सुशील महापात्रा की कलम से : जब किस्मत ने किया किनारा

नई दिल्ली:

भारत और साउथ अफ्रीका रविवार को वर्ल्ड कप में चौथी बार एक-दूसरे से भिड़ने जा रहे हैं। अगर इतिहास के नजरिये से देखा जाए तो आज तक खेले गए तीन मैचों में साउथ अफ्रीका ने भारत को आसानी से हराकर यह साबित किया है कि वह भारत से आगे है।

भारत को साउथ अफ्रीका से वर्ल्ड कप में ज्यादा मैच खेलने का अनुभव है, लेकिन भारत के खिलाफ साउथ अफ्रीका की जीत का प्रतिशत 100 रहा है। भारत वर्ल्ड कप में अपना पहला मैच 1975 से खेल रहा है, जबकि साउथ अफ्रीका की एंट्री 1992 में हुई है।

रंग भेदभाव की वजह से साउथ अफ्रीका पर 1970 से अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन 11  फरवरी 1990 को नेल्सन मंडेला जेल से रिहा होने के बाद साउथ अफ्रीका को अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने के लिए अनुमति मिल गई, लेकिन 1992 में चुने गई साउथ अफ्रीका की वर्ल्ड कप टीम में सिर्फ एक श्वेत खिलाड़ी ओमर हेनरी को टीम में जगह मिली थी, जिसकी वजह से साउथ अफ्रीका के सेलेक्टर्स को समालोचना का सामना करना पड़ा था। सबको लग रहा था कि अनुभव न होने की वजह से साउथ अफ्रीका अपने पहले वर्ल्ड कप में अच्छा नहीं खेलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भारत को हराने के साथ-साथ साउथ अफ्रीका अपने 8 मैचों में पांच जीत के साथ सेमीफाइनल में पहुंचा था।

जब साउथ-अफ्रीका इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए जीत की तरफ बढ़ रहा था तब बारिश ने साउथ-अफ्रीका से यह जीत छीन ली थी। साउथ अफ्रीका को जीत के लिए आखिर 7 गेंदों में 21 रनों की जरूरत थी, लेकिन बारिश की वजह से डकवर्थ -लेविस नियम के तहत साउथ अफ्रीका को एक गेंद पर 21 रन बनाने का टारगेट दिया गया था, जो नामुमकिन था।

भारत के साथ खेले गए मैच में साउथ अफ्रीका ने भारत को छह विकेट से हराया था। बारिश की वजह से मैच ओवर 50 से घटाकर 30 ओवर कर दिया गया था। भारत पूरा 30 ओवर खेलते हुए 180 रन बना पाया था। कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन शानदार 79 रनों की पारी खेले थे। साउथ अफ्रीका ने 29.1 ओवर में चार विकेट खोकर यह मैच जीत लिया था। इस मैच के बाद कृष्णमाचारी श्रीकांत ने एकदिवसीय मैच से सन्यास ले लिया था।
 
1992 की तरह 1999 में भी मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में भारत साउथ अफ्रीका के खिलाफ वर्ल्ड कप इतिहास का दूसरा मैच खेल था। 15 मई 1999 को खेले गए इस मैच में साउथ-अफ्रीका ने भारत को चार विकेट से हराया था।

भारत के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने टॉस जीतने के बाद पहले बल्लेबाजी करते हुए 253 रन बनाए थे। भारत के ओपनर सौरभ गांगुली ने इस मैच में 97 रनों की शानदार पारी खेली थी। 254 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए साउथ अफ्रीका ने 47.2 ओवर में 6 विकेट पर विजय लक्ष्य प्राप्त कर लिया था।

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साउथ अफ्रीका की तरफ कालिस 96 रनों की पारी खले थे और उन्हें मैन ऑफ़ द मैच का ख़िताब मिला था। 1999  वर्ल्ड कप में भी साउथ अफ्रीका शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए सेमी-फाइनल तक पहुंचा था, लेकिन 1992 की तरह 1999 में भी भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गया सेमी-फाइनल मैच टाई हो गया था और अच्छे रन रेट के वजह से ऑस्ट्रेलिया फाइनल में पहुंचा था।
 
12 मार्च 2011 में भारत और साउथ अफ्रीका के बीच वर्ल्ड कप इतिहास का तीसरा मैच नागपुर में खेला गया। ऐसा लग रहा था कि घरेलू मैदान पर भारत साउथ अफ्रीका को हरा देगा। सचिन तेंदुलकर के शानदार शतक के बावजूद भी भारत यह मैच जीत नहीं पाया था। पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने साउथ अफ्रीका के सामने 298 रनों का लक्ष्य रखा था, लेकिन साउथ अफ्रीका ने इस मैच को तीन विकेट से जीत लिया था। डेल स्टेन ने इस मैच कमाल की गेंदबाजी करते हुए पांच विकेट लिए थे और उन्हें मैन ऑफ़ द मैच का अवार्ड मिला था।
 
भारत और साउथ अफ्रीका के बीच खेले गए तीन मैचों में से तीन बार भारत ने टॉस जीता है और तीन बार पहले बैटिंग करते हुए मैच हारा है। सचिन तेंदुलकर एक ऐसे खिलाड़ी हैं, जो भारत और साउथ अफ्रीका के बीच अभी तक खेले गए हर वर्ल्ड कप मैच में खेल चुके हैं।