क्या वाकई हार्दिक पांड्या जैसे ऑलराउंडर की सख्त जरूरत है ?

क्या वाकई हार्दिक पांड्या जैसे ऑलराउंडर की सख्त जरूरत है ?

हार्दिक पांड्या को इंग्‍लैंड के खिलाफ होने वाले पहले दो टेस्‍ट की टीम में स्‍थान मिला है (फाइल फोटो)

एक समय था, इंग्लैंड में हर किसी को इयान बॉथम बनाकर टीम में लाया जाता था. बताया जाता था कि वो अगला सबसे बड़ा ऑलराउंडर है. डरमट रीव, एडम होलिओक से लेकर क्रेग व्हाइट और बेन होलिओक तक हर किसी को अगला बॉथम बताकर खिलाया जाता रहा. यह अलग बात है कि इयन बॉथम उन्हें आज भी नहीं मिला है. सवाल यही है कि क्या भारतीय क्रिकेट को अचानक लगने लगा है कि बगैर ऑलराउंडर के कुछ नहीं हो सकता?

इंग्लैंड के खिलाफ पहले दो टेस्ट के लिए हार्दिक पांड्या को लिया जाना शिद्दत से ऑलराउंडर ढूंढने की तरह ही देखा जा सकता है. टीम चयन के बाद मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने कहा भी कि तीन ऑलराउंडर हैं-स्टुअर्ट बिन्नी, ऋषि धवन और हार्दिक पांड्या. इनमें से उन्होंने एक को चुना है. इसकी वजह भी बताई कि पांड्या की गेंदों में रफ्तार बढ़ी है, उनका खेल को लेकर रवैया बेहतर हुआ है. लेकिन सवाल फिर भी वही है कि क्या वाकई पांड्या उस स्तर पर पहुंच गए हैं, जहां किसी को टेस्ट कैप दी जाए? और अगर नहीं पहुंचे हैं, तो महज एक ऑलराउंडर लेने के नाम पर इस तरह के फैसले की जरूरत है? यह भी ध्यान रखने की बात है कि अगले काफी समय भारत को अपने घर से बाहर टेस्ट नहीं खेलने हैं. ऐसे में क्या अपनी सरजमीं पर फास्ट बॉलिंग ऑलराउंडर को जगह मिलेगी? पिछले साल दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बेंगलुरू टेस्ट में स्टुअर्ट बिन्नी खेले थे. पूरी पारी में उन्होंने तीन ओवर गेंदबाजी की थी. अगले मैच में बाहर कर दिए गए थे.

कैसा रहा है हार्दिक पांड्या का रिकॉर्ड
पांड्या ने अब तक 16 फर्स्ट क्लास मैच खेले हैं. करीब 28 का बल्लेबाजी औसत है. करीब 34 का गेंदबाजी औसत. पिछले तीन फर्स्ट क्लास मैचों में उन्होंने पांच विकेट लिए हैं. इन मैचों में उनका बेस्ट स्कोर 79 है. इनमें से दो मैच ऑस्ट्रेलिया में ऑस्ट्रेलिया 'ए' के खिलाफ ब्रिस्बेन में खेले गए थे. क्या टेस्ट टीम में जगह पाने के लिए इस तरह का प्रदर्शन काफी है?  चलिए, मान लेते हैं कि जैसा एमएसके प्रसाद कह रहे हैं, उनमें बड़ी क्षमताएं हैं. राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले ने उन पर काफी काम किया है. लेकिन क्या आप उन्हें राजकोट में खेलता देख रहे हैं?

दो टेस्ट मैचों में चयनकर्ताओं ने चार तेज गेंदबाज चुने हैं. पहला टेस्ट राजकोट में ही होना है. ध्यान रखिए, यहीं पर रवींद्र जडेजा ने रणजी ट्रॉफी में तिहरा शतक जमाया था. उसके ठीक बाद सौरव गांगुली से जब किसी ने इस पारी का जिक्र किया था, तो उन्होंने टिप्पणी की थी यह भी ध्यान रखिए कि स्कोर कहां बनाया गया है. इससे राजकोट की पिच का मिज़ाज साफ हो जाता है. अगर धूप में पानी कम दिया जाए, तो पिच का मिज़ाज स्पिनर्स की तरफ चला जाएगा. ऐसे में अगर पांच गेंदबाजों को खिलाने की बात हो, तो तीन स्पिनर्स होंगे या तेज गेंदबाज? अगर तीन स्पिनर होंगे, तो फिर हार्दिक पांड्या को रणजी ट्रॉफी में क्यों नहीं खेलने दिया गया?

क्यों नहीं मानते अश्विन को ऑलराउंडर
जिस शिद्दत से चयनकर्ता ऑलराउंडर ढूंढ रहे हैं, उसमें एक सवाल उभरता है. क्या वाकई ऑलराउंडर की इस कदर जरूरत है? टीम इंडिया के पास अश्विन हैं, जिनका टेस्ट में 33 से ज्यादा बल्लेबाजी और 24 के करीब गेंदबाजी औसत है. दोनों में वो हार्दिक पांड्या के फर्स्ट क्लास रिकॉर्ड से बेहतर है. एक समय टीम थिंक टैंक उन्हें ओपनर के तौर पर इस्तेमाल करने पर विचार भी कर रहा था. वो भी भारत से बाहर. ऐसे खिलाड़ी को अपने देश में एक ऑलराउंडर मानने में क्या समस्या है? फिर पिछली सीरीज में ऋद्धिमान साहा ने दिखाया कि बल्लेबाजी में उन्होंने काफी तरक्की की है. जडेजा अपनी सरजमीं पर ऑलराउंडर की तरह ही हैं. ऐसे में हमें और कितने ऑलराउंडर चाहिए? अगर कोई वाकई उभरकर आ रहा हो, तो अलग बात है. सिर्फ इस जिद में कि देश में तीन मध्यम तेज गेंदबाज-कम-बल्लेबाज हैं, तो उनमें से एक लिया ही जाना चाहिए.

क्या हो सकती है टीम
15 की जो टीम चुनी गई है, उसमें ओपनर तय हैं. गौतम गंभीर और मुरली विजय. चेतेश्वर पुजारा, विराट कोहली और अजिंक्य रहाणे अगले तीन बल्लेबाज हैं. नंबर छह पर रोहित थे. सवाल यही है कि यहां पर कौन होगा? करुण नायर, जो विशेषज्ञ बल्लेबाज हैं या हार्दिक पांड्या? पांड्या को खिलाने का मतलब तीन तेज गेंदबाजों के साथ खेलना. लेकिन राजकोट जैसी विकेट पर? अगर पांच गेंदबाजों के साथ खेलना है, तो नंबर छह पर अश्विन को खिलाने में क्या समस्या है? फिर सात पर साहा, आठ पर जडेजा होंगे. उसके बाद बची तीन जगह अमित मिश्रा, शमी और इशांत को जा सकती हैं. चार गेंदबाज खेले, तो करुण नायर छठे नंबर पर होंगे. ऐसे में हार्दिक पांड्या की क्या वाकई जगह बन पाएगी?

शायद चयन समिति को जगह बनती दिख रही होगी, तभी उन्होंने हार्दिक को टीम में लिया है. लेकिन अगर ऐसा नहीं है और सिर्फ बाहर बिठाने के लिए लिया गया है, तो यह हार्दिक के साथ भी अन्याय है. जैसा चयनकर्ता ने कहा, वाकई पांड्या में बहुत तेजी से सुधार हो रहा है, तो उन्हें लगातार लंबे फॉरमेट वाले क्रिकेट मैच खेलने की जरूरत है, जो इस वक्त भारतीय सरजमीं पर चल रही है. यानी रणजी ट्रॉफी. उन्हें क्यों रणजी ट्रॉफी में एक सीजन और नहीं खेलने दिया जा सकता? क्या वाकई ऑलराउंडर की इतनी जरूरत है, वो भी अपनी सरजमीं पर?

शैलेश चतुर्वेदी वरिष्‍ठ खेल पत्रकार और स्तंभकार हैं...

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