क्या इरादा है कांग्रेस के बयानवीरों का...

शशि थरूर की बात करें तो वे कई बार अपने बयानों से पार्टी को परेशानी में डाल चुके है. उनका ताजा बयान अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर है.

क्या इरादा है कांग्रेस के बयानवीरों का...

कांग्रेस नेता शशि थरूर (फाइल फोटो)

विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही कांग्रेस के भीतर से ही बयानवीरों ने पाटी्र की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. नेताओं में होड़ लगी है कि कैसे बयान देकर पार्टी को बचाव की मुद्रा में ला खड़ा करें. कांग्रेस यह तय नहीं कर पा रही है कि इन नेताओं के बयानों से हो रहे नुकसान की भरपाई कैसे करे और उनसे खुद को दूर कैसे करे. पिछले दो दिनों में शशि थरूर और नवजोत सिंह सिद्धू के बयानों ने कांग्रेस को परेशानी में डाल दिया है. थरूर ने गुड तालिबान बैड तालिबान की तर्ज पर गुड हिंदू बैड हिंदू की बहस छेड़ दी है. वहीं सिद्धू कह रहे हैं कि दक्षिण भारत जाने की तुलना में पाकिस्तान जाना ज्यादा बेहतर है. जाहिर है बीजेपी ने इन दोनों ही नेताओं के बयानों को तूल दे दिया है.

शशि थरूर की बात करें तो वे कई बार अपने बयानों से पार्टी को परेशानी में डाल चुके है. उनका ताजा बयान अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर है. रविवार को 'द हिंदू लिट फॉर लाइफ डायलॉग 2018' में चेन्नई में थरूर ने बाबरी मस्जिद के विध्वंस का जिक्र किया. थरूर ने कहा कि अधिकांश हिन्दुओं का विश्वास है कि अयोध्या भगवान राम का जन्म स्थान है. लेकिन कोई भी अच्छा हिन्दू नहीं चाहेगा कि किसी दूसरे के पूजा स्थल को तोड़ कर वहां राम मंदिर बनाया जाए.

थरूर का यह बयान ऐसे समय आया है जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मंदिर यात्राओं पर निकले हुए हैं. आज भी मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान वे दतिया में थे जहां वे मंदिर गए. उनके साथ कमलनाथ और ज्योतारादित्य सिंधिया भी थे. तीनों नेताओं ने मंदिर जाने से पहले पोशाक बदली और बाकायदा भगवा धोती पहनी. उन्होने चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में अपने दो दिन के अभियान की शुरुआत दतिया के प्रसिद्ध मां पीतांबरा पीठ मंदिर में पूजा-अर्चना कर की. वे आज सुबह ग्वालियर से वहां हेलीकॉप्टर से पहुंचे थे. उन्होंने करीब आधे घंटे तक वहां पूजा पाठ किया. इससे पहले उनकी दादी स्वर्गीय इंदिरा गांधी 1979 में आम चुनावों से पहले वहां गई थीं. प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने पीठ के दर्शन किए थे. राहुल के पिता राजीव गांधी ने भी प्रधानमंत्री बनने के बाद दतिया में मां पीतांबरा पीठ के दर्शन किए थे.

हालांकि विवाद बढ़ने पर कांग्रेस ने सफाई दी. कांग्रेस ने खुद को थरूर के बयान से अलग किया. बाद में थरूर भी सफाई देने के लिए मैदान में उतरे. उन्होंने सफाई देने के लिए ट्वि‍टर का सहारा लिया. उन्होंने कहा कि 'अपने सियासी आकाओं की सेवा में मीडिया के कुछ लोगों की ओर से मेरे शब्दों को शरारतपूर्ण ढंग से तोड़-मरोड़ने की मैं निंदा करता हूं. मैंने कहा था- अधिकांश हिंदू चाहते हैं कि राम जन्मभूमि पर मंदिर बने. लेकिन कोई भी अच्छा हिंदू नहीं चाहेगा कि यह किसी दूसरे के धर्मस्थान को तोड़ कर बनाया जाए.'

थरूर ने यह भी कहा कि एक लिट फेस्टीवल में उनसे उनकी व्यक्तिगत राय पूछी गई थी जो उन्होंने बता दी. थरूर ने कहा कि वे कांग्रेस के प्रवक्ता नहीं हैं और न ही उसकी ओर से बोलने का दावा करते हैं.

लेकिन मौके की तलाश में बैठी बीजेपी थरूर को सफाई से संतुष्ट नहीं है. बीजेपी प्रवक्ता शहनवाज़ हुसैन ने पूछा कि क्या थरूर अस्थाई मंदिर को हटाने की मांग कर रहे हैं जहां रोज पूजा होती है. उन्होंने कहा कि ऐसी मांग तो किसी ने नहीं की है. बीजेपी ने कहा कि इससे कांग्रेस का असली चेहरा सामने आ गया है.

वैसे यह पहली बार नहीं जब थरूर की बयानों से कांग्रेस असहज हुई हो. वे इससे पहले कह चुके हैं कि अगर बीजेपी 2019 में फिर जीती तो भारत को हिंदू पाकिस्तान बना दिया जाएगा. इस साल जुलाई में उन्होंने तिरुवनंतपुरम में कहा था कि 'अगर वे लोकसभा में अपनी मौजूदा संख्या को दोहरा लेने में कामयाब हो जाते हैं तो हमारा अपना लोकतांत्रिक संविधान नहीं बचेगा. क्योंकि तब संविधान को दरकिनार करने के लिए जरूरी तीनों तत्व उनके पास होंगे और वे नया संविधान लिख देंगे. उसमें हिंदू राष्ट्र का सिद्धांत होगा. अल्पसंख्यकों के लिए समानता खत्म कर दी जाएगी और हिंदू पाकिस्तान बना दिया जाएगा जिसके लिए महात्मा गांधी, नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना आजाद और हमारे स्वतंत्रता संग्राम की अन्य महान हस्तियों ने संघर्ष नहीं किया था.'

बाद में फेसबुक पोस्ट के जरिए थरूर ने अपने बयान का बचाव किया था. उन्होंने कहा था कि बीजेपी और आरएसएस का हिंदू राष्ट्र का विचार पाकिस्तान जैसा ही है. लेकिन कांग्रेस ने तब भी खुद को थरूर के बयान से अलग कर लिया था. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कई ट्वीट कर कांग्रेस की स्थिति स्पष्ट की थी. उन्होंने कहा था कि 'भारत के मूल्य और आधारभूत सिद्धांत हमें पाकिस्तान के विभाजनकारी विचार से अलग करते हैं. कांग्रेस के सभी नेताओं को वह ऐतिहासिक जिम्मेदारी याद रखनी चाहिए जो उन्हें सौंपी गई है. उन्हें बीजेपी की नफरतभरी राजनीति को खारिज करते समय अपने शब्द और शब्दावली के चयन में यह याद रखना चाहिए. मोदी सरकार पिछले चार साल में बनाए गए विभाजन, सांप्रदायिक कट्टरता, नफरत, असहिष्णुता और ध्रुवीकरण के माहौल से चल रही है. जबकि दूसरी ओर कांग्रेस भारत के सभी धर्मों और पंथों की विविधिता, बहुसंस्कृति, उदारता और सौहार्द्र के मूल्यों को प्रतिनिधित्व करती है.

लेकिन साफ है कि चाहे थरूर हों या फिर नवजोत सिंह सिद्धू, इन कांग्रेसी नेताओं तक यह बात नहीं पहुंची है. वर्ना अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान वहां की सेना के प्रमुख को गले लगा कर विवाद खड़ा करने वाले सिद्धू एक बार फिर विवादास्पद बयान नहीं देते. उन्होंने भी एक लिट फेस्टीवल में ही विवाद खड़ा किया. कसोल में उन्होंने कहा कि जब वे तमिलनाडु जाते हैं तो वहां की भाषा नहीं समझ पाते. ऐसा नहीं है कि उन्हें वहां का खाना पसंद नहीं आता लेकिन लंबे समय तक उसे नहीं खा सकते. वहां की संस्कृति बिल्कुल अलग है. लेकिन जब वे पाकिस्तान जाते हैं तो उन्हें कोई परेशानी नहीं होती. वहां की भाषा समान है और वहां की हर चीज शानदार है.

उनका इरादा शायद पंजाब की संस्कृति, बोलचाल, खानपान में एकरूपता को रेखांकित करना रहा होगा. लेकिन दक्षिण भारत के बारे में उनकी टिप्पणी से हंगामा खड़ा हो गया. बीजेपी उन पर लगातार दो दिनों से हमला बोल रही है. पार्टी ने इसके लिए अपने दक्षिण भारतीय चेहरे को भी मैदान में उतार दिया.

चाहे सिद्धू हों या फिर थरूर, इन दोनों नेताओं के ही बारबार विवाद खड़ा करने की पीछे की मंशा पर भी अब कांग्रेस के भीतर ही सवाल उठने लगे हैं. इससे पहले गुजरात चुनाव और आम चुनावों से पहले मणिशंकर अय्यर के बयानों से कांग्रेस बचाव की मुद्रा में आ चुकी है. हालांकि गुजरात चुनाव के वक्त पीएम मोदी पर विवादास्पद टिप्पणी करने के बाद अय्यर को कांग्रेस से बाहर कर दिया गया था लेकिन बाद में उनकी वापसी भी हो गई. ऐसे में यह भी सवाल उठता है कि ये सारे बयानवीर कहीं किसी रणनीति का हिस्सा तो नहीं हैं.

(अखिलेश शर्मा NDTV इंडिया के राजनीतिक संपादक हैं)

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