सुशील महापात्रा की कलम से : दिल्ली के संगम पार्क में लगातार जारी है संघर्ष...

सुशील महापात्रा की कलम से : दिल्ली के संगम पार्क में लगातार जारी है संघर्ष...

ऊपर जो तस्वीर आप देख रहे हैं, यह मॉडल टाउन विधानसभा क्षेत्र का संगम पार्क इलाका है... वैसे तो संगम का मतलब होता है दो नदियों का मिलन, लेकिन यहां नदियां नहीं, घर के नीचे गन्दी नालियों का मिलन ज़रूर देखने को मिल जाता है... बाहर से साफ-सुथरा दिखने वाला संगम पार्क भीतर से 'नटखट' नालियों से नर्क बना हुआ है... इलाके में तीन ब्लॉक हैं, और 1,600 मकानों में लगभग 15,000 लोग रहते हैं... लगभग हर घर के बाहर सीढ़ियों के पास आपको ऐसी गंदी नालियां दिखती हैं, जिनसे निकलता गंदा पानी घरों तक भी पहुंचता है, लेकिन मजबूर लोग कहीं जा नहीं सकते, और कई-कई शिकायतों के बावजूद स्थिति नहीं बदली...
 


लोगों की कई और समस्याएं भी हैं... पिछले कुछ महीनो से यहां पीने का पानी भी गंदा आ रहा है, और उस पानी में इतनी गंदगी होती है कि पीते ही आप बीमार हो जाएं... ऊपर दी हुई तस्वीर आप देख सकते हैं... बाल्टी में जो पानी दिखाई दे रहा है, यह पीने के लिए सप्लाई किया हुआ पानी है, और यहां के निवासियों को पहले करीब 10 बाल्टी ऐसा पानी फेंकना पड़ता है, फिर कुछ साफ पानी आता है, जो बोतल में दिखाई दे रहा है... लेकिन यह बोतल वाला पानी भी पीने लायक नहीं है... गन्दा तो है ही, इसमें से बदबू भी आती है... लोग इसे नहाने और कपड़े धोने में इस्तेमाल करते हैं, और पीने के लिए पानी खरीदना पड़ता है...
 

यह जो तस्वीर आप देख रहे हैं, यह संगम पार्क के पास से निकलते रेलवे ट्रैक के आस-पास के इलाके की है... ट्रैक के आसपास करीब 1,000 लोग रहते हैं... ये लोग यहां के मूल निवासी तो नहीं, लेकिन पिछले 15 साल से यहीं रह रहे हैं... वोटर कार्ड भी बने हुए हैं और वोट देते भी हैं, लेकिन इनकी समस्या को लेकर कोई गंभीर नहीं है... इन जगहों पर इतनी गंदगी फैली हुई है कि लोगों की तबीयत रोज़ ख़राब होती है तो अस्पताल में दाखिल तक करना पड़ता है... कई बार पैसा नहीं होने की वजह से यहां के लोग देसी दवाइयों से भी काम चला लेते हैं...
 

दिल्ली के मॉडल टाउन विधानसभा क्षेत्र की ऐसी तस्वीर देखते ही आपको लगेगा, शायद हमारे नेताओं को इस समस्या के बारे में पता नहीं होगा और इसीलिए समाधान नहीं हो पाया है, लेकिन सच्चाई यह नहीं है... लोगों का कहना था कि समस्या काफी पुरानी है... भले ही कोई भी सरकार रही हो, समस्याएं जस की तस हैं... हर चुनाव से पहले राजनेता इलाके में आते हैं और बड़े-बड़े वादे करके चले जाते हैं, लेकिन चुनाव जीत जाने के बाद इन लोगों को भूल जाते हैं... लेकिन फिर भी यहां के लोग हर चुनाव में एक नई उम्मीद के साथ इन्हीं नेताओं को जिताते हैं, लेकिन इनकी समस्या का कोई हल नहीं किया जाता...

इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले हर पार्टी का उम्मीदवार यहां आया था और इनकी समस्या के समाधान का वादा कर गया था... चुनाव से पहले हर हफ्ते लगभग तीन-चार बार हर पार्टी के उम्मीदवार यहां आ रहे थे, लेकिन चुनाव के बाद यहां किसी का भी आना लगभग बंद हो गया है... इस इलाके के विधायक अखिलेशपति त्रिपाठी के पास यहां के लोग कई बार समस्याएं लेकर गए हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं मिला... अगर विधायक यहां आते भी हैं तो झंडा फहराने या किसी फंक्शन में शिरकत करने... बीजेपी के माधवप्रसाद यहां पिछले नौ साल से निगम पार्षद हैं, लेकिन उन्होंने भी कोई हल नहीं निकाला... लोगों का कहना था कि जब लोग समस्या लेकर माधवप्रसाद के पास जाते हैं तो जवाब मिलता है, कि आपने हमें वोट नहीं दिया है, जिन्हें वोट दिया है, उन्हीं के पास जाइए... कई बार यह जवाब तक दिया गया है कि हमें आपके वोट की ज़रूरत ही नहीं, हम उसके बिना भी जीत सकते हैं...

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