उमाशंकर सिंह का ब्लॉग : छोटे शहरों में सफ़ाई है बड़ी चुनौती

उमाशंकर सिंह का ब्लॉग : छोटे शहरों में सफ़ाई है बड़ी चुनौती

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो संदेश मन की बात में साफ-सफाई की बात करते हुए एनडीटीवी समेत कई न्यूज चैनलों की तारीफ की। उन्होंने कहा कि अलग-अलग टीवी प्रोग्रामों के जरिए सफाई को लेकर जागरूकता फैलाने में मदद मिली है। प्रधानमंत्री मोदी की बात महानगरों के लिए सही हो सकती है लेकिन छोटे शहरों में हालात जस के तस नजर आते हैं।

उदाहरण के लिए चुनाव के दौर से गुजर रहे बिहार के एक शहर मधुबनी को लेते हैं। मोदी के देशव्यापी अभियान के बावजूद अव्वल तो बिहार चुनाव में साफ-सफाई को मुद्दा नहीं है। बीजेपी ने भी इसे कोई मुद्दा नहीं बनाया है। अलबत्ता टीवी विज्ञापनों में मोदी जागरूकता फैलाने की कोशिश करते जरूर नजर आते हैं। लेकिन इसका मधुबनी चित्रकला के लिए दुनिया भर में विख्यात इस शहर पर कोई असर नहीं दिखता। गंदगी के ढेर चारों तरफ दिख जाते हैं। स्थानीय निवासी गोपाल खान बताते हैं कि लोग घर का कूड़ा सड़क पर डाल जाने की मानसिकता से उबर नहीं पाए हैं। नगरपालिका के सफाई कर्मचारी सुबह झाड़ू जरूर लगाते हैं लेकिन यह काफी नहीं। हाल में कूड़ा उठाने वाली एक आधुनिक गाड़ी भी खरीदी गई लेकिन करीब 10 वर्ग किलोमीटर के शहरी इलाके में इससे काम नहीं चलता।

शहर की सबसे बड़ी समस्या है जल निकासी की समुचित व्यवस्था का न होना। यहां तीन कैनाल हैं, वाटसन कैनाल, किंग कैनाल और राज कैनाल, लेकिन इनमें से किसी का पक्कीकरण नहीं हुआ है। मधुबनी के मुख्य कार्यकारी अभियंता संसाधनों की कमी की दुहाई देते हुए कहते हैं कि नगरपालिका उपलब्ध संसाधनों में बेहतर करने की कोशिश कर रही है लेकिन जल निकासी की पुख़्ता व्यवस्था होने तक शहर को गंदगी और जल जमाव से दूर रखना संभव नहीं। वे कहते हैं कि कैनाल के पक्कीकरण के लिए राशि मंजूर हो चुकी है लेकिन उसे आवंटित नहीं किया गया है। लिहाजा नालियां बजबजा रही हैं।

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कुल मिलाकर यही कि छोटे शहरों में साफ-सफाई के प्रति लोगों की सोच को बदलना अभी भी एक चुनौती है वहीं ढांचागत विकास उससे भी बड़ी चुनौती। उसके बिना कोई भी विज्ञापन शहर में सफाई नहीं ला सकता।