प्राइम टाइम इंट्रो : नोटबंदी की सबसे ज्यादा मार किस पर?

प्राइम टाइम इंट्रो : नोटबंदी की सबसे ज्यादा मार किस पर?

नोटबंदी के बाद से देशभर में बैंक एटीएम के बाहर लंबी कतारें देखी जा रही हैं (फाइल फोटो)

नोटबंदी एक ऐसी घटना है जिससे एक साथ भारत की पूरी आबादी प्रभावित हुई है. पुराने आर्थिक संबंध बदल रहे हैं और नई आर्थिक संस्कृति की आहट है. इसके अच्छे-बुरे इतने आयाम हैं कि एटीम के बाहर की कतारों से पूरी कहानी नहीं समझी जा सकती है. नोटबंदी का फैसला लागू हो चुका है. इस योजना की सब तारीफ कर रहे हैं, मगर तारीफ करने वाले भी बाद में 'लेकिन' जोड़ देते हैं. उनके 'लेकिन' का एक ही मतलब है कि क्या वाकई अमीर लोगों की नींद ख़राब हो गई है. वो कौन है जिसकी नींद उड़ गई है. हमारी तरफ से भी आपके लिए एक 'लेकिन' है. वो ये कि नोट बदलने से संबंधित सभी सरकारी सूचनाओं को ध्यान से सुनें और एक दूसरे को बतायें. जितना सरकार कहती है, उतना ही कीजिए. कई फैसले लगातार आ रहे हैं. जैसे महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि 50 किलो सब्जी लेकर सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा कर सकते हैं. स्कूल-कॉलेज चेक से फीस ले सकते हैं. डिमांड ड्राफ्ट की ज़िद न करे. केंद सरकार ने भी अपने फैसलों में सुधार किये हैं. एटीएम से आप 2000 की जगह 2500 रुपये निकाल सकते हैं. बैंक से 4000 की जगह 4500 रुपये के पुराने नोट बदल सकते हैं. चेक से आप अब 24,000 रुपये एक हफ्ते में निकाल सकते हैं. आप एक दिन में ही निकाल लीजिए या हफ्ते में कभी भी. तीन महीने पुराने करंट अकाउंट से एक हफ्ते में 50,000 रु निकाल सकते हैं. सभी नेशल हाईवे पर 18 नवंबर की मध्यरात्रि तक कोई टोल टैक्स नहीं लगेगा. बिजली, पानी के बिल, पेट्रोल, टैक्स, फीस और को-ऑपरेटिव स्टोर में पुराने नोट लिये जाएंगे. इसकी समय सीमा बढ़ाकर 24 नवंबर कर दी गई है.

बड़ी संख्या में लोगों को अप्रत्याशित रूप से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों को रबी की बुवाई के लिए पैसे नहीं मिल रहे हैं. शादी में बड़ी दिक्कतें आ रही हैं. इन लोगों की परेशानी का फैसले के विरोध से कोई लेना-देना नहीं है. गांवों में हालत बहुत ख़राब है. मध्यप्रदेश के सागर में 69 साल के विनोद पांडे सरकारी बैंक में अपना पैसा बदलवाने गए थे. घंटों कतार में रहे और बेहोश होकर गिर पड़े. उनकी वहीं पर मौत हो गई. विनोद के परिवार वालों का आरोप है कि बैंक की अव्यवस्था इसके लिए ज़िम्मेदार है.

यूपी के फिरोज़ाबाद में एक नर्सिंग होम ने नवजात बच्चे का इलाज करने से मना कर दिया. जन्म के 7 घंटे के भीतर बच्चे की मौत हो गई. परिवारवालों का आरोप है कि उनके पास पैसे नहीं थे, इसलिए डॉक्टर ने इलाज नहीं किया. नए नोट न होने की वजह से बच्चे की बॉडी भी ले जाने से रोक दिया. बाद में पुलिस ने हस्तक्षेप किया और बच्चे के शव को सौंपा गया. डॉक्टर का कहना है कि उन्होंने तो यही कहा था कि पैसे लेकर आएं तभी छुट्टी होगी.

प्राइवेट अस्पतालों और क्लिनिकों में कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं. प्राइवेट क्लिनिक के डॉक्टरों को छूट भी नहीं है कि वे 500 और 1000 के पुराने नोट ले सकें. कई जगहों से सुनने को मिल रहा है कि बिना पैसे दिये मरीज़ को अस्पताल से छुट्टी नहीं मिल रही है. न्यूज़ वेबसाइट हफिंग्टन पोस्ट ने नोटबंदी के बाद के चार दिनों में हुई मौत का ब्यौरा छापा है. इसके अनुसार कम से कम देश भर में 15 ऐसी मौते हुईं हैं, जिनका संबंध नोटबंदी के तनावों से है.

मुंबई के एक अस्पताल ने नवजात को एडमिट करने से मना कर दिया, बच्चे की मौत हो गई. सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही पुराने नोट लिये जा सकते हैं. विशाखापत्तनम में 18 महीने का एक बच्चा मर गया, क्योंकि दवा खरीदने के पैसे नहीं थे. प्राइवेट अस्पताल ने पुराना नोट नहीं लिया. मैनपुरी में एक साल के बच्चे का इलाज नहीं हो सका. मां-बाप के पास सौ के नोट नहीं थे, पुराने नोट ही थे. राजस्थान के पाली ज़िले में एंबुलेंस ने नवजात को अस्पताल ले जाने से मना कर दिया, जब तक मेघवाल सौ रुपये के नोट लेकर आते बच्चा मर चुका था. यूपी के कुशीनगर में एक धोबन जब हज़ार के दो नोट लेकर जमा करने पहुंची तो पता चला कि ये रद्दी हो गए हैं, वो सदमे से मर गई.

तेलंगाना में 55 साल की एक महिला को लगा कि 54 लाख बेकार हो चुके हैं. ज़मीन बेची थी. पति के इलाज के लिए, बेटी के दहेज के लिए. उसने आत्महत्या कर ली. हावड़ा में एक पति ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी, क्योंकि वो एटीएम से खाली हाथ लौटी थी. बिहार के कैमूर में 45 साल का आदमी हार्ट अटैक से मर गया. उसे लगा कि उसकी बेटी की बहू पुराने नोट नहीं लेगी. 35,000 रुपये बचाए थे. केरल में 45 साल का आदमी जब 5 लाख जमा करने पहुंचा दूसरे दिन, तो नाकाम रहा. दूसरी मंजिल से फिसल कर गिर गया और मर गया. गुजरात में 47 साल का किसान पुराने नोट बदलते वक्त हार्ट अटैक से मर गया.

अभी तक बैंक के कर्मचारियों ने जी-तोड़ मेहनत की है और लोगों ने भी बैंकों के बाहर धीरज का ही परिचय दिया है. संभल और मऊ से बैंकों में अफरा-तफरी की खबरें आईं हैं, मगर ज्यादातर जगहों पर परेशानी परंतु शांति के साथ काम हो रहा है. कई हलकों से सुनने को मिल रहा है कि नेताओं और काले धन के माहिर लोगों ने अपने पैसे का बंदोबस्त कर लिया है. ऐसी ख़बरें आम तौर पर अपुष्ट होती हैं, मगर जो भी पैसे वाले को जानता है यही कहता है कि फलां आदमी ने अपना पैसा सेट कर लिया है. वित्त मंत्री ने चेताया था कि अब इस तरह के लेनदेन की चेन से बचना किसी के लिए भी मुश्किल है.

इलाहाबाद में कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के दौरान पंडों के पास राष्ट्र के इस महायुद्ध में योगदान करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, वर्ना वे 500 और 1000 के बिना कहां मानने वाले थे. लेकिन नोटबंदी ने दक्षिणा का रेट गिरा दिया है. 11 और 51 रुपये से काम चलाना पड़ा है. इन्हीं पैसे से पंडों की कुछ महीनों की कमाई होती है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा है कि गंगा में नोट बहा देने से पाप नहीं धुल जाते हैं. यह भी हो सकता है कि पंडों को इस बार पुण्य का पैसा मिला हो.

सरकार लगातार सुधार का दावा और प्रयास कर रही है लेकिन समस्या इतनी व्यापक है कि एक झटके में फैसला तो लागू हो सकता है, मगर समाधान नहीं हो सकता. प्रधानमंत्री ने ऐसे तमाम लोगों का शुक्रिया अदा किया है जो तकलीफ उठाने के बाद भी धीरज नहीं खो रहे हैं. धीरे-धीरे लोग यह भी पूछ रहे हैं कि नोटबंदी के इस फैसले का अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा.

मतलब क्या इससे संकट से गुज़र रहे सरकारी बैंक बच जाएंगे? एनपीए के बढ़ते घाटे के बाद भी उनकी क्षमता में सुधार आएगा? रियलिटी सेक्टर पर क्या असर पड़ेगा? इसे काले धन का गढ़ कहा जाता है. पहले से ही सुस्त चल रहे इस सेक्टर में रोज़गार की असीम संभावनाओं पर क्या असर पड़ेगा? क्या फ्लैट के दाम कम होने लगेंगे? इसका उन पर क्या असर पड़ेगा जो खरीद नहीं सके हैं? इसका उन पर क्या असर पड़ेगा जो खरीद चुके हैं? पुराने फ्लैट के दाम गिरेंगे तो इनके भरोसे बैठे मध्यमवर्ग का क्या होगा? भारत में 70 फीसदी असंगठित क्षेत्र में कारोबार होता है, इस पर क्या असर होगा?

बेहतर है इस फैसले से जुड़े व्यापक सवालों की तरफ भी मुड़ा जाए। क्या खाते में जमा राशि के आधार पर बड़ी संख्या में लोग आयकर के दायरे में आएंगे? ड्राइवर, कारीगर और कारोबारी के लिए अब बचना मुश्किल हो जाएगा? सर्विस सेक्टर का बहुत सा कारोबार नगद पर होता है. क्या ये सब अब चेक या इलेक्ट्रॉनिक तरीके से होने लगेगा? क्या सरकार के पास आयकर कम करने की गुंजाइश होगी? जब काला धन समाप्त होगा तो उसका असर कहां दिखेगा, कैसे दिखेगा?

देश में एक साथ कई बड़ी आर्थिक घटनाएं घट रही हैं. देश का आम बजट समय से पहले आ रहा है. जीएसटी लागू हो रहा है और ये नोटबंदी. क्या आप भी उम्मीदों से लबालब हैं? 50 दिन बाद हिंदुस्तान बदलने जा रहा है! बेहतर है इसकी तैयारी में जुट जाइए और उन अमीरों की मदद कीजिए जो नींद की गोली लेकर भी सो नहीं पा रहे हैं. उन गरीबों की भी मदद कीजिए जो चैन से सो तो पा रहे होंगे, मगर कतार में खड़े-खड़े बेचैन हो रहे हैं.


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