Javed Akhtar: 'इन चरागों में तेल ही कम था, क्यूं गिला फिर हमें हवा से रहे', जावेद अख्तर के 10 बेहतरीन शेर

जावेद अख्तर की कई पीढ़ियां भाषा की सेवा करती चली आ रही हैं. पिता जान निसार अख्तर तो मशहूर कवि थे ही. साथ ही दादा मुज्तर खैरबादी भी जाने माने शायर हुआ करते थे.

Javed Akhtar: 'इन चरागों में तेल ही कम था, क्यूं गिला फिर हमें हवा से रहे', जावेद अख्तर के 10 बेहतरीन शेर

जावेद अख्तर (फाइल फोटो)

खास बातें

  • जावेद अख्तर को शेरो-शायरी की इनायत विरासत में मिली
  • पिता, परदादा और ससुर भी रह चुके हैं बड़े शायर
  • शायरी सिखाती है दुनियादारी की परिभाषा
नई दिल्ली:

भारतीय सिनेमा में सबसे बड़े पटकथा लेखकों में शुमार जावेद अख्तर एक शानदार कवि भी हैं. आज उनका जन्मदिन है. जावेद साहब की कविताएं हर उम्र के लोगों को सीधे खुद से जोड़ती हैं. हालांकि उन्हें शेर-शायरी की यह इनायत विरासत में मिली थी. उनकी कई पीढ़ियां भाषा की सेवा करती चली आ रही हैं. पिता जान निसार अख्तर तो मशहूर कवि थे ही. साथ ही दादा मुज्तर खैरबादी भी जाने माने शायर हुआ करते थे. इसके अलावा जावेद अख्तर के परदादा के बड़े भाई बिस्मिल खैरबादी अपने जमाने के जाने-पहचाने नाम थे. जावेद अख्तर के ससुर कैफी आजमी भी प्रसिद्ध कवि थे. इस विरासत को जावेद ने न सिर्फ बखूबी संभाला बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी बहुत कुछ लिख दिया. इसी कड़ी में उनके जन्मदिन के मौके पर जावेद अख्तर के 10 मशहूर शेर पेश किए जा रहे हैं. पढ़ें यहां.    

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1- अक्ल ये कहती है दुनिया मिलती है बाजार में 
दिल मगर ये कहता है कुछ और बेहतर देखिए

2- अगर पलक पे है मोती तो ये नहीं काफी 
हुनर भी चाहिए अल्फाज में पिरोने का 
 

3- आगही से मिली है तन्हाई 
आ मिरी जान मुझ को धोका दे

4-  इक खिलौना जोगी से खो गया था बचपन में 
ढूंढता फिरा उस को वो नगर नगर तन्हा 
 

5- इक मोहब्बत की ये तस्वीर है दो रंगों में 
शौक सब मेरा है और सारी हया उस की है 
 

6- इन चरागों में तेल ही कम था 
क्यूं गिला फिर हमें हवा से रहे 
 

7-इस शहर में जीने के अंदाज निराले हैं 
होंटों पे लतीफे हैं आवाज में छाले हैं 
 

8-उस के बंदों को देख कर कहिए 
हम को उम्मीद क्या खुदा से रहे 
 

9-उस की आंखों में भी काजल फैल रहा है 
मैं भी मुड़ के जाते जाते देख रहा हूं
 

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10- ऊंची इमारतों से मकां मेरा घिर गया 
कुछ लोग मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए