रेलवे में भर्ती : क्या रेलमंत्री पीयूष गोयल इन सवालों का जवाब देंगे?

क्या रेलमंत्री यह बताने की कष्ट करेंगे कि बढ़ा हुआ परीक्षा शुल्क वापस करने का जो निर्णय लिया गया था वह कब लिया गया था, विज्ञापन निकलने से पहले या विज्ञापन निकलने के बाद?

रेलवे में भर्ती : क्या रेलमंत्री पीयूष गोयल इन सवालों का जवाब देंगे?

रेल मंत्री पीयूष गोयल (फाइल फोटो)

कुछ दिन पहले रेलवे में निकली भर्ती के नियमों में तीन बड़े बदलाव किये गए थे. कुछ पदों के लिए अधिकतम उम्र सीमा को को 30 से घटाकर 28 कर दिया गया था, जनरल कैंडिडेट के लिए परीक्षा शुल्‍क बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया गया था जबकि SC/ST कैंडिडेट के लिए 250 रखा गया था. तीसरा जो बदलाव था वह था कि कुछ पदों के लिए आईटीआई अनिवार्य कर दिया गया था. इन बदलावों के बाद देश भर में छात्रों ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था. बिहार और पश्चिम बंगाल में छात्रों ने रेलवे की पटरी पर भी प्रदर्शन किया थे. मीडिया और छात्रों के दबाव देखते हुए रेलमंत्री ने प्रेस वार्ता के जरिये सफाई दी थी. रेलमंत्री पीयूष गोयल ने परीक्षा शुल्‍क बढ़ाने के फैसले पर सफाई देते हुए कहा था कि शुल्‍क इसलिए बढ़ाया गया कि सिर्फ गंभीर उम्मीदवार की फॉर्म भर सकें. माननीय रेल मंत्री का कहना था कि कई बार कम शुल्क की वजह से लोग आवेदन कर देते हैं लेकिन परीक्षा नहीं देते जिसकी वजह से सरकार को नुक़सान होता है. रेल मंत्री ने यह सफाई दी है कि अगर उम्मीदवार परीक्षा में बैठता है तो बढ़ी हुई फीस वापस कर दी जाएगी. इसके साथ उम्र और आईटीआई को लेकर जो बदलाव किया गया था वे भी वापस ले लिया गया था. रेलमंत्री ने ऐसा कदम उठाकर अच्छा तो किया है लेकिन इसे लेकर कई सवाल खड़े होते हैं. तो रेलमंत्री इन सवालों का जबाब देने का कष्ट करेंगे?

पहला सवाल : क्या रेलमंत्री यह बताने की कष्ट करेंगे कि बढ़ा हुआ परीक्षा शुल्क वापस करने का जो निर्णय लिया गया था वह कब लिया गया था, विज्ञापन निकलने से पहले या विज्ञापन निकलने के बाद? अगर विज्ञापन निकलने से पहले यह निर्णय लिया गया था तो फिर यह बात विज्ञापन में क्यों नहीं बताई गई कि बढ़ा हुआ शुल्क वापस कर दिया जाएगा या फिर आरआरबी यह देखना चाहता था कि बढ़े हुए शुल्क पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होने वाली है. अगर बच्चे चुपचाप फीस दे दें तो ठीक नहीं तो वापस कर दिया जाता. अगर विज्ञापन निकलने के बाद यह निर्णय लिया गया तो फिर यह मीडिया और बच्चों के प्रदर्शन के दवाब में लिया गया है. अगर ऐसा है तो फिर रेलमंत्री शुल्क बढ़ने को लेकर जो तथ्य पेश कर रहे हैं वह गलत है.

दूसरा सवाल : मंत्री जी यह बताएंगे कि रेलवे जैसी इतनी बड़ी संस्था में ऐसा निर्णय कौन लेता है जो बाद में वापस ले लिये जाते हैं. कुछ पदों के लिए अधिकतम उम्र सीमा 30 से बढ़ाकर 28 कर दी गई, फिर उसे दोबारा 30 कर दिया गया. कुछ पदों के लिए आईटीआई अनिवार्य करना फिर इस क्राइटेरिया को हटा देना. ऐसा लगता है जैसे बच्चों के साथ मजाक हो रहा है. मंत्री जी बताएंगे कि आरआरबी की गलती की वजह से बच्चों का जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई कौन करेगा. इन सब बदलाव की वजह से बच्चे अपने तैयारी छोड़कर सड़क पर उतरे, उनका समय बर्बाद हुआ, इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा?

तीसरा सवाल : क्या रेलमंत्री जी यह बताएंगे कि शुल्क बढ़ने की वजह जो गरीब बच्चे फॉर्म नहीं भर पा रहे हैं उनका क्या होगा? जिन बच्चों के पास 500 या 250 रूपये फॉर्म भरने के लिए नहीं हैं वह क्या करेंगे. इन में से कई ऐसे बच्चे ऐसे हैं जो कई सालों से रेलवे जैसी सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं. मंत्री जी, आपको यह समझना चाहिए था देश के अंदर कई ऐसे छात्र हैं जिन के पास फॉर्म भरने के लिए 500 तो दूर 100 रुपये भी नहीं होते हैं. वह रेलवे जैसे सेक्टर में जाना चाहते हैं क्योंकि फॉर्म भरने का शुल्क कम होता है. मंत्री जी, आपने कह दिया कि बढ़ा हुआ शुल्क वापस कर दिया जायेगा. लेकिन आपने यह दिमाग नहीं लगाया कि शुल्क बढ़ा देने की वजह से हज़ारों की संख्या में गरीब छात्र फॉर्म नहीं भर पाएंगे. इन छात्रों का क्या होगा? अगर शुल्क नहीं बढ़ता तो यह लोग फॉर्म भर देते. अब तो उनका रेलवे में नौकरी करने का सपना टूट गया न?

अब चौथा सवाल शुल्क वापस करने को लेकर है. आपने कहा कि जो बच्चे एग्जाम में बैठेंगे उनका पैसा वापस दे दिया जायेगा. आप जो यह बढ़ा हुआ शुल्क वापस करेंगे उसे कितने दिनों में करेंगे और सबसे बड़ा सवाल यह है कि बच्चों को जो रिफंड होगा उस पर क्‍या कोई ट्रांज़ैक्शन फी लगेगी, अगर लगेगी तो फिर ट्रांज़ैक्शन फी कौन देगा, आरआरबी या बच्चे? मंत्री जी, आपको यह नहीं लगता कि बच्चों का पैसा वापस करने में सरकारी बैंकों का समय भी बर्बाद होगा. ऐसे भी आजकल सरकारी बैंक कर्मचारियों को ऐसे काम दे दिए गए हैं जो इनके दायरे में नहीं आते हैं. मंत्री जी, एक और सवाल है कि परीक्षा के लिए 50 लाख से भी ज्यादा बच्चे फॉर्म भरेंगे. इन बच्चों की बढ़ी हुयी फीस को कम से कम तीन महीने के लिए आरआरबी अपने पास रखेगा, इस पर जो ब्याज मिलेगा क्या आप उस को भी बच्चों को देंगे या फिर इस ब्याज को अपने पास रखने के लिए आरआरबी ने शुल्क बढ़ाया है?

सुशील कुमार महापात्रा एनडीटीवी इंडिया के चीफ गेस्ट कॉर्डिनेटर हैं...

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