैलाते हैं. हम इस रास्ते नहीं जाना चाहते और चाहते हैं कि भारत शांति को एक मौका दे.'

फिजूल की चर्चा से अच्छा है कि आप तथ्यों को जानें कि क्या कहा जा रहा है, घटनाओं के क्रम क्या हैं. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने भारत पर आरोप लगाया कि वह पाकिस्तान में आतंकी कार्रवाई करने वाले तत्वों को संरक्षण देता है. मैंने हाल फिलहाल में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के जितने बयान सुने हैं उसमें भारत पर ऐसा आरोप नहीं लगाया गया है. ऐसा लगता है कि इमरान खान से अलग भी बहुत कुछ कहा जा रहा है. क्या पाकिस्तान ने अपने बयान में भारत पर यह आरोप इसलिए लगाया ताकि उसे उकसाया जाता रहे.

अब हम भारत के विदेश मंत्रालय के बयान का हिन्दी अनुवाद पढ़ते हैं. भारत ने कल जानकारी दी थी कि जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंप पर कल जो आतंकवाद विरोधी कार्रवाई की थी वह इस विश्वसनीय सबूत पर आधारित थी कि जैश और भी हमले करने का इरादा रखता है. इस आतंक विरोधी कार्रवाई के ख़िलाफ़ पाकिस्तान ने आज सुबह भारत के सैन्य प्रतिष्ठानों पर अपनी वायुसेना के सहारे जवाबी कार्रवाई की. हमारी आला तैयारी और सतर्कता की वजह से पाकिस्तान की कोशिशें सफलतापूर्वक नाकाम कर दी गईं. पाकिस्तान वायुसेना को देखा गया और भारतीय वायुसेना ने फौरन जवाब दिया. इस हवाई झड़प में पाकिस्तान वायुसेना के एक विमान को भारतीय वायुसेना के मिग 21 ने मार गिराया. पाकिस्तानी विमान पाकिस्तान की तरफ गिरता देखा गया. इस झड़प में दुर्भाग्यवश हमने एक मिग 21 खो दिया. पाकिस्तान ने दावा किया है कि पायलट उनकी हिरासत में है. हम तथ्यों की पुष्टि कर रहे हैं.

भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रालयों के बयान में काफी अंतर है. इन अंतरों को पहचानना बहुत जरूरी है. इस वक्त बेहद जरूरी है कि दोनों तरफ से क्या कहा जा रहा है और किन शब्दों का सहारा लिया जा रहा है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में उन इलाकों में बमबारी की बात नहीं कि जिसके बारे में पाकिस्तान के सैन्य प्रवक्ता ने कहा. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के बयान में भी उन इलाके के नाम नहीं हैं जिनके बारे में उनकी सेना के प्रवक्ता ने जिक्र किया है. पाकिस्तान की सेना के प्रवक्ता और विदेश मंत्रालय के लिखित बयान में काफी अंतर देखा जा सकता है. भारत की तरफ से बयान सिर्फ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की तरफ से आया. प्रवक्ता रवीश कुमार के साथ एयर वाइस मार्शल प्रेस के सामने आए मगर कुछ नहीं कहा. पाकिस्तान की तरफ से ब्रीफिंग सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बार-बार कर रहे हैं. भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान में पाकिस्तान द्वारा सैन्य प्रतिष्ठानों पर जवाबी कार्रवाई की बात कही गई है. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने सैन्य प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई की बात नहीं की. पाकिस्तान ने खुले इलाके में आपरेशन किया है.

भारत के आधिकारिक बयान में इसका कोई जिक्र नहीं है कि पाकिस्तान के कौन से और कितने विमान भारतीय सीमा में आए थे. भारत ने यह जरूर किया. पाकिस्तान ने भारतीय वायुसेना के मिग 21 को मार गिराया. जो पाकिस्तान के हिस्से में गिरता देखा गया. इस पर पाकिस्तान ने कहा कि दो विमान घुस आए थे. एक पाकिस्तान के हिस्से में गिरा और दूसरा भारत के. भारत के विदेश मंत्रालय के बयान में ऐसा कुछ नहीं कहा गया.

अब हम आते हैं उस हिस्से पर जो बेहद महत्वपूर्ण है. पाकिस्तान ने पहले दावा किया था कि उसके कब्ज़े में दो पायलट हैं लेकिन भारत ने एक ही पायलट की बात स्वीकार की. बाद में पाकिस्तान ने भी एक की बात मान ली. इतना ही कहा कि पाकिस्तान ने दावा किया है कि मिग 21 का पायलट उनके हिस्से में है. हम तथ्यों की पुष्टि कर रहे हैं. शाम को खबर आई कि भारत ने पाक दूतावास के उप-उच्चायुक्त को बुलाकर कहा कि पायलट को वापस करना होगा. विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है पाकिस्तान के डिप्टी उच्चायुक्त को बुलाकर भारत ने कड़े शब्दों में एतराज़ ज़ाहिर किया है. बयान में पायलट नहीं कहा गया है. भारत ने कहा है कि भारतीय वायुसेना के घायल सदस्य के साथ पाकिस्तान ने जो घृणित प्रदर्शन किया है वह जिनेवा कन्वेंशन और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के सभी नियमों के खिलाफ है. भारत ने इस पर सख्त एतराज़ जताया. भारत की तरफ से साफ कर दिया गया कि पाकिस्तान को सलाह दी जाती है कि उसके कब्ज़े में मौजूद भारतीय रक्षा अधिकारी को सुरक्षित वापस करना होगा. भारत उम्मीद करता है कि उसकी वापसी जल्दी हो और सुरक्षित हो.

यह बात बेहद महत्वपूर्ण है कि भारत इमरान खान के बातचीत के प्रस्ताव पर विचार कर सकता है. तो क्या इसका यह मतलब माना जाना चाहिए कि पाकिस्तान पायलट को लौटा देगा जल्दी ही. क्योंकि इस सवाल पर भारत में बहुत चिन्ता है. कारगिल युद्ध के समय भी एक पायलट जी नचिकेता पाकिस्तान की गिरफ्त में आ गए थे. उसी शाम को नचिकेता को रिहा कर दिया गया. पायलट का मामला बेहद संवेदनशील है. व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी में उस वीडियो को खूब शेयर किया जा रहा है जो पाकिस्तान से आया है. स्वाभाविक जिज्ञासा के कारण ही लेकिन आपको ऐसा नहीं करना चाहिए.

जिनेवा कन्वेंशन 1949 के चैप्टर 13 में साफ-साफ लिखा है कि युद्ध बंदी का इस्तेमाल लोक जिज्ञासा, यानी पब्लिक क्यूरोसिटी या अपमान के लिए नहीं होना चाहिए. उनके साथ किसी तरह की हिंसा नहीं होनी चाहिए. यह जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन है. पाकिस्तान ने यह कहा है कि अच्छे से ख़्याल रखा जा रहा है मगर युद्ध बंदी का दर्जा नहीं दिया है.

वीडियो में पायलट अपनी पहचान ज़ाहिर कर रहे हैं. उन्हें योद्धा तो माना जा सकता है मगर मौजूदा जिनेवा कन्वेंशन के अनुसार टकराव अंतर्राष्ट्रीय सैन्य टकराव नहीं माना जाएगा. भारत ने अपनी कार्रवाई को गैर फौजी बताया था. न्यूज चैनल चाहे जो कहें, हम पाकिस्तान के साथ युद्ध की स्थिति में नहीं हैं. आधिकारिक रूप से युद्ध का ऐलान नहीं हुआ है. इसलिए भी युद्ध-युद्ध करना ठीक नहीं है.
वैसे भी जिनेवा कन्वेंशन के आर्टिकल 3 में साफ-साफ कहा गया है कि जो बंदी हैं उनके साथ हर हाल में इंसानियत का व्यवहार होना चाहिए. इंसानी व्यवहार को परिभाषित नहीं किया गया है.

भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध का ऐलान नहीं हुआ है. दोनों ही गैर फौजी कार्रवाई बता रहे हैं. मगर चैनलों पर पुराने वीडियो दिखा-दिखाकर यह अहसास कराया जा रहा है कि युद्ध हो गया है. स्टूडियो में वॉर रूम बन गया है. युद्ध के कई चरण होते हैं, इन चरणों के बारे में आप तक सूचना पहुंचाने के लिए चैनलों के पास न तो सब्र है और न ही भाषा. जिनेवा कन्वेंशन का क्लाज़ नंबर 3 है जो 1864 से 1949 तक हर जिनेवा कन्वेंशन में कॉमन रहा है. मगर इसमें भी दिशानिर्देश साफ-साफ नहीं हैं कि कैसे हिरासत में रखना है, उन्हें क्या-क्या देना होता है. एक बार दुश्मनी समाप्त हो जाए, टकराव समाप्त हो जाए  तो जिनेवा कन्वेंशन के आर्टिकल 118-119 के मुताबिक युद्ध बंदियों को छोड़ना पड़ता है. वत्सल ने रिसर्च में मदद की है. युद्ध को लेकर युद्ध करने वाले देशों ने ये परंपरा और नैतिकता बनाई है. अंतिम बार द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1949 में जिनेवा कन्वेंशन अपडेट हुआ था. भारत और पाकिस्तान दोनों ने हस्ताक्षर किए थे. पायलट का मामला तेजी से फैल रहा है. लोगों की चिन्ताओं से जुड़ रहा है. वीडियो को पब्लिक पोस्ट न करें. यह एक सैनिक के सम्मान की भी बात है. वह सम्मान घर में भी होना चाहिए. पायलट के लौटने की दुआ कीजिए, इसमें कोई बुराई नहीं.

राहुल गांधी ने ट्विट किया है हमारे बहादुर पायलट के लापता होने की खबर सुनकर अफसोस हो रहा है. उम्मीद करता हूं कि वे जल्दी घर लौटें. उन्हें किसी तरह का नुकसान न हो. हम इन मुश्किल हालात में अपनी सेना के साथ खड़े हैं.

इसके अलावा आज कई खबरें हुईं. सुबह खबर आई कि भारत में कई एयरपोर्ट बंद कर दिए गए हैं लेकिन थोड़ी देर के बाद आदेश वापस ले लिया गया. आठ हवाई अड्डों को बंद करने की खबर आई थी वो भी तीन महीने के लिए, मगर इसे वापस ले लिया गया. पाकिस्तान ने भी समझौता एक्सप्रेस को रोक दिया है. आर्गेनाइज़ेशन आफ इस्लामिक कंट्री की बैठक में सुषमा स्वराज जाने वाली थीं. मगर पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा है कि अगर भारत उस बैठक में आएगा तो वे नहीं जाएंगे.

श्रीनगर में श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल की छत पर रेड क्रास बनाया जा रहा है. छत हरे रंग की हैं ताकि कोई फौजी ठिकाना न समझ ले और बमबारी न हो जाए. ऐसे निशान तनाव की स्थिति में बनाए जाते हैं. ऐसी खबरें आ रही हैं कि और भी अस्पतालों की छतों पर रेड क्रास के निशान बनाए जा रहे हैं. यूरोपीय बाज़ार में भारतीय कंपनियों के स्टाक में गिरावट आई है. सेंसेक्य में मामूली गिरावट देखी गई.

मंगलवार को आपरेशन के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने कहा था कि देश नहीं झुकने दूंगा. इसके अलावा उन्होंने कुछ भी नहीं कहा. पाकिस्तान का न तो नाम लिया और न ही बातचीत की पेशकश की. बुधवार को पाकिस्तान की कार्रवाई के बाद इमरान खान ने फिर से बातचीत की बात की, युद्ध के विकल्प को गलत बताया. दूसरी तरफ वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ओसामा बिन लादेन को घुसकर मारने की अमरीकी तरकीब का जिक्र किया.

इतनी सारी सूचनाओं को एक साथ बताने में काफी मेहनत करनी पड़ी. चार घंटे लगातार पढ़ना पड़ा और लिखता रहता. अगर मैं इसकी जगह दो लोगों को लेकर चार घंटे भी बात करता तो बहुत कम मेहनत करनी पड़ती. इसलिए आपसे निवेदन है कि आप न्यूज़ चैनलों की उत्तेजना से सावधान रहें. अब वक्त आ रहा है कि आम पब्लिक युद्ध को लेकर ठीक से सोच लें. चैनलों की चिन्ता न करें, वो कल मंदिर या पद्मावती के मुद्दे में खो जाएंगे मगर तनाव का यह माहौल युद्ध की तरफ न ले जाए. युद्ध का विरोध करना युद्ध से घबराने की बात नहीं है बल्कि उन जज़्बातों को लेकर सतर्क करना है जो चैनलों के स्क्रीन पर नकली तरीके से उभारे जाते हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच ऐसे तनाव पहले भी हुए हैं लेकिन क्या युद्ध में बदला है.

हमने हैप्पीमॉन जेकब से बात की है. वे जेएनयू में निरस्त्रीकरण और कूटनीति के एसोसिएट प्रोफेसर हैं. इनकी दो किताबें हैं दोनों ही नियंत्रण रेखा पर टकराव और तनाव के पहलुओं को लेकर हैं. प्रोफेसर जेकब एक वेबसाइट चलाते हैं इंडो-पाक कॉन्फ्लिक्ट मॉनिटर डॉट ओआरजी. जहां भारत और पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर वायलेशन के सारे आंकड़े और विश्लेषण आपको मिलेंगे. 19 तारीख के हिन्दू में हैप्पी मॉन ने एक लेख लिखा था. भारत के सामने चार विकल्प बताए थे. सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक, जैसा कि हुआ, मगर उसमें कहा था कि अगर हमारा कोई विमान गिर गया या पायलट उनकी पकड़ में आ गया तो सरकार के लिए बड़ा हेडेक यानी सिरदर्द बन जाएगा.

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VIDEO: रवीश की रिपोर्ट: भारत-पाक तनाव और मीडिया का तमाशा