दुनिया की सबसे कमउम्र प्रधानमंत्री, जो हफ्ते में सिर्फ 24 घंटे काम करने पर विश्वास रखती हैं

समानता में विश्वास रखने वाली साना मरीन का मानना है कि किसी भी इंसान को एक हफ्ते में सिर्फ 24 घंटे काम करना चाहिए और ज़्यादा से ज़्यादा समय अपने परिवार को देना चाहिए.

दुनिया की सबसे कमउम्र प्रधानमंत्री, जो हफ्ते में सिर्फ 24 घंटे काम करने पर विश्वास रखती हैं

फिनलैंड में अब राजनीति की कमान युवा महिलाओं के हाथ में ही है. सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की साना मरीन 34 साल की उम्र में फिनलैंड की प्रधानमंत्री बन गई हैं. वह दुनिया की सबसे कमउम्र प्रधानमंत्री हैं. एडमिनिस्ट्रेटिव साइंस में स्नातक साना मरीन वर्ष 2012 में टैम्पेयर टाउन काउंसिल की सदस्य बनी थीं. वर्ष 2015 में वह पहली बार फिनलैंड की संसद में पहुंची थीं. वर्ष 2019 में उन्हें ट्रांसपोर्ट मंत्री बनाया गया, और अब वह प्रधानमंत्री बनीं. प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद साना मरीन ने कहा कि उनके विचार में राजनीति में उम्र और धर्म मायने नहीं रखते हैं, मायने इस बात के हैं कि वह क्या करने के लिए राजनीति में आई हैं, और वह क्या-क्या कर सकती हैं.

समानता में विश्वास रखने वाली साना मरीन का मानना है कि किसी भी इंसान को एक हफ्ते में सिर्फ 24 घंटे काम करना चाहिए और ज़्यादा से ज़्यादा समय अपने परिवार को देना चाहिए. अगस्त के महीने में जब वह यह प्रस्ताव लेकर सामने आई थीं, तो इसे किसी ने नहीं माना था, लेकिन अब वह प्रधानमंत्री बन गई हैं, सो, देखना होगा कि सप्ताह में सिर्फ 24 घंटे काम करने वाला प्रस्ताव पारित हो पाएगा या नहीं. साना मरीन अपने परिवार को लेकर भी काफी सक्रिय रहती हैं, और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर अपने परिवार के साथ तस्वीरें पोस्ट करती रहती हैं.

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वैसे, सिर्फ साना मरीन नहीं, फिनलैंड की चार बड़ी पार्टियों की नेता महिलाएं हैं, जिनमें से तीन युवा ही हैं, यानी फिनलैंड की संसद में अब महिलाओं का बोलबाला है. 32 साल की कातरी कुलमुनि सेंटर पार्टी की नेता हैं, और वह अब वित्तमंत्री बनने जा रही हैं. कातरी ने वर्ष 2019 में ही लैपलैंड यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री पूरी की है, लेकिन वह 2010 से 2011 तक फिनलैंड के विदेश मंत्रालय में प्रेस सचिव के रूप में काम कर चुकी हैं. वर्ष 2015 में वह पहली बार सांसद बनी थीं और वर्ष 2019 में वह आर्थिक मामलों की मंत्री बनाई गईं.

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वाम गठबंधन की नेता ली एंडरसन हैं, जिनकी उम्र सिर्फ 32 साल है. ली एंडरसन वाम गठबंधन की अध्यक्ष हैं, और 2023 तक इस पद पर रहेंगी. वह फिनलैंड की शिक्षामंत्री भी हैं. 2019 में फिनलैंड में हुए चुनाव में वाम गठबंधन ने ली एंडरसन के नेतृत्व में 16 सीटें जीती थीं, जो पिछले चुनाव की तुलना में चार सीटें ज़्यादा थीं. ली एंडरसन ने 2010 में मास्टर डिग्री पूरी की थी.

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उधर, ग्रीन लीग की नेता भी 34 साल की मारिया ओहिसालो हैं, जिन्होंने वर्ष 2011 में मास्टर डिग्री पूरी की थी, और फिर वर्ष 2017 में उन्होंने समाजशास्त्र में पीएचडी की. समानता के संघर्ष में भी मारिया काफी सक्रिय हैं. वह वर्ष 2008 में ग्रीन लीग की सदस्य बनी थीं, और वर्ष 2019 में उन्हें पार्टी की नेता बना दिया गया. वह 2019 में ही पहली बार संसद पहुंचीं और आंतरिक मामलों की मंत्री बनाई गईं.

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कुछ दिन पहले फिनलैंड के प्रधानमंत्री अंटी रीने को झूठ बोलने की वजह से इस्तीफा देना पड़ा था. उन्होंने देश में चल रही डाक विभाग की हड़ताल को लेकर संसद को गुमराह किया था, जिसके चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.

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