प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम रवीश कुमार का खुला खत...

दुख की बात है कि अभद्र भाषा और धमकी देने वाले कुछ लोगों को आप ट्विटर पर फॉलो करते हैं. सार्वजनिक रूप से उजागर होने, विवाद होने के बाद भी फॉलो करते हैं. भारत के प्रधानमंत्री की सोहबत में ऐसे लोग हों, यह न तो आपको शोभा देता है और न ही आपके पद की गरिमा को.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम रवीश कुमार का खुला खत...

रवीश कुमार (फाइल फोटो)

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी,

आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि आप सकुशल होंगे. मैं हमेशा आपके स्वास्थ्य की मंगलकामना करता हूं. आप असीम ऊर्जा के धनी बने रहें, इसकी दुआ करता हूं. पत्र का प्रयोजन सीमित है. विदित है कि सोशल मीडिया के मंचों पर भाषाई शालीनता कुचली जा रही है. इसमें आपके नेतृत्व में चलने वाले संगठन के सदस्यों, समर्थकों के अलावा विरोधियों के संगठन और सदस्य भी शामिल हैं. इस विचलन और पतन में शामिल लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है.

दुख की बात है कि अभद्र भाषा और धमकी देने वाले कुछ लोगों को आप ट्विटर पर फॉलो करते हैं. सार्वजनिक रूप से उजागर होने, विवाद होने के बाद भी फॉलो करते हैं. भारत के प्रधानमंत्री की सोहबत में ऐसे लोग हों, यह न तो आपको शोभा देता है और न ही आपके पद की गरिमा को. किन्हीं ख़ास योग्यताओं के कारण ही आप किसी को फॉलो करते होंगे. मुझे पूरी उम्मीद है कि धमकाने, गाली देने और घोर सांप्रदायिक बातें करने को आप फॉलो करने की योग्यता नहीं मानते होंगे.

आपकी व्यस्तता समझ सकता हूं मगर आपकी टीम यह सुनिश्चित कर सकती है कि आप ऐसे किसी शख्स को ट्विटर पर फॉलो न करें. ये लोग आपकी गरिमा को ठेस पहुंचा रहे हैं. भारत की जनता ने आपको असीम प्यार दिया है, कोई कमी रह गई हो, तो आप उससे मांग सकते हैं, वो खुशी-खुशी दे देगी. मगर यह शोभा नहीं देता कि भारत के प्रधानमंत्री ऐसे लोगों को फॉलो करें, जो आलोचकों के जीवित होने पर दुख जताता हो.

आज जबसे altnews.in पर पढ़ा है कि 'ऊं धर्म रक्षति रक्षित:' नाम के व्हॉट्सऐप ग्रुप में जो लोग मुझे कुछ महीनों से भद्दी गालियां दे रहे थे, धमकी दे रहे थे, सांप्रदायिक बातें कर रहे थे, मुझ जैसे सर्वोच्च देशभक्त व दूसरे पत्रकारों को आतंकवादी बता रहे थे, उनमें से कुछ को आप ट्विटर पर फॉलो करते हैं, मैं सहम गया हूं. प्रधानमंत्री जी, इस व्हॉट्सऐप ग्रुप में मुझे और कुछ पत्रकारों को लेकर जिस स्तरहीन भाषा का इस्तेमाल किया गया वो अगर मैं पढ़ दूं तो सुनने वाले कान बंद कर लेंगे. मेरा दायित्व बनता है कि मैं अपनी सख़्त आलोचनाओं में भी आपका लिहाज़ करूं. महिला पत्रकारों के सम्मान में जिस भाषा का इस्तेमाल किया गया है वो शर्मनाक है.

सोशल मीडिया पर आपके प्रति भी अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया जाता है. जिसका मुझे वाक़ई अफसोस है. लेकिन यहां मामला आपकी तरफ से ऐसे लोगों का है, जो मुझे जैसे अकेले पत्रकार को धमकियां देते रहे हैं. जब भी इस व्हॉट्सऐप ग्रुप से अलग होने का प्रयास किया, पकड़ इसे, भाग रहा है, मार इसे, टाइप की भाषा का इस्तमाल कर वापस जोड़ दिया गया.

राजनीति ने सोशल मीडिया और सड़क पर जो यह भीड़ तैयार की है, एक दिन समाज के लिए, ख़ासकर महिलाओं के लिए बड़ी चुनौती बन जाएगी. इनकी गालियां महिला-विरोधी होती हैं. इतनी सांप्रदायिक होती हैं कि आप तो बिल्कुल बर्दाश्त न करें. वैसे भी 2022 तक भारत से सांप्रदायिकता मिटा देना चाहते हैं. 15 अगस्त के आपके भाषण का भी इन पर प्रभाव नहीं पड़ा और वे हाल हाल तक मुझे धमकियां देते रहे हैं.

अब मेरा आपसे एक सवाल है. क्या आप वाक़ई नीरज दवे और निखिल दधीच को फोलो करते हैं? क्यों करते हैं? कुछ दिन पहले मैंने इनके व्हॉट्सऐप ग्रुप का कुछ स्क्रीन शॉट अपने फेसबुक पेज @RavishKaPage पर ज़ाहिर कर दिया था. altnews.in के प्रतीक सिन्हा और नीलेश पुरोहित की पड़ताल बताती है कि ग्रुप का सदस्य नीरज दवे राजकोट का रहने वाला है और एक एक्सपोर्ट कंपनी का प्रबंध निदेशक है. नीरज दवे को आप फॉलो करते हैं. जब मैंने लिखा कि इतनी अभद्र भाषा का इस्तेमाल मत कीजिए तो लिखता है कि मुझे दुख है कि तू अभी तक जीवित है.

व्हॉट्सऐप ग्रुप के एक और सदस्य निखिल दधीच के बारे में कितना कुछ लिखा गया. पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या हुई तब निखिल दधीच ने उनके बारे में जो कहा, वो आप कभी पसंद नहीं करेंगे, ये और बात है कि आप उस शख़्स को अभी तक फॉलो कर रहे हैं. अगर मेरी जानकारी सही है तो. हाल ही में बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ग़लत तरीके से एडिट की हुई मेरे भाषण का वीडियो शेयर किया था. इससे भ्रम फैला. altnews.in ने उसे भी उजागर किया मगर अमित मालवीय ने अफसोस तक प्रकट नहीं किया.

पर सर, मुझे बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था कि ये निखिल दधीच मेरे मोबाइल फोन में आ बैठा है. घोर सांप्रदायिक व्हॉट्सऐप ग्रुप का सदस्य है जिससे मुझे ज़बरन जोड़ा जाता है. जहां मेरे बारे में हिंसक शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है. वाकई मैंने नहीं सोचा था कि इस ग्रुप के सदस्यों के तार आप तक पहुंचेंगे. काश altnews.in की यह पड़ताल ग़लत हो. निखिल दधीच की तो आपके कई मंत्रियों के साथ तस्वीरें हैं.

यही नहीं, 'ऊं धर्म रक्षति रक्षित:' ग्रुप के कई एडमिन हैं. कई एडमिन के नाम RSS, RSS-2 रखे गए हैं. एक एडमिन का नाम आकाश सोनी है. भारत की दूसरी महिला रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण जी, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा जी और दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी के साथ आकाश सोनी की तस्वीर है. तस्वीर किसी की भी किसी के साथ हो सकती है लेकिन यह तो किसी को धमकाने या सांप्रदायिक बातें करने का ग्रुप चलाता था. आपके बारे में कोई लिख देता है तो उसके व्हॉट्सऐप ग्रुप के एडमिन को गिरफ्तार कर लिया जाता है. मैंने ऐसी कई ख़बरें पढ़ी हैं.

क्या आकाश सोनी RSS का प्रमुख पदाधिकारी है? आकाश सोनी ने मेरे सहित अभिसार शर्मा, राजदीप सरदेसाई और बरखा दत्त के फोन नंबर को अपने पेज पर सार्वजनिक किया है. altnews.in की रिपोर्ट में यह बात बताई गई है.

पहले भी आपके नेतृत्व में चलने वाले संगठन के नेताओं ने मेरा नंबर सार्वजनिक किया है और धमकियां मिली हैं. मैं परेशान तो हुआ परंतु आपको पत्र लिखने नहीं बैठा. इस बार लिख रहा हूं क्योंकि मैं जानना चाहता हूं और आप भी पता करवाएं कि क्या इस व्हॉट्सऐप ग्रुप के लोग मेरी जान लेने की हद तक जा सकते हैं? क्या मेरी जान को ख़तरा है?

मैं एक सामान्य नागरिक हूं और अदना-सा परंतु सजग पत्रकार हूं. जिसके बारे में आजकल हर दूसरा कहकर निकल जाता है कि जल्दी ही आपकी कृपा से सड़क पर आने वाला हूं. सोशल मीडिया पर पिछले दिनों इसका उत्सव भी मनाया गया कि अब मेरी नौकरी जाएगी. कइयों ने कहा और कहते हैं कि सरकार मेरे पीछे पड़ी है. हाल ही में हिन्दुस्तान टाइम्स के संपादक बॉबी घोष को आपकी नापसंदगी के कारण चलता कर दिया गया. इसकी ख़बर मैंने thewire.in में पढ़ी. कहते हैं कि अब मेरी बारी है. यह सब सुनकर हंसी तो आती है पर चिन्तित होता हूं. मुझे यकीन करने का जी नहीं करता कि भारत का एक सशक्त प्रधानमंत्री एक पत्रकार की नौकरी ले सकता है. तब लोग कहते हैं कि थोड़े दिनों की बात है, देख लेना, तुम्हारा इंतज़ाम हो गया है. ऐसा है क्या सर?

ऐसा होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है. परंतु ऐसा मत होने दीजिएगा. मेरे लिए नहीं, भारत के महान लोकतंत्र की शान के लिए, वरना लोग कहेंगे कि अगर मेरी आवाज़ अलग भी है, तल्ख़ भी है तो भी क्या इस महान लोकतंत्र में मेरे लिए कोई जगह नहीं बची है? एक पत्रकार की नौकरी लेने का इंतज़ाम प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री के स्तर से होगा? ऐसी अटकलों को मैं व्हॉट्सऐप ग्रुप में दी जाने वाली धमकियों से जोड़कर देखता हूं. अगर आप इन लोगों को फॉलो नहीं करते तो मैं सही में यह पत्र नहीं लिखता.

मेरे पास अल्युमिनियम का एक बक्सा है जिसे लेकर दिल्ली आया था. इन 27 वर्षों में ईश्वर ने मुझे बहुत कुछ दिया मगर वो बक्सा आज भी है. मैं उस बक्से के साथ मोतिहारी लौट सकता हूं, लेकिन परिवार का दायित्व भी है. रोज़गार की चिन्ता किसे नहीं होती है. बड़े बड़े कलाकार सत्तर-पचहत्तर साल के होकर विज्ञापन करते रहते हैं, ताकि पैसे कमा सकें. जब इतने पैसे वालों को घर चलाने की चिन्ता होती है तो मैं कैसे उस चिन्ता से अलग हो सकता हूं. मुझे भी है.

आप मेरे बच्चों को तो सड़क पर नहीं देखना चाहेंगे. चाहेंगे? मुझसे इतनी नफ़रत? मेरे बच्चे तब भी आपको दुआ देंगे. मुझे सड़क से प्यार है. मैं सड़क पर आकर भी सवाल करता रहूंगा. चंपारण आकर बापू ने यही तो मिसाल दी कि सत्ता कितनी बड़ी हो, जगह कितनी भी अनजान हो, नैतिक बल से कोई भी उसके सामने खड़ा हो सकता है. मैं उस महान मिट्टी का छोटा सा अंश हूं.

मैं किसी को डराने के लिए सच नहीं बोलता. बापू कहते थे कि जिस सच में अहंकार आ जाए वो सच नहीं रह जाता. मैं ख़ुद को और अधिक विनम्र बनाने और अपने भीतर के अंतर्विरोधों को लेकर प्रायश्चित करने के लिए बोलता हूं. जब मैं बोल नहीं पाता, लिख नहीं पाता, तब उस सच को लेकर जूझता रहता हूं. मैं अपनी तमाम कमज़ोरियों से आज़ाद होने के संघर्ष में ही वो बात कह देता हूं जिसे सुनकर लोग कहते हैं कि तुम्हें सरकार से डर नहीं लगता. मुझे अपनी कमज़ोरियों से डर लगता है. अपनी कमज़ोरियों से लड़ने के लिए ही बोलता हूं. लिखता हूं. कई बार हार जाता हूं. तब ख़ुद को यही दिलासा देता कि इस बार फेल हो गया, अगली बार पास होने की कोशिश करूंगा. सत्ता के सामने बोलना उस साहस का प्रदर्शन है जिसका अधिकार संविधान देता है और जिसके संरक्षक आप हैं.

मैं यह पत्र सार्वजनिक रूप से भी प्रकाशित कर रहा हूं और आपको डाक द्वारा भी भेज रहा हूं. अगर आप निखिल दधीच, नीरज दवे और आकाश सोनी को जानते हैं तो उनसे बस इतना पूछ लीजिए कि कहीं इनका या इनके किसी ग्रुप का मुझे मारने का प्लान तो नहीं है. पत्र लिखने के क्रम में अगर मैंने आपका अनादर किया हो, तो माफ़ी मांगना चाहूंगा.

आपका शुभचिंतक
रवीश कुमार
पत्रकार
NDTV इंडिया


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com