मुंबई:
नए साल के जश्न से देर मैं रात घर आया इसलिए सुबह भी देर से हुई। हमेशा की तरह अखबार उठाया और चंद पन्ने उलटते हुए फिल्मी पेज पर पहुंचा। उस फिल्मी पेज में एक स्टोरी पर नजर पड़ी, जिसमें 2015 में आने वाली कुछ बड़ी और चुनिंदा फिल्मों की रिलीज़ की तारिख का ब्योरा छपा था। उसी के नजदीक बॉलीवुड के कुछ निर्देशकों का नाम और उनकी पसंदीदा फिल्मों का नाम लिखा था। सभी ने अपनी-अपनी पसंदीदा फिल्मों के नाम बताए और कहा कि यह फिल्म मैं देखूंगा। मगर मैं चौंक गया निर्माता तिग्मांशु धुलिया का नाम और उनकी पसंद देखकर। इस अखबार के मुताबिक, वह 2015 में 'जग्गा जासूस', 'बदलापुर', 'शमिताभ', 'बॉम्बे वेलवेट', 'ब्योमकेश बख्शी', 'फितूर' और 'यारा' देखना चाहेंगे। तिग्मांशु की लिस्ट ने मुझे नहीं चौंकाया बल्कि चौंकाया उसके आगे के वाक्य ने जिसमें लिखा था "these are the films; the rest are circus pieces"
अब तिग्मांशु सर्कस पीस किन फिल्मों को कह रहे हैं? 2015 में शाहरुख़ की फिल्म 'फैन, सलमान की फिल्म 'बजरंगी भाई जान' और 'प्रेम रतन धन पायो', अर्जुन कपूर की फ़िल्म 'तेवर', सैफ की फ़िल्म 'फैंटम', रणबीर कपूर की फ़िल्म 'रॉय', रणवीर सिंह की फ़िल्म 'बाजी राव मस्तानी' जैसी बड़ी फिल्में मुख्य हैं। तो क्या तिग्मांशु को ये फिल्में सर्कस पीस की तरह लगती हैं?
फिल्मी पत्रकार हूं इसलिए कभी-कभी फ्लैश बैक में चला जाता हूं और जैसे ही मैंने यह पढ़ा, वैसे ही फ्लैश बैक में चला गया और पहुंचा फ़िल्म 'बुलेट राजा' की प्रेस कॉन्फ्रेंस में। 'बुलेट राजा' में सैफ अली खान और सोनाक्षी सिन्हा मुख्य भूमिका में थे और तिग्मांशु धुलिया फिल्म के निर्देशक थे। ये फिल्म बॉलीवुड मसाला फिल्म या इसे कम्पलीट कमर्शियल फिल्म कह सकते हैं। मुझे आज भी याद है, जब उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में तिग्मांशु ने कहा था कि "हम जैसे फ़िल्मकार जब कमर्शियल फिल्में बनाएंगे तब कमर्शियल फिल्म की रूप रेखा और तस्वीर बदल देंगे" तिग्मांशु ने यह भी कहा था कि मैं दूसरे निर्देशकों की तरह हीरो को हवा में उड़ाकर ऐसे मुक्के नहीं मरवा सकता, जिससे एक मुक्के से गुंडा चार बार उछलकर गिरे। उस वक्त मुझे उनकी भाषा और बयान में घमंड नज़र आया था। और कहते हैं न कि घमंड हमेशा चकनाचूर होता है। ऐसा ही हुआ, जब फिल्म 'बुलेट राजा' बुरी तरह फ्लॉप हो गई।
अब थोड़ा तिग्मांशु की फिल्मों के बारे में भी बता दूं। इनकी पहली फिल्म 'हासिल' बॉक्स ऑफिस पर बहुत सफल नहीं थी, मगर समीक्षकों ने फिल्म को सराहा था। उसके बाद तिग्मांशु ने फिल्म 'चरस' बनाई, जो बुरी तरह फ्लॉप हुई। बीच में काफी समय तक ये सीन से बाहर रहे, इस बीच फिल्म बनाई 'पान सिंह तोमर'। तिग्मांशु पर शायद भरोसा न होने के कारण यह फिल्म कई सालों तक रिलीज नहीं हो पाई। बाद में यूटीवी ने फिल्म को रिलीज किया और फिल्म न सिर्फ हिट हुई, बल्कि काफी सराहना भी हुई। इसी बीच फिल्म 'साहेब बीवी और गैंगस्टर्स' ने ठीक-ठाक कारोबार कर लिया था। 'पान सिंह तोमर' और 'साहेब बीवी और गैंगस्टर्स' की सफलता के बाद तिग्मांशु के दिन पलट चुके थे। अब इन्हें बड़े बजट की बड़े स्टार के साथ बड़ी फिल्म 'बुलेट राजा' मिल चुकी थी और इनके बड़े बोल शुरू हो गए।
इस इंडस्ट्री में बहुत सारे निर्देशक हैं, जिन्होंने बड़ी कामयाब और अच्छी फिल्में बनाते हैं। राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने 'रंग दे बसंती' और 'भाग मिल्खा भाग' जैसी बेहतरीन फिल्में बनाईं। मगर कभी ऐसी बड़ी बात नहीं बोली, जिससे उनका घमंड छलके। आज की तारीख में सबसे सम्मानित निर्देशक हैं, राजू हिरानी। बॉक्स ऑफिस से लेकर समीक्षकों का भी दिल जीत लेते हैं, मगर ऐसी बड़ी बात कभी नहीं बोली, जिसमें उनका अहंकार नजर आए। आज के बॉक्स ऑफिस के सबसे कामयाब निर्देशक रोहित शेट्टी हैं, मगर यह कभी नहीं कहते कि मैं बड़े तीर मार रहा हूं। ये सभी जानते हैं कि अहंकारी का सिर नीचे झुक ही जाता है और यह भी जानते हैं कि अलग-अलग तरह की फिल्में बनती हैं और अलग-अलग तरह की फिल्मों के अलग-अलग दर्शक होते हैं। यहां स्टार पावर भी चलता है और अच्छी कहानी और विषय भी।
तिग्मांशु धुलिया ने न ही 'शोले' बनाई है और न ही 'मुग़ले आज़म' फिर भी बोल बड़े-बड़े। वैसे, बड़े बोल के एक और शिकार बने, जिसका नाम है, साजिद खान। 'हे बेबी' और 'हाउसफुल' की सफलता के बाद उनके बोल भी ऐसे ही थे। वह कई बार बोल चुके थे कि मेरी फिल्म फ्लॉप नहीं हो सकती। मैं दर्शकों के लिए फिल्म बनाता हूं और उनकी पसंद बहुत अच्छे से जानता हूं। फिल्म 'हिम्मतवाला' के मुहूर्त पर साजिद ने कहा था कि 'हिम्मतवाला' 4 से 5 दिन में 100 करोड़ की कमाई करेगी, लेकिन 'हिम्मतवाला' बुरी तरह फ्लॉप हुई। फिल्म 'हमशक्लस' का हश्र भी बुरा हुआ। ऐसे में यह साफ है कि जिसने भी बड़े बोल बोले ऊपर वाले ने उनके बोल को नीचा दिखाया।