उषा खन्ना, उदित नारायण और अनु मलिक को मिला लता मंगेशकर सम्मान

वर्ष 2012 के लिए उषा खन्ना, वर्ष 2015 के लिए उदित नारायण तथा वर्ष 2016 के लिए अनु मलिक को लता मंगेशकर सम्मान प्रदान किया गया

उषा खन्ना, उदित नारायण और अनु मलिक को मिला लता मंगेशकर सम्मान

मध्यप्रदेश का लता मंगेशकर सम्मान संगीतकार उषा खन्ना, अनु मलिक और गायक उदित नारायण को प्रदान किया गया.

खास बातें

  • मध्य प्रदेश सरकार का पुरस्कार समारोह इंदौर में आयोजित
  • उषा खन्ना ने कहा- लता के नाम से पुरस्कार मिलना सबसे बड़ा आशीर्वाद
  • अनु मलिक ने कहा- सम्मान की परंपरा से कला एवं संस्कृति को बढ़ावा
इंदौर:

मध्य प्रदेश के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय लता मंगेशकर सम्मान से गुरुवार रात को गीत-संगीत क्षेत्र की तीन विभूतियों को सम्मानित किया गया. वर्ष 2012 के लिए उषा खन्ना, वर्ष 2015 के लिए उदित नारायण तथा वर्ष 2016 के लिए अनु मलिक को यह सम्मान प्रदान किया गया. समारोह में वित्त मंत्री जयंत मलैया ने यह सम्मान प्रदान किए. इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सुरेंद्र पटवा ने की.

वित्त मंत्री तथा इंदौर जिले के प्रभारी जयंत मलैया ने कहा कि प्रदेश में गीत-संगीत को बढ़ावा देने के लिए यह पुरस्कार स्थापित किया गया है. अब तक इस सम्मान से 28 विभूतियों को सम्मानित किया जा चुका है. समारोह को संबोधित करते हुए पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सुरेंद्र पटवा ने कहा कि मध्य प्रदेश की देश में कला, गीत, संगीत संस्कृति तथा पर्यटन के क्षेत्र में विशेष पहचान है.

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इस मौके पर प्रसिद्ध गायक उदित नारायण ने कहा, "यह खुशी की बात है कि मध्य प्रदेश शासन ने मुझे इस सम्मान से अलंकृत किया है. लता मंगेशकर के नाम से सम्मान मिलना मां सरस्वती का आशीर्वाद मिलने के बराबर है."

प्रसिद्ध संगीत निर्देशक अनु मलिक ने कहा, "लता मंगेशकर के नाम से स्थापित पुरस्कार मिलना अपने आप में सबसे बड़ा सम्मान है. सम्मान की परंपरा से कला एवं संस्कृति को बढ़ावा मिलता है." प्रसिद्ध संगीतकार उषा खन्ना ने कहा, "मैं मध्य प्रदेश में जन्मी हूं. लता मंगेशकर के नाम से पुरस्कार मिलना मेरे लिए सबसे बड़ा आशीर्वाद है." उन्होंने कहा कि गायक एवं संगीतकार एक-दूसरे के बगैर अधूरे हैं.

VIDEO : तीन दशक बाद साथ-साथ

आयोजन समिति के अध्यक्ष तथा संभागायुक्त संजय दुबे ने बताया कि यह सम्मान वर्ष 1984 में स्थापित किया गया था. प्रमुख सचिव संस्कृति मनोज श्रीवास्तव ने प्रशस्ति-पत्र का वाचन किया.
(इनपुट आईएएनएस से)


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