'पद्मावती' विवाद पर बोले सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष, विशेष समिति की भूमिका परामर्श तक थी

प्रसून ने कहा, "सीबीएफसी के फैसले में सलाह के कुछ हिस्सों को जगह मिली है, लेकिन जैसा कि कहा गया है कि प्रमाणन का अंतिम फैसला सीबीएफसी समिति का है, जिसका व्यवहारिक और संतुलित नजरिया है. इसे लेकर अनावश्यक विवाद नहीं खड़ा करना चाहिए."

'पद्मावती' विवाद पर बोले सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष, विशेष समिति की भूमिका परामर्श तक थी

मुंबई:

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने सोमवार को कहा कि विवादित फिल्म 'पद्मावती' के प्रमाणन के लिए विशेष समिति का गठन सलाह लेने के उद्देश्य से किया गया था और अंतिम फैसला हमेशा सेंसर बोर्ड के हाथ में रहेगा. प्रसून का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब ऐसी खबरें आई हैं कि सीबीएफसी समिति ने विशेष समिति के कुछ सदस्यों की आपत्तियों के बावजूद शीर्षक में बदलाव सहित पांच संशोधनों के साथ 'पद्मावती' को यू/ए प्रमाण-पत्र देने का फैसला किया है. 

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प्रसून ने कहा, "सीबीएफसी के फैसले में सलाह के कुछ हिस्सों को जगह मिली है, लेकिन जैसा कि कहा गया है कि प्रमाणन का अंतिम फैसला सीबीएफसी समिति का है, जिसका व्यवहारिक और संतुलित नजरिया है. इसे लेकर अनावश्यक विवाद नहीं खड़ा करना चाहिए."

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पिछले हफ्ते सीबीएफसी ने प्रसून की मौजूदगी और विशेष समिति के सदस्यों -उदयपुर के अरविंद सिंह, इतिहासकार चंद्रमणि सिंह और जयपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के.के. सिंह की मौजूदगी में हुई बैठक के बाद अपने फैसले की घोषणा की थी. 

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मेवाड़ राजवंश के 76वें वंशज व पूर्व लोकसभा सदस्य महेंद्र सिंह मेवाड़ ने संजय लीला भंसाली निर्देशित फिल्म को प्रमाणित किए जाने को जनता के साथ धोखा बताते हुए 31 दिसंबर, 2017 को प्रसून की निंदा की थी. 

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