अरविंद केजरीवाल के नाम सुशील महापात्रा का खुला खत

प्रिय अरविंद जी,

आप जानते हैं कि आजकल खत का क्या महत्व है... खत कब किसके लिए खतरा बन जाए, इसके बारे में आप से ज्यादा कौन जानता है... आजकल तो आप की पार्टी में खत की राजनीति ज्यादा हो रही है... कभी कोई खत लिखता है, तो कोई लीक कर देता है... तो मैंने सोचा कि आज मैं ही आपके नाम एक खत लिख दूं... आप सोचते होंगे, मैं कौन हूं, मुझे खत लिखने का अधिकार किसने दिया... चलिए, बता देता हूं... मैं एक आम आदमी के रूप यह खत लिख रहा हूं... आपकी पार्टी के अंदर जो कुछ हो रहा है, उसे लेकर परेशान हूं... चुनाव से पहले जब मैं लोगों से मिलता था, या ऑटो में सफर करता था, तब लोग और ऑटो ड्राइवर आपकी बातें करते थे... अरविंद केजरीवाल को अपना हीरो मानते थे, लेकिन आज ऐसा नहीं देख रहा हूं... अब लोग परेशान दिख रहे हैं, और आपको लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं...

मैं आपको तब से जानता हूं, जब मैं पहली बार मीडिया में आया था... जब भी RTI को लेकर बहस होती थी, आपका नाम सबसे आगे आता था... आपने इस काम के लिए खूब नाम भी कमाया, और आखिरकार आपने लोगों को जानने का अधिकार दिलवा ही दिया... बहुत अच्छा काम किया आपने... उस वक्त आप युवा थे, आपकी काली मूंछें, काले बाल, हवाई चप्पल और आपकी मुस्कुराहट - सभी बहुत मशहूर हो गई थीं... लेकिन आज आप कुछ बदले-बदले-से लग रहे हैं... आप राजनीति में आ चुके हैं, आपकी मूछें और बाल भी सफेद हो चले हैं, और आपकी हंसी के पीछे कोई राज छिपा लगने लगा है...

राजनीति में आना तो शायद आपकी किस्मत में लिखा हुआ था... अण्णा हज़ारे के जंतर-मंतर पर किए गए अनशन से आपका जुड़ना, और फिर जनलोकपाल बिल के मुद्दे को लेकर सरकार को घेरना बहुत बड़ी बात थी... उस समय तक आप राजनीति से नफरत किया करते थे, लेकिन एक दिन नफरत हिन्दी फिल्मों की तरह प्यार में बदल गई... आपने आम आदमी पार्टी बना डाली... लोगों की राय ली, हर बड़ा फैसला करने से पहले लोगों से पूछा... आपकी पार्टी को दिल्ली की जनता ने दूसरे प्रयास में जो जीत दिलाई है, वह इतिहास में दर्ज की जाएगी... जब भी लोकतंत्र की बात होगी, अरविंद केजरीवाल लोगों को ज़रूर याद आएंगे... एक ऐसे आम आदमी के रूप में, जिसने समाज को नई राह दिखाई... राजनीति को लेकर लोगों के मन में जो भ्रांतियां थीं, उन्हें आपने दूर कर दिया... जब लोग बड़े-बड़े राजनैतिक दलों से तंग आ चुके थे, आप लोगों के लिए नई उम्मीद बनकर आए...

लेकिन आज आप फिर कुछ अलग-से दिख रहे हैं... ऐसा लगता है कि सरकार बन जाने के बाद आप अपने ही उसूलों के साथ खेलने में लग गए हैं... मैं जानना चाहता हूं कि आज जब आप योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को हटाने जा रहे हैं, तब लोगों से कुछ भी क्यों नहीं पूछ रहे हैं... क्या आपको लगता नहीं, इतना बड़ा निर्णय लेने से पहले लोगों से पूछना चाहिए, या फिर यह निर्णय आपको बड़ा लग ही नहीं रहा है... वैसे, अगर यह मुद्दा बड़ा नहीं होता, तो आपकी पार्टी इस मुद्दे पर इस तरह चौतरफा घिरी हुई नज़र नहीं आती... फिर भी, चलिए हम मान लेते हैं कि योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण ने गलती की होगी, सो, उन्हें सज़ा मिलनी चाहिए... लेकिन इस सज़ा के तौर पर आप उन्हें निकालेंगे या नहीं, यह आपको ही तय करना है, मुझे इससे कोई लेना-देना नहीं... लेकिन क्या आपको नहीं लगता, इस मुद्दे को लेकर आपकी पार्टी की मजाक बनाया जा रहा है... क्यों प्रशांत और योगेंद्र को गलती करने के बावजूद माफ नहीं किया जा सकता, जबकि आपने खुद भी सिर्फ 49 दिन में सरकार की ज़िम्मेदारी छोड़कर भाग जाने की गलती को कबूलकर जनता से माफी मांगी थी... दिल्ली की जनता ने आपको भी तो खुले दिल से माफ कर ही दिया था, और ऐतिहासिक जीत दिलाई थी... आप जिस जनलोकपाल बिल के लिए राजनीति में कूदे थे, वह मुद्दा आज कहीं ICU में पड़ा हुआ है... क्या आपको नहीं लगता, माफी देना बहुत बड़ी बात होती है... हो सकता है, प्रशांत और योगेंद्र ने जो गलती की है, उनके लिए वे भी एक दिन पश्चात्ताप करेंगे और माफी मांग लेंगे...

वैसे, आजकल आपकी पार्टी में खत बहुत लीक हो रहे हैं, जिसे लेकर आप बहुत परेशान हैं... आप भी चाहते होंगे कि खत लीक न हों... लेकिन क्यों...? इलेक्शन से पहले आप तो खुद ही सरकार को खुले खत लिखा करते थे और वे खत पहले लोगों के पास पहुंचते थे... आप तो 'जानने के अधिकार' की लड़ाई लड़ते रहे हैं, तो, आज आपको इस बात से ऐतराज क्यों है... लोगों ने आज आपको राज करने का मौका दिया है, इसलिए लोगों को भी इस खत के बारे में जानने का अधिकार है...

आप खुद ही कहते हैं कि आपका मकसद लोगों की सेवा करना है... आप किसी भी तरह की पॉवर या पद पाने के लिए पार्टी में नहीं आए हैं... फिर अगर प्रशांत और योगेंद्र आपको राष्ट्रीय संयोजक पद से हटाना चाहते थे, तो आप हट ही जाते... आप तो जानते हैं, पद बड़ा नहीं होता... और आप तो बिना पद के भी लोगों की सेवा कर सकते हैं... प्रशांत भूषण पार्टी को हराना चाहते थे... क्या आपको सचमुच लगता है, प्रशांत भूषण का नाम अरविंद केजरीवाल से भी बड़ा है... अगर लोग आम आदमी पार्टी का नाम लेते हैं तो अरविंद केजरीवाल का नाम पहले आता है... प्रशांत एक अच्छे वकील हैं, लेकिन एक अच्छे राजनेता नहीं, यह बात आप भी जानते हैं... प्रशांत और योगेंद्र का आपसे क्या मुकाबला है...

अरविंद जी, मैं मानता हूं, मैं राजनीति कम जानता -समझता हूं... पत्रकार के रूप में भी मेरा तजुर्बा ज्यादा नहीं है, लेकिन एक बार लोकसभा चुनाव के दौरान ट्रेन में सफर करते हुए एक स्टोरी की थी, और उस वक्त मैंने नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता देखी थी... पूरी ट्रेन के भीतर सिर्फ मोदी और मोदी की ही तारीफ हो रही थी, और इसका असर आपने लोकसभा चुनाव में भी देखा, लेकिन नौ महीने के भीतर ही दिल्ली चुनाव में कैसे लोगों ने मोदी को छोड़कर आपका साथ दिया, यह भी आप जानते हैं...

मैं जानता हूं, आप समझदार हैं, सो, उम्मीद करता हूं, आप किंतु-परंतु को छोड़ेंगे, और लोगों को परिणाम देने की तरफ ध्यान देंगे, वरना परंपरागत बड़ी पार्टियों की तरह आपको भी आगे जाकर 'बाबाजी का ठुल्लू' ही मिलेगा...

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आपका शुभेच्छु,
सुशील कुमार महापात्रा