'दिन में आने लगे हैं ख्वाब मुझे, उस ने भेजा है इक गुलाब मुझे'- फूल नहीं शायरी से जीतें रोज डे पर दिल

Rose Day Shayari: हर साल 14 फरवरी को वैलेंटाइन्स डे को आता है. सात फरवरी से वैलेंटाइन वीक शुरू हो जाता है. पहला दिन रोज डे यानी गुलाब दिवस का होता है. पढ़ें गुलाबों पर उर्दू के शायरों की चुनींदा शायरी.

'दिन में आने लगे हैं ख्वाब मुझे, उस ने भेजा है इक गुलाब मुझे'- फूल नहीं शायरी से जीतें रोज डे पर दिल

Rose Day 2022 पर पढ़ें उर्दू की रोमांटिक शायरी

नई दिल्ली:

हर साल वैलेंटाइन्स डे 14 फरवरी के दिन आता है. सात फरवरी से वैलेंटाइन वीक की शुरुआत हो जाती है. सात फरवरी को रोज डे मनाया जाता है. गुलाब का फूल इश्क के इजहार के लिए रामबाण माना जाता है. फिर वह चाहे बॉलीवुड की फिल्में हो या फिर असल जिंदगी. टूटे दिल को जोड़ना हो या फिर पहले प्यार का इजहार हो, गुलाब खूब डिमांड में रहता है. बॉलीवुड फिल्में में कई सुपरहिट गीत बने हैं. जिसमें 'मिले न फूल तो कांटों से दोस्ती  कर ली' जोरदार सॉन्ग है. Rose Day 2022 पर उर्दू के मशहूर शायरों की ऐसा इश्किया शायरी पर नक नजर डालते हैं, जिनमें गुलाब के साथ कांटों का भी खूब जिक्र है. वैलेंटाइन वीक की शुरुआत 7 फरवरी से होती है. पहला दिन रोज डे होता है. 8 फरवरी को प्रपोज डे होता है. 9 फरवरी को चॉकलेट डे, 10 फरवरी को टेडी डे, 11 फरवरी को प्रॉमिस डे, 12 फरवरी को हग डे, 13 फरवरी को किस डे और 14 फरवरी को वैलेंटाइंस डे आता है.

रोज डे 2022 पर मशहूर शायरी...

कुछ ऐसे फूल भी गुजरे हैं मेरी नजरों से
जो खिल के भी न समझ पाए जिंदगी क्या है
आजाद गुलाटी

लोग कांटों से बच के चलते हैं
मैंने फूलों से जख्म खाए हैं
अज्ञात

आज भी शायद कोई फूलों का तोहफा भेज दे
तितलियां मंडला रही हैं कांच के गुल-दान पर
शकेब जलाली

अगरचे फूल ये अपने लिए ख़रीदे हैं
कोई जो पूछे तो कह दूंगा उस ने भेजे हैं
इफ्तिखार नसीम

हम ने कांटों को भी नरमी से छुआ है अक्सर
लोग बेदर्द हैं फूलों को मसल देते हैं
अज्ञात

फूलों की ताज़गी ही नहीं देखने की चीज़
कांटों की सम्त भी तो निगाहें उठा के देख
असअ'द बदायुनी

निकल गुलाब की मुट्ठी से और ख़ुशबू बन
मैं भागता हूँ तिरे पीछे और तू जुगनू बन
जावेद अनवर

सुनो कि अब हम गुलाब देंगे गुलाब लेंगे
मोहब्बतों में कोई ख़सारा नहीं चलेगा
जावेद अनवर

मैं चाहता था कि उस को गुलाब पेश करूँ
वो ख़ुद गुलाब था उस को गुलाब क्या देता
अफ़ज़ल इलाहाबादी

हसरत-ए-मौसम-ए-गुलाब हूँ मैं
सच न हो पाएगा वो ख़्वाब हूँ मैं
नीना सहर

लो हमारा जवाब ले जाओ
ये महकता गुलाब ले जाओ
अलीना इतरत

दिन में आने लगे हैं ख़्वाब मुझे
उस ने भेजा है इक गुलाब मुझे
इफ़्तिख़ार राग़िब
 

कांटों से दिल लगाओ जो ता-उम्र साथ दें

फूलों का क्या जो सांस की गर्मी न सह सकें

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अख्तर शीरान