PMC खाताधारकों की मुश्किलें कब दूर होंगी?

जनता जब जनता की नहीं होती है तो संख्या फिर संख्या नहीं रह जाती है, ज़ीरो हो जाती है, यह नई जनता है जो कि जनता ही नहीं है, संख्या अब ताकत नहीं है...

PMC खाताधारकों की मुश्किलें कब दूर होंगी?

लोकतंत्र में संख्या बेमानी हो गई है. चुनाव में इस संख्या के दम पर जीत तो हासिल कर लेते हैं, लेकिन उसके बाद इस संख्या का कोई मोल नहीं रह जाता. इसलिए जब पेड़ों के काटने के खिलाफ लोग प्रदर्शन करते हैं तो उन पर सख्त धाराएं लगा दी जाती हैं, ताकि उनकी ज़िंदगी मुकदमों में उलझकर रह जाएं और इस बात से किसी को फर्क नहीं पड़ता है. उसी शहर में जब हज़ारों लोग अपने पैसे की वापसी को लेकर सड़क पर उतरते हैं तो वही शहर उनसे भी बेगाना हो जाता है. उनकी संख्या जितनी भी हो बेमानी हो जाती है. जनता जब जनता की नहीं होती है तो संख्या फिर संख्या नहीं रह जाती, ज़ीरो हो जाती है. वरना किसी की कमाई बैंक में जमा हो और वह अपना ही पैसा पाने की परेशानी से मर जाए, यह बात पूरे शहर को बेचैन करने के लिए काफी थी. कई बार लोग कहते हैं कि यह नया इंडिया है. दरअसल यह नई जनता है जो जनता ही नहीं है. ऐसा नहीं है कि इसका पता किसी को नहीं चलता. जैसे ही आप किसी परेशानी में पड़ते हैं, आपको पता चलता है.

मुंबई में किल्ला कोर्ट के पास पीएमसी के खाताधारक अपने पैसे को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. इसी में शामिल थे संजय गुलाटी. 51 साल के संजय गुलाटी की पूरी जमा पूंजी इस बैंक में है. चार अकाउंट थे, 90 लाख जमा था. सारा पैसा एक बैंक में रखने की यह सज़ा होगी, कौन जानता है. जेट एयरवेज़ में काम करते थे, नौकरी चली गई, तो यही जमा पूंजी सहारा थी. ज़ाहिर है आपका पैसा इस तरह से किसी बैंक में फंस जाए तो होश उड़ जाएंगे. तो संजय भी परेशान होंगे. घर आने के बाद शाम को हार्ट अटैक आया और उनकी मौत हो गई. 46 साल की पत्नी, एक बेटा है. 80 साल के पिता हैं, 75 साल की माता हैं. सब कुछ छूट गया. आज दोपहर संजय का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया. यह बताने का मकसद बिल्कुल नहीं है कि आप जनता हो जाएंगे और पब्लिक की तरह सोचेंगे. वो मुझे पता है कि आप बिल्कुल पब्लिक नहीं होंगे. बस मुझे बताना होता है तो बता रहा हूं. फर्क पड़ता तो संजय गुलाटी की मौत ही न होती. घोटाला संजय ने नहीं किया, मौत संजय की हो गई. घोटाला जिन्होंने किया उनके खिलाफ छापेमारी हो रही है, गिरफ्तारी हो रही है. मगर सज़ा मिलते-मिलते कई साल निकल जाएंगे तब तक बगैर संजय के उनका परिवार कैसे चलेगा, किसी को फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि यह नई जनता है जो जनता ही नहीं है. बिन्दु गुलाटी ने देखा होगा उनके घर मेहनत का पैसा आया लेकिन किसी और की बेईमानी के कारण उनके पति की मौत हो गई. महाराष्ट्र में चुनाव है, फिर भी कोई इनके घर नहीं आया. क्योंकि चुनाव का मुद्दा अलग है. यह मुद्दा नहीं है कि अपने पैसे की चिन्ता में कोई मर गया है.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा है कि चुनाव के बाद पीएमसी बैंक का मसला देखेंगे. लेकिन यह तो रिज़र्व बैंक का मसला है, ये चुनाव तक क्यों रुका है. क्या चुनाव तक इसके खाताधारक बगैर पैसे के रह सकते हैं. क्या हमारे नेता बगैर नोट के चुनाव लड़कर दिखा सकते हैं? संजय गुलाटी जिस सोसायटी में रहते हैं उसके अस्सी फीसदी लोगों का खाता इसी बैंक में है. मौत संजय की हुई है, डरे हुए दूसरे भी हैं.

इस बीच एक और खबर आई है. पीएमसी बैंक के एक और खाताधारक की मौत हो गई है. उनके परिवार वालों का कहना है कि पैसा नहीं मिलने के भय से परेशान थे. मुंबई के मुलुंड में हार्डवेयर की दुकान चलाने वाले फत्तूमल पंजाबी की मौत हो गई. दिल का दौरा पड़ने से मौत हुई है. फत्तूमल पंजाबी का शाम को अंतिम संस्कार कर दिया गया. लोग कितने असहाय और अकेले होते जा रहे हैं. चैनलों पर चुनाव का कवरेज देखिएगा लगेगा कि धरती पर स्वर्ग उतर आया है. लेकिन इस अंतिम यात्रा की ध्वनियों को सुनिए, शायद आपको स्वर्ग के अलावा कुछ और दिखाई दे.

आपको बताया जाता है कि 40 हज़ार छह महीने में निकाल सकते हैं. एक महीने में 6666 रुपया होता है. महाराष्ट्र में कानून है कि हाउसिंग सोसायटी का खाता किसी सहकारी बैंक में ही खुलेगा तो फिर कानून बनाने वालों की ज़िम्मेदारी बनती है कि उस बैंक के डूब जाने पर पैसा कैसे वापस मिलेगा. लेकिन यह सब सवाल किससे पूछा जाए. कई हाउसिंग सोसायटी के एफडी और चालू खाते फ्रीज हो गए हैं. तो फिर वहां काम करने वाले लोगों का वेतन कैसे बंट रहा है. क्या इसे भी चुनाव के बाद देखा जाएगा.

पीएमसी बैंक में जिन लोगों को कातर होता हुआ आप देख रहे हैं, आपकी हालत भी इनसे कोई अलग नहीं है. संयोग ही है कि आपका पैसा इस बैंक में नहीं था. चिट फंड कंपनियां तो लाखों आम लोगों की जमा पूंजी लेकर गायब हो जाती हैं. वे धरना प्रदर्शन करते-करते थक जाते हैं, उनका पैसा नहीं मिलता है. तब भी नहीं मिलता है जब सेबी का आदेश होता है, तब भी नहीं मिलता है जब सुप्रीम कोर्ट का आदेश हो. लेकिन बंगाल में शारदा और राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पर्ल्स एग्रो कार्पोरेशन लिमिटेड का पैसा डूबा, छह करोड़. अगर संख्या की ताकत होती, उसका महत्व होता तो किसी भी राजनीतिक दल के हाथ कांप जाते. वे सड़कों पर उतरकर इन छह करोड़ के लिए संघर्ष करते. जनता के पचास हज़ार करोड़ लेकर कोई निकल गया, हुआ कुछ नहीं. लेकिन खुशी की बात है कि इतनी लूट होने के बाद भी चैनलों पर हिन्दू-मुस्लिम खुशी-खुशी चल रहा है और लोग देख रहे हैं. तभी कहता हूं कि यह नई जनता है जो जनता ही नहीं है.

राजस्थान में छह महीने के भीतर तीन तीन चिट फंड घोटाले हुए हैं. इनमें से एक संजीवनी कोऑपरेटिव सोसायटी के डेढ़ लाख निवेशकों के करीब एक हज़ार करोड़ डूबने के कगार पर हैं. इस कोऑपरेटिव सोसायटी की कई राज्यों में शाखाएं थीं. राजस्थान पुलिस इसकी जांच कर रही है. द वायर और दि प्रिंट में इससे संबंधित ख़बरें छपी हैं. इस बैंक में बीस-बीस लाख तक जमा हैं. अब वो दर-दर भटक रहे हैं. व्हाट्सऐप ग्रुप बनाकर दिन काट रहे हैं. लोग केंद्रीय मंत्री और नेताओं के साथ उठने बैठने की तस्वीरें शेयर कर अपना ग़म हल्का कर रहे हैं. इन गरीब लोगों के पैसे से कंपनी के बड़े लोगों ने न्यूज़ीलैंड में होटल बनाया, दक्षिण अफ्रीका में ज़मीन खरीद ली. सीबी यादव ने तो चिट फंड कंपनियों में डूबे निवेशकों का संगठन बना लिया है.

प्रदर्शन-व्रदर्शन होता रहता है, खबरें-वबरें छपती-वपती रहती हैं, लोग देखते-वेखते रहते हैं, होता-वोता कुछ नहीं है. अंत में व्हाट्सऐप में शेयर-वेयर करके लोग थक जाते हैं. इन सब चिंताओं को दूर रखने के लिए एक सालिड उपाय है. न्यूज़ चैनलों पर राम मंदिर या हिन्दू-मुस्लिम से संबंधित टॉपिक का कवरेज 24 घंटे में से 22 घंटे तय कर दिया जाए. बाकी के दो घंटे में मौसम समाचार दिखाया जाए. इसलिए जब आपका पैसा डूब जाए तो परेशान न हों. कम से कम जान चली जाए इस तरह से परेशान न हों. अपना ख़्याल रखें. महादयालु भारतीय रिज़र्व बैंक पीएमसी के खाताधारकों को हर महीने 6666 रुपये निकालने की अनुमति दे रहा है. पोज़िटिव सोचिए.

उत्तर प्रदेश में पुलिस की रिक्तियों की जगह तैनात किए जाने वाले 25,000 होमगार्ड स्वयंसेवकों की तैनाती समाप्त कर दी गई है. सरकार के आदेश में यही लिखा है कि 25000 होमगार्ड की तैनाती तत्कालिक प्रभाव से समाप्त की जाती है. मेरठ के होमगार्ड के ज़िला होमगार्ड कमांडेंट भी अपने बयान में कहते हैं कि बुलंदशहर में 500 होमगार्ड को तुरंत हटा दिया गया है. मेरठ के 50 होमगार्ड भी आदेश आते ही हटा दिए जाएंगे. पुलिस के आदेश में साफ-साफ लिखा है कि तैनाती समाप्त की जाएगी. उसमें कहीं नहीं लिखा है कि शिफ्ट कम की जाएगी. बुलंदशहर में 500 होमगार्ड हटा दिए गए हैं. लेकिन यूपी के सैनिक कल्याण, होमगार्ड, प्रांतीय रक्षक दल व नागरिक सुरक्षा के मंत्री चेतन चौहान ने कहा है कि होमगार्ड को ज़रूरत के हिसाब से तैनाती की जाएगी. यह बिल्कुल सही है कि यूपी के किसी भी होमगार्ड के जवान को नहीं निकाला जाएगा. निकृष्टतम परिस्थितियों में भी नहीं. जहां तक ड्यूटी समय की बात है, वह शासन की ज़रूरतों पर निर्भर होता है. सरकार के विभिन्न विभागों की ज़रूरत से ही होमगार्ड की ड्यूटी तय होती है. 25000 होमगार्ड की नियुक्ति समाप्त कर दी गई है. मंत्री जी कहते हैं कि शिफ्ट ज़रूरतों के हिसाब से होगी.

जुलाई 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि होमगार्ड को भी पुलिस के बराबर पैसा मिलना चाहिए. इसके लिए इनकी रोज़ की मज़दूरी 500 से बढ़ाकर 672 रुपये कर दिए जाएं. इन्हें जुलाई 2016 से एरियर मिलेगा. जिस समय सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था उसके अगले दिन अखबारों में खबर छपी थी कि यूपी और उत्तराखंड के होमगार्ड जवानों को राहत. यही राहत तीन महीने बाद आफत बन गई है. मीडिया में छपी खबरों के अनुसार बजट पर दबाव था जिसके लिए सरकार तैयार नहीं है. कहां तो बराबर का भुगतान होना था, कहां उनकी नौकरी चली गई. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसी साल जनवरी में योगी सरकार ने ऐलान किया था कि 19000 होमगार्ड जवानों की भर्ती शुरू होगी. अगस्त 2018 में भी योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि होमगार्ड की महत्वपूर्ण भूमिका है.

होमगार्ड को साल भर काम मिल जाता है. इसी से वे घर चलाते हैं. महीने की कमाई 15000 हो जाती थी. अब अगर शिफ्ट भी कम हुई तो उनकी कमाई घट जाएगी. होमगार्ड आईपीएस संघ की तरह तुरंत ट्वीट तो नहीं कर सकते हैं, न बोल सकते हैं, और न ट्रेंड करा सकते हैं. मगर मुज़फ्फरनगर और मिर्ज़ापुर में भी ज़िला मुख्यालय पर होमगार्ड ने जमा होकर प्रदर्शन किया है. मुज़फ्फरनगर में होमगार्ड के जवानों ने जिला मुख्यालय से शिव चौक तक मार्च किया. होमगार्ड के 575 जवानों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया. इनमें महिला होमगार्ड भी शामिल थीं. होमगार्ड के जवानों ने कटोरा लेकर भीख मांगी. बताने के लिए कि अगर सरकार के पास उन्हें देने के लिए पैसे नहीं हैं तो वे सरकार को पैसे देंगे. होमगार्ड के जवानों ने मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा.

2019 के चुनाव से चेतन चौहान से पहले मंत्री रहे अनिल राजभर ने कहा था कि होमगार्ड को ऐसी ट्रेनिंग देंगे कि पाकिस्तान से भी मुकाबला कर लेंगे. अनिल राजभर भाजपा से निकाले जा चुके हैं और 25,000 होमगार्ड भी निकाले जाएंगे. पाकिस्तान से लड़ने के लिए न्यूज़ चैनल काफी हैं. वो लड़ भी रहे हैं. होमगार्ड यूनियन के अध्यक्ष बेहद दुखी हैं.

यूपी पुलिस के जवान बहुत दिनों से मुझे मेसेज भेज रहे हैं कि उनकी पोस्टिंग घर से दूर दूसरे ज़िले में होती है. काम से छुट्टी नहीं मिलती है तो परिवार से मिलने नहीं जा पाते हैं. इस कारण उन्हें अवसाद हो गया है. अब आपको एक और खबर बताता हूं. ये बात आप नान रेज़िडेंट इंडियन को मत बताइएगा. ऐसा शायद अमरीका में न ही होता हो, न इंग्लैंड या आस्ट्रेलिया में. ऐसे शिक्षक जो शिक्षक होने की परीक्षा पास कर चुके हैं लेकिन जिस दिन यानि 15 अक्तूबर को इनकी ज्वाइनिंग थी, उसके ठीक एक दिन पहले आदेश आता है कि ज्वाइनिग नहीं होगी क्योंकि केंद्रीय प्रशासनिक पंचाट ने नियुक्ति पर रोक लगा दी है. नार्मलाइज़ेशन की प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी. चुनौती देने वाले छात्रों को लगता है कि ठीक हुआ है लेकिन जिनका नाम आ गया था, जिन्हें ज्वाइन करना था, उन्हें लगता है कि नाइंसाफी हुई है. इसलिए वे 15 अक्टूबर की सुबह से शाम तक दक्षिण दिल्ली नगर निगम के मुख्यालय के पास जमा हो गए. धरना दिया. क्या आपने सुना है कि टेक्सस में 4000 शिक्षकों की नियुक्ति होनी हो और एक दिन पहले स्टे लग जाए. यह भी सोचिए कि दिल्ली में जब एमसीडी के स्कूलों में 4000 शिक्षकों के पद खाली हैं तो क्लास रूम में क्या होता होगा. कोई और दौर होता तो सुबह से शाम तक यहां ओबी वैन लगा होता. शाम हो गई मगर ठोस जवाब नहीं मिला. शिक्षक फिर घर चले गए. शिक्षकों ने बताया कि फार्म तो 2016 में निकला था. 2017 में परीक्षा हुई मगर कैंसिल हो गई. दोबारा अक्टूबर 2018 में फार्म निकला. फरवरी 2019 में रिज़ल्ट आया. 15 अक्टूबर से ज्वाइनिंग होनी थी तो रोक दिया गया. अब आप सिडनी वालों से पूछकर बताईए कि उनके यहां ऐसा होता है. इस पर भारत के दर्शक तभी सोचें जब न्यूज़ चैनलों के हिन्दू-मुस्लिम डिबेट से टाइम मिले. उस टाइम में बिल्कुल कटौती न करें. क्या पता भारत का कुछ अच्छा होने वाला हो तभी तो दिन रात चैनलों पर ये डिबेट चल रहा है. जैसा कि मैंने शुरू में कहा था. यह नई जनता है जो कि जनता ही नहीं है. संख्या अब ताकत नहीं है. वर्ना लोग बोलते कि स्कूल में 4000 शिक्षक नहीं हैं तो हमारे बच्चों का भविष्य कैसा हो. वर्ना लोग बोलते कि ये क्या सिस्टम है कि ज्वाइनिंग के एक दिन पहले स्टे लग जाता है.

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देश में विमान बनाने से जुड़ी सरकारी कंपनी हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड की सभी इकाइयों के कर्मचारी तीन दिन से हड़ताल पर हैं. लड़ाकू विमान, और हेलीकॉप्टर वगैरह बनाने वाली HAL में इस हड़ताल की वजह से कामकाज ठप पड़ा है. कर्मचारी यूनियन कंपनी के अधिकारियों की ही तरह भत्तों और अन्य सुविधाओं की मांग कर रही हैं लेकिन मैनेजमेंट इसके लिए अभी तक तैयार नहीं है. कर्मचारी यूनियन का आरोप है कि इस मामले में मैनेजमेंट उन्हें गुमराह करने की कोशिश कर रहा है