शरद शर्मा की खरी खरी : केजरीवाल की ईमानदारी पर हमला क्यों?

आप पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की फाइल तस्वीर

नई दिल्ली:

मंगलवार 3 फरवरी शाम को रोहिणी की रैली में पीएम नरेंद्र मोदी ने केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर करारा हमला करते हुए कहा कि जिनके पास स्विंस बैंकों के खाते की जानकारी है वो कहते हैं कि हमको किसने चंदा दिया पता नहीं। इससे पहले वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि आप के नेता रंगे हाथों पकड़े गए हैं और इससे भी पहले अखबार में विज्ञापन आया जिसमें केजरीवाल का नाम लिए बिना कहा गया कि केजरीवाल ने फर्जी कंपनियों से काला धन लिया है और केजरीवाल राजनीति में स्वच्छता का ढोंग कर रहे हैं।

इससे जोश में आकर अरविंद केजरीवाल ने शाम को त्रिलोकपुरी की जनसभा में कह दिया कि वित्तमंत्री कहते हैं कि मैं हवाला का काम करता हूं तो मैं वित्तमंत्री जी को चुनौती देता हूं, पुलिस उनके पास है, खुफिया विभाग उनके पास है, प्रवर्तन निदेशालय उनके पास है हिम्मत है तो मुझे गिरफ्तार करके दिखाओ।

ये सब यहां तक इसलिए पहुंचा क्योंकि आम आदमी पार्टी से अलग हुए कुछ कार्यकर्ताओं ने अवाम (आप वालंटियर्स एक्शन मंच) बनाया और पार्टी के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया। पार्टी की कार्य प्रणाली पर इस ग्रुप ने पहले भी हमले किए लेकिन चुनाव से 4 दिन पहले पार्टी पर फर्जी कंपनियों से 2 करोड़ रुपये का चंदा लेने का आरोप लगाकर पार्टी को सवालों के घेरे में ला दिया।

पार्टी ने भी जवाब दिया और बताया कि चंदा चेक से लिया गया और पैन नंबर वगैरह लेने जैसी सारी सावधानी पार्टी ने बरती थी इसलिए पार्टी की इसमें कोई गलती नहीं। सुप्रीम कोर्ट से मांग कर डाली आप समेत बीजेपी और कांग्रेस सबके चंदे की जांच एसआईटी से कराए, लेकिन आरोप अवाम का था और मौका देखकर इसको लपक लिया बीजेपी और ताबड़तोड़ हमले शुरू कर दिए।

असल में ये हो क्या रहा है....?

बीजेपी को पहली बार केजरीवाल की ईमानदारी पर हमला करने का मौका मिला। केजरीवाल की जनता के बीच चाहे कैसी भी छवि रही हो, कोई भगोड़ा कहे या धरना मास्टर या फिर यू-टर्न वाला,  लेकिन केजरीवाल की ईमानदारी पर कभी कोई सवाल नहीं उठा  और उनकी ईमानदारी पर अभीतक न कांग्रेस हमला कर पाई थी और न बीजेपी। लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी केजरीवाल की ईमानदारी पर सवाल खड़े नहीं कर सकती थी इसलिए सोशल मीडिया पर दूसरे प्रचार में उनको भगोड़ा कहकर उनका मज़ाक बनाकर उनके बारे में चुटकुले चलाकर उनके प्रभाव को कम करने और केजरीवाल का कद घटाने कोशिश की जिसमें वो कामयाब भी हुई।

लेकिन अब विधानसभा के समय ये सारे नुस्खे उसके कामयाब होते नहीं दिखे और एक वक्त जहां केजरीवाल की आम आदमी पार्टी बीजेपी सामने बेहद पिछड़ रही थी आज वो समय आ गया है लगभग सारे ओपिनियन पोल केजरीवाल को दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री बनने की भविष्यवाणी कर रहे हैं। इसलिए बीजेपी ने अपनी सारी ताकत तो झोंक ही दी, लेकिन केजरीवाल के ईमानदारी पर हमला करने का ये मौका वो किसी सूरत में छोड़ ही नहीं सकती। क्योंकि आम आदमी पार्टी केवल केजरीवाल के नाम पर खड़ी है और केजरीवाल अपनी ईमानदारी के दम पर खड़े हैं इसलिए पूरा हमला केजरीवाल की ईमानदारी पर हो रहा है।

और ये हमला हो क्यों रहा है?

पहली नज़र में मामले में आम आदमी पार्टी कहीं फंसती नज़र तो नहीं आती क्योंकि सारी औपचारिकताएं पूरी करके ही पार्टी ने अपनी वेबसाइट पर जानकारी डाली लेकिन बात ये है कि आम आदमी पार्टी के बारे में माना जाता है कि ये इसके नेताओं के पास सारे नेताओं, कॉरपोरेट, वगैरह का कच्चा चिठ्ठा पड़ा होता इनके इंटेलिजेंस सोर्स पर्दे के पीछे की कहानी जानकर किसी के भी बारे में काफी जानकारी जुटा लेते हैं और इसलिए इस पार्टी के लोग बताते हैं कि कौन ईमानदार है और कौन बेईमान। तो ये कैसे हो गया कि पार्टी को उस कंपनी की सच्चाई नहीं मालूम जिससे वो 50-50 लाख रुपये के चेक ले रही है। आखिर 50 लाख के चेक ऐसे भी नहीं होते कि इतने सारे आ रहे हों कि पार्टी इन पर ज्यादा सतर्कता नहीं बरत सकती?

असल में मामला क्या हुआ है, ये तो जांच के बाद ही कहा जा सकता है लेकिन चुनाव तब तक इंतज़ार थोड़े ही करेंगे वो तो बस हुए समझो...

इसलिए इस बात पर भी सवाल उठता है कि अप्रैल में हुए इस मामले को अब क्यों उछाला गया जब वोट पड़ने ही वाले हैं?

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खैर इस मामले में बहुत से ऐसे तथ्य हैं जो जब तक सामने न आ जाएं तब तक इस पर कुछ नहीं कहा सकता.... लेकिन इतना तो सीधे तौर पर कह सकता हूं कि निशाना केजरीवाल की ईमानदारी पर ही है, वो ईमानदारी जिसके दम पर पूरी पार्टी खड़ी है।