ईवीएम की सुरक्षा को लेकर इतना हंगामा क्यों?

कोर्ट से लेकर चुनाव आयोग के आश्वासन के बाद भी काउंटिंग के समय ई वी एम को लेकर संदेह बना हुआ है. यह संदेह इस स्थिति में पहुंच गई है कि स्ट्रांग रूम के बाहर कार्यकर्ता जमा होने लगे हैं.

ईवीएम की सुरक्षा को लेकर इतना हंगामा क्यों?

23 मई 2019 आ ही गया. पिछले पांच साल में ई वी एम को लेकर होने वाली बहस किसी मंज़िल पर पहुंचती नहीं दिख रही है. कोर्ट से लेकर चुनाव आयोग के आश्वासन के बाद भी काउंटिंग के समय ई वी एम को लेकर संदेह बना हुआ है. यह संदेह इस स्थिति में पहुंच गई है कि स्ट्रांग रूम के बाहर कार्यकर्ता जमा होने लगे हैं. अगर उनके जमा होने का कारण यह है कि ई वी एम मशीन बदली जा सकती है या गड़बड़ी हो सकती है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है. यह चुनाव आयोग की विश्वसनीयता के लिए अच्छा नहीं है. जिस तरह इस चुनाव में उसके फैसलों पर नज़र रखी गई है, हर फैसले को लेकर संदेह किया गया है यह पहले के चुनावों से कहीं ज़्यादा है. 

मेरठ से आए इस विजुअल को लेकर हम सबको शर्मिंदा भी होना चाहिए कि आयोग को लेकर संदेह का स्तर इस मुकाम पर पहुंच गया है कि सी सी टी वी लगाकर कार्यकर्ता स्ट्राग रूप की निगरानी कर रहा है. दूरबीन से सपा बसपा के कार्यकर्ता निगरानी कर रहे हैं. इस तस्वीर को दो तरह से देखना चाहिए. क्या कार्यकर्ता शक के उत्साह में एक संस्था की छवि से खिलवाड़ तो नहीं कर रहे हैं या कहीं ऐसा तो नहीं कि चुनाव आयोग ने इस चुनाव में अपनी विश्वसनीयता लगातार गंवा दी है. किसी किसी राज्य में एक एक चरण में चार और पांच सीटों पर मतदान हुए हैं. जबकि हालात ऐसे नहीं थे. तभी से आयोग को लेकर सवा उठने शुरू हो गए थे. प्रधानमंत्री के खिलाफ आचार संहिता की शिकायतों में कार्रवाई में आयोग ने काफी लंबा वक्त लगा दिया. उस पर से जब अजीब अजीब तरह की गाड़ियों में ई वी एम मशीनें पकड़ी जानी लगीं या देखी जाने लगीं तो कार्यकर्ता चौकन्ने होने लगे. 

गाड़ी रोक कर प्रमाण मांगने लगे. कभी होटल से तो तो कभी खुली गाड़ी या ट्रक में ईवीएम के ये वीडियो देश भर में हंगामा का कारण बन गए. यूपी के डुमरियागंज में सपा बसपा कार्यकर्ताओं ने ई वी एम से भरा एक मिनी ट्रक पकड़ा. आरोप लगाया कि इस ट्रक को ईवीएम स्ट्रान्ग रूम से बाहर लाया जा रहा था. जबकि यहां 12 मई को ही वोट डाले गए थे. हंगामा हुआ तो प्रशासन ने इसे काउंटिग सेंटर पर ही वापस भेज दिया. झांसी में सिटी मजिस्ट्रेट और एक निजी गाड़ी में EVM-VVPAT मिलने पर नेताओं ने हंगामा किया. बाद में डीएम ने मौके पर पहुंचकर नेताओं की मौजूदगी में EVM की जांच की। पता चला कि ये बिना इस्तेमाल हुए रिज़र्व EVM थे जो चुनाव बाद दूर-दराज के इलाक़ों से लाए जा रहे थे.

बहुत सारे सवाल हैं. इन सवालों को खारिज करने की जगह जवाब ढूंढा जाना चाहिए कि क्यों ऐसा हो रहा है. क्या हम नियमों को जानते हैं। दो तरह की ईवीएम मशीनें होती हैं. मतदान में इस्तमाल ई वी एम मशीन को स्ट्रांग रूम में रखा जाता है. कुछ मशीनें अतिरिक्त होती हैं. अगर किसी मतदान केंद पर मशीन खराब हो गई तो उसकी जगह इसी कोटे से मशीन भेजी जाती है. मतदान समाप्त होने पर ईवीएम मशीनों को सीधे स्ट्रांग रूम में भेजाता है. ई वी एम मशीनों को चार कैटगरी में बांटा जाता है. जो मशीनें मतदान केंद्र में रखी जाती हैं, जिन पर आप मतदान करते हैं उन्हें कैटेगरी ए कहते हैं. जो मशीनें मतदान केंद में रखी थीं मगर गड़बड़ी पाई गई उन्हें कैटेगरी बी कहते हैं. तीसरी मशीन होती है जसे कैटगरी सी कहते हैं जिसका इस्तमाल नहीं होता है. मगर गड़बड़ी होती है. चौथी प्रकार की मशीन होती है जसका इस्तमाल नहीं होता मगर रिज़र्व में होती है इसे कैटगरी डी कहते हैं. नियमों के अनुसार सी एंड के लिए अलग से स्टोर रूम होना चाहिए. बग़ैर सशस्त्र बल के किसी भी प्रकार की ई वी एम मशीन का मूवमेंट नहीं हो सकता है. किसी भी हालत में ई वी एम को निजी जगहों या होटल में नहीं ले जाया जा सकता है. स्ट्रांग रूम में जब मशीन पहुंचती है तो उसकी सूचना उम्मीदवार को दी जाती है. मशीन की हर गतिविधि की वीडियोग्राफी की जाती है.

6 दिसंबर 2018 की नियमावली है जो आप भी पढ़ सकते हैं. एक बार फिर से समझ लें. क्या इन मशीनों का परिवहन सशस्त्र बल की निगरानी में किया जा रहा था. कुछ विजुअल में सशस्त्र बल नज़र नहीं आए. इसी से मशीन की अदला-बदली को लेकर आशंका हुई. इन मशीनों को एक ही गाड़ी में ले जाया जा सकता है या हर प्रकार के लिए अलग गाड़ी का इस्तमाल होगा. चुनाव आयोग कहता है कि मतदान में इस्तमाल मशीनों के लिए सशस्त्र बल होंगे लेकिन जो रिज़र्व मशीनें हैं उनके परिवहन और सुरक्षा की गाइडलाइन क्या कहती है. क्योंकि इसी को लेकर बेचैनी है कि कहीं रिजर्व मशीनों से अदला बदली तो नहीं होगी. क्या यह सही है.

चुनाव आयोग सभी सवालों के जवाब भी देने लगा है. आप चुनाव आयोग के ट्विटर हैंडर पर जाइये तो आपकी आशंकाओं का जवाब मिलेगा. बकायदा प्रेस रीलीज जारी की गई है. मशीन उम्मीदवार और पर्यवेक्षक की मौजूदगी में रखी जाती है. सब कुछ वीडियो कैमरे के सामने होता है. फिर स्ट्रांग रूम के बाहर हर पक्ष के उम्मीदवार और कार्यकर्ता होते हैं. जब मतगणना शुरू होगी तो उम्मीदवार के एजेंट को सब दिखाया जाता है. कहां से मशीन आई है, उसका सीरीयल नंबर क्या है. जब एजेंट संतुष्ठ होता है तभी गिनती होती है. चुनाव शुरू होने के बाद राजनीतिद दलों के प्रतिनिधियों के साथ 93 बैठकें होती हैं उन सबमें यह सब बताया जाता है.

चुनाव आयोग ने ई वी एम को लेकर आने वाली शिकायतों के लिए एक कंट्रोल रूम ही बना दिया है. अब आते हैं वी वी पी पैट की गिनती को लेकर 22 दलों के प्रतिनिधियों ने चुनाव आयोग से मांग की थी कि 5 ई वी एम और वी वी पैट के मिलान की जो अनिवार्य गिनती है वो पहले हो फिर मतों की गिनती शुरू हो. चुनाव आयोग ने यह मांग ठुकरा दी है. आयोग ने कहा है कि 5 ई वी एम और वी वी पैट मशीनों के रैंडम सैंपल का मिलान मतगणना हो जाने के बाद होगा. चुनाव आयोग के फुल कमिशन की बैठक में इस पर विचार किया गया है और विपक्ष की मांग ठुकरा दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने सभी ई वी एम मशीनों और वी वी पैट की परची से मिलान की अपील को ठुकरा दिया था. फटकार भी लगाई थी. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि ई वी एम पर सवाल उठाना जनादेश का अपमान करना है. हमने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत से बात की. यह बातचीत रिकार्डेड है. 

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