ईपीएफ के अलावा दूसरा विकल्प देगी सरकार?

ईपीएफ के अलावा दूसरा विकल्प देगी सरकार?

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर...

हमारे देश में सिर्फ तीन फीसदी लोग इनकम टैक्स देते हैं और सरकार के लिए इनसे कोई भी टैक्स लेना सबसे आसान होता है। किसी भी कर्मचारी के लिए भविष्य निधि उसके सपनों की बुनियाद होती है। बेटी की शादी, मकान खरीदना या बनवाना या फिर किसी बीमारी की हालत में इलाज के लिए वो हर महीने अपनी पाई-पाई जोड़ता है। लेकिन सरकार ने अब इस भविष्य निधि पर मिलने वाले ब्याज के 60 फीसदी हिस्से को टैक्स के दायरे में ला दिया है, जिससे कर्मचारी वर्ग न सिर्फ नाराज़ है बल्कि इसे अपने सपनों में सेंधमारी करार दे रहा है। हालांकि सरकार की दलील है कि वो पेंशन योजनाओं को बढ़ावा दे रही है जिसकी वजह से ये कदम उठाए गए।

सरकार का कहना है कि ये कदम इसलिए उठाए गए ताकि लोग पेंशन स्कीम पर जाएं, न कि सारा पीएफ़ निकाल लें।

-पीएफ़ और नेशनल पेंशन स्कीम में 40% निकासी पर टैक्स नहीं।
-अगर ये 60% पेंशन योजनाओं में जमा किया जाए तो टैक्स नहीं।
-यानी पेंशन योजनाओं में निवेश पर सौ फ़ीसदी छूट।
-मौत के बाद वारिस को पूरी रक़म टैक्स फ्री।
-मक़सद लोगों का पैसा निकाल लेने की जगह पेंशन योजनाओं में डालने को प्रोत्साहित करना।

कायदे के मुताबिक मेरे वेतन से ईपीएफ का कटना ज़रूरी है। क्या सरकार मुझे ये विकल्प देने पर तैयार है कि मैं अपना पैसा ईपीएफ में जमा ना करूं? ये पैसा मैं स्टॉक मार्केट में क्यों नहीं लगा सकता? सरकार ने अभी तक ईपीएफ से जितना पैसा कमाया है वो कब, कहां और कैसे खर्च हुआ, हमें नहीं पता।

मैं पहले भी ये मुद्दा उठा चुका हूं कि ईपीएफ का पैसा स्टॉक मार्केट में लगाया जाएगा तो मुझे इस बात की आज़ादी क्यों नहीं मिली। ईपीएफ के ब्याज पर टैक्स लिया जाएगा पर लंबे अरसे में मूलधन और ब्याज दोनों बराबर या कई बार ब्याज ही ज्यादा हो जाता है, तो क्या ऐसी हालत में ब्याज पर टैक्स लेना जायज है।

कहीं भी काम करने वाले व्यक्ति के लिए ईपीएफ निकालने की समय सीमा क्यों तय नहीं है। जैसे किसी भी निवेश में लॉकिंग पीरियड होता है, क्या इसमें कोई ऐसा लॉकिंग पीरियड दे रहे हैं। मेरा प्वाइंट यही है कि इस मुल्क का सिस्टम इतना करप्ट है कि मैं अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा सरकार के हाथ में क्यों दूं।

(अभिज्ञान प्रकाश एनडीटीवी इंडिया में सीनियर एक्जीक्यूटिव एडिटर हैं)

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