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This Article is From Jan 21, 2018

न्यूटन, डार्विन के बाद अब बारी एडिसन की, सूर्य ही आदि-बल्ब हैं

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    January 21, 2018 14:28 IST
    • Published On January 21, 2018 14:28 IST
    • Last Updated On January 21, 2018 14:28 IST
भारत जल्दी ही बल्ब और रेडियम के आविष्कारक की घोषणा कर सकता है. रेट्रोस्पेक्टिव इफेक्ट से यानी बैक डेट से. बैक डेट से भले ही दिल्ली के 20 विधायक लाभ के पद से मुक्त नहीं हो सकते मगर बैक डेट से अब एडिसन और मैडम क्यूरी भी खारिज होने वाले हैं. न्यूटन और डार्विन हो चुके हैं. पूरी दुनिया में विज्ञान की किताबें फाड़ी जा रही हैं. नई किताबें छप रही हैं.

भारत के माता पिताओं को अभी तीन चार बच्चों को स्कूल से वापस बुला लेना चाहिए. भारत के मंत्री रोज़ नए नए रिसर्च कर रहे हैं. अगर वे पुराने कोर्स पर बच्चों की पढ़ाई करवाएंगे तो माता पिता को भारी नुकसान हो सकता है. एक बार सारा रिसर्च आ जाए, इन मंत्रियों के प्रधानमंत्री मन की बात में कह दें तब फिर से कोचिंग और स्कूल पर पैसा ख़र्च कीजिए.अभी रूक जाइये.

आप प्लीज़ चेक करें कि मास्टर कहीं अभी भी न्यूटन और डार्विन तो नहीं पढ़ा रहे हैं. इन दोनों की थ्योरी भारत के दो मंत्रियों ने रिजेक्ट कर दी है. अपने बच्चों के लिए सत्यपाल चालीसा ख़रीद लाएं. वही पढ़कर वो अब महान हो जाएंगे. मूर्खता के इस दौर में मूर्ख होने में भी भलाई है. सब ख़ुश रहेंगे. मानव संसाधन राज्य मंत्री ने कहा है कि डार्विन की थ्योरी ग़लत थी क्योंकि बानर से नर बनते किसी ने नहीं देखा. न हमारे पूर्वजों ने देखा, न लिखा इसे भारत के स्कूल कालेजों की किताबों में बदल देना चाहिए.

यह नई थ्योरी है. हमारे पूर्वजों ने जो चीज़ नहीं देखी होगी, उसके बारे में नहीं लिखा होगा, हम उसे नहीं मानेंगे. जैसे मौजूदा हवाई जहाज़ बनते हमारे पूर्वजों ने नहीं देखा, न ही लिखा. जिस समय राइट ब्रदर्स प्रयोग कर रहे थे, उस समय छपरा और सीवान से देखने कोई नहीं गया था. अब कोई भी मंत्री कह सकता है कि एडिसन ने बल्ब का आविष्कार ने नहीं किया. हमारे पूर्वजों ने सूर्य का प्रकाश पहले ही देख लिया था. उसे आदी बल्ब कहा था. ग्राहम बेल जिसने टेलिफोन की खोज की, उसे भी रिजेक्ट कर देंगे ये मंत्री. कोई मंत्र पढ़कर बता देंगे कि हम फोन से बात करते थे.

कोर्स की किताबें तो बदलवा देंगे लेकिन कहीं जीयो स्मार्ट फोन न बदलवा दें. भारत के मंत्री सिर्फ मंत्रालय का ही काम नहीं करते, वहां उनकी प्रयोगशाला भी है जहां वे डार्विन से लेकर ग्राहम बेल के रिसर्च पर रिसर्च कर रहे होते हैं. उनकी काट निकाल रहे होते हैं. भारत में कुछ ग़ज़ब ही हो रहा है. पोज़िटिव बने रहिए. हम फिर से खोज की गई सारी चीज़ों को खोजने जा रहे हैं.

डार्विन को चैलेंज करने वाले मंत्री का नाम है सत्यपाल सिंह. न्यूटन को चैलेंज करने वाले शिक्षा मंत्री का नाम है वासुदेव देवनानी. शानदार बात ये है कि ये सारी चुनौतियां शिक्षा मंत्रियों से मिल रही हैं ताकि संयुक्त राष्ट्र में कोई सवाल भी न उठा सके.

राजस्थान के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा है कि गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत तो न्यूटन से हज़ारों साल पहले ब्रह्मगुप्त द्वितीय ने दे दिया था. इन्हीं मंत्री ने कहा है कि किसी रिसर्च को उठाकर कह दिया कि गाय ही एकमात्र है जो सांस छोड़ती है तो आक्सीजन छोड़ती है. बाकी सारे लोग कार्बन डाइआक्साइड छोड़ते हैं. मंत्री जी अगर तीन चार लाख गायें लेकर दिल्ली आ जाएं, उनसे आक्सीजन छुड़वा दें तो यहां का प्रदूषण दूर हो जाए.

उम्मीद है कि इसरो के वैज्ञानिक न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण को छोड़ ब्रह्मगुप्त के फार्मूले के हिसाब से भी कभी राकेट लांच करेंगे. इसरो को भी कुछ कहना चाहिए था. ब्रह्मगुप्त द्वितीय के बारे में मैं भी पढ़ना चाहूंगा. क्या कोई फार्मूला दिया था, 9.8 बताया था, या सिर्फ कहा था कि आकर्षण है. जान लेने में हर्ज़ नहीं है लेकिन इतनी बड़ी खोज हमारे मंत्री ने कर दी है और उन्हें बाल बहादुरों के साथ वीरता का पुरस्कार नहीं दिया जा रहा है, मैं इसका विरोध करता हूं.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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