विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नाम सुशील महापात्रा का खुला खत

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नाम सुशील महापात्रा का खुला खत

आदरणीय सुषमा जी,

कई दिन से मैं सोच रहा था कि आपके नाम एक खत लिखूं , लेकिन लिख नहीं पा रहा था। पूरा विपक्ष जब आपके ऊपर सवाल उठा रहा था तब आप चुप थीं और मैं भी चुप हो गया था। कल संसद में आपका भाषण सुनकर मुझे लगा कि मैं अपने  मन की बात आपको बताऊँ। कल संसद में आपका भाषण काफी मजेदार था। जैसे ही आपने भाषण शुरू किया, सारे लोग गंभीरता से सुनने लगे। कई दिन से आप चुप थीं .. सबकी नजरें आपके कथन पर टिकी थीं। रोज की तरह आपकी आवाज बुलंद भी थी। ऐसा लग रहा था कि आप बहुत बड़ी घोषणा  करने वाली हैं। मैं यह नहीं कहता कि आप इस्तीफा देने वाली थीं...  ऐसा लग रहा था कि आप अपने दिल की  कह रही हैं। लेकिन दुख की बात यह थी कि जिनको आपका भाषण सुनना चाहिए था वह संसद में मौजूद नहीं थे। विपक्ष की गैर मौजूदगी  में आपका भाषण फीका नजर आ रहा था। आपके भाषण के ऊपर सिर्फ आपके पार्टी के सांसद ताली बजा रहे थे। कितना अच्छा होता, अगर आप अपने भाषण के जरिए विपक्ष को चुप करा देतीं। विपक्ष का आरोप आपके ऊपर था लेकिन विपक्ष संसद में मौजूद नहीं था। जाहिर है, आपकी बात सिर्फ मीडिया के जरिए कांग्रेस तक पहुंची।

आपने भाषण में कहा कि आप विपक्ष की अनुपस्थिति का लाभ उठाकर खुद से सम्बंधित विषय पर चर्चा को रोकने के लिए नहीं खड़ी हुईं बल्कि इस विषय पर चर्चा करने का अनुरोध करने के लिए खड़ी हुईं। अपने यह भी कहा कि आप संसद के मानसून सत्र की प्रतीक्षा करती रहीं कि इस सत्र में आप अपनी बात रखेंगी। आप कांग्रेस के ऊपर इतना भरोसा कैसे कर सकती हैं? कांग्रेस जब इस मामले पर रोज आपके इस्तीफे की मांग कर रही है तो वह कैसी संसद को चलाने देती? लेकिन अपने जो कुछ कहना था, कह दिया। अपने आपका पक्ष पूरी तरह रखा। आपकी तरह मैं भी मानता हूं कि विपक्ष के पास कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। इस प्रसंग पर चर्चा होनी चाहिए, लेकिन फिर मुझे आपकी बात याद आ जाती है जब आप विपक्ष में थीं और खुद आप लोकसभा में विपक्ष की नेता थीं तब आपने कई बार कांग्रेस नेताओं के इस्तीफे मांगे थे। तब भी कांग्रेस कहती थी चर्चा कीजिए, लेकिन आप चर्चा के लिए तैयार नहीं थीं। ऐसा लगता है कांग्रेस ने आपसे कुछ तो जरूर सीखा  है।

आपने भाषण यह भी कहा कि मीडिया पिछले लगभग दो माह से आपके खिलाफ कुप्रचार चला रहा है। क्या आप मानती हैं कि आपकी खबर को दिखाना मीडिया की गलती थी ? अगर देश की विदेश मंत्री के ऊपर कोई सवाल उठ रहा है तो क्या उस खबर को गंभीरता से लेना गलत है ? अगर ऐसा है तो आप यह भी मानेंगीं कि मीडिया जब कांग्रेस का भ्रष्टाचार दिखा रहा था तो वह तब भी गलत था।

अपने कहा कि यह मानवीय संवेदना का केस है, जिसमें ललित मोदी की मदद नहीं हुई, मदद उस पत्नी की हुई जो भारतीय नागरिक है, जो किसी अपराध में लिप्त नहीं है, जिसके खिलाफ कोई केस देश या विदेश में नहीं चल रहा, जो 17 वर्षों से कैंसर से पीड़ित है। मानवता के आधार पर आपने उनकी मदद की। मैं भी मानता हूं कि मदद करना गलत नहीं था, लेकिन आपको लगता नहीं कि कहीं न कहीं आपसे चूक हुई है। इतनी सुलझी हुईं नेता होने के बावजूद आपसे चूक कैसे हो गई? अगर आप कायदे से निर्णय लेतीं तो आज यह परिस्थिति नहीं बनती। आपको अपने मंत्रालय को विश्वास में लेना चहिए था, जो आपने नहीं किया।

आप सोचती होंगी कि मैं आपके खिलाफ बोल रहा हूं। ऐसी बात नहीं  है। मैं आपको एक कामयाब नेता मानता हूं। विदेश मंत्री के रूप में अपने इस बार कई अच्छे काम किए। कई भारतीय नागरिक, जो अन्य देशों में फंसे हुए थे, आप उन्हें सही सलामत भारत वापस लाईं। हम सभी के लिए यह बहुत गर्व की बात है। चुप रहते हुए भी आपने कई बड़े निर्णय लिए, जिसकी सराहना होनी चाहिए। हो सकता है ललित मोदी की पत्नी को मदद करके अपने बहुत बड़ी गलती नहीं की हो। अगर आप इसे छोटा मुद्दा मानती हैं तो चलिए मैं भी मान लेता हूं। लेकिन यह बात अगर आप विपक्ष को, जो आपसे इतना 'प्यार' करता है, यह नहीं समझा सकीं तो, यह आपकी विफलता है जिसे आपको स्वीकार करना पड़ेगा।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

आपका
सुशील कुमार महापात्रा