फिल्ममेकर संजय खान चाहते हैं मुख्यधारा का हिस्सा बनें मुस्लिम, कहा- फेक न्यूज से दूर रहना...

बॉलीवुड एक्टर और फिल्ममेकर संजय खान (Sanjay Khan) की किताब 'अस्सलामुअलैकुम वतन (Assalamualaikum Watan)' हाल ही में रिलीज हुई है. संजय खान ने अपने किताब लिखने के मकसद के साथ अन्य कई बातों पर रोशनी डाली.

फिल्ममेकर संजय खान चाहते हैं मुख्यधारा का हिस्सा बनें मुस्लिम, कहा- फेक न्यूज से दूर रहना...

संजय खान की किताब हाल ही में हुई है रिलीज

नई दिल्ली:

बॉलीवुड एक्टर और फिल्ममेकर संजय खान (Sanjay Khan) की किताब 'अस्सलामुअलैकुम वतन (Assalamualaikum Watan)' हाल ही में रिलीज हुई है. संजय खान (Sanjay Khan) ने अपनी इस किताब में भारत की विरासत को आकार देने में मुस्लिमों की भूमिका पर प्रकाश डाला है और भारतीय मुस्लिमों को मुख्यधारा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया है. जब संजय खान से इस किताब के पीछे की प्रेरणा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान के मुसलमान अपने आज को बेहतर करें और देश की मुख्यधारा का हिस्सा बनें. इस तरह उन्होंने अपनी किताब और आने वाले प्रोजेक्ट्स को लेकर कई बातें बताईं. 

आपको यह बुक लिखने के लिए किस बात ने प्रेरित किया?
इस बुक को लिखने की प्रेरणा और मकसद यह है कि हिंदुस्तान के मुसलमान अपने आज को बेहतर करें और देश की मुख्यधारा का हिस्सा बनें. मेरी अहम प्रेरणा है देश की एकता अखंडता और समृद्धि और मैं समझता हूं कि हिंदुस्तान के 20 करोड़ मुसलमान यह हासिल कर सकते हैं.

समाज में आया वह कौन सा बदलाव है, जो आपको सबसे ज्यादा परेशान करता है?
मैं अच्छे बदलाव को बुरा नहीं मानता लेकिन सोशल मीडिया पर फेक खबरें बहुत खतरनाक रूपरेखा तैयार करने में सक्षम हैं. हमें इससे दूर होना चाहिए और अच्छे बदलाव को सही दिशा देनी चाहिए.

आप आज समाज में किसी समुदाय विशेष को लेकर किस तरह के बदलाव देखते हैं?
मैं चाहता हूं कि मुसलमान समाज अब अपनी आने वाली पीढ़ी को बदलाव का मौका दें मेरी किताब में यही मैसेज है. इल्म को अपनी ताकत बना कर हिंदुस्तान के मुसलमान अपने कल के सुनहरे इतिहास को दोहराएं और मुल्क की तरक्की का बड़ा हिस्सा बनें.

फिल्म इंडस्ट्री में आपको एक अरसा हो चुका है, ऐसे में कभी जाति या समुदाय विशेष को लेकर आपका कोई कड़वा या मीठा अनुभव रहा है?
नहीं, फिल्म इंडस्ट्री एक बहुत ही निष्पक्ष जगह है, थी और रहेगी. मुझे गर्व है कि मैं इसका हिस्सा हूं और मेरी तरह बहुत से मुसलमानों का इसमें बड़ा योगदान है.

समय के साथ क्या फिल्म इंडस्ट्री में भी जाति या समुदाय को लेकर खाई बढ़ी है?
नहीं जैसा कि मैंने कहा हम सब एक ही बाग के फूल हैं और भेदभाव का सवाल ही नहीं.

आपने 'जय हनुमान' और 'द ग्रेट मराठा' जैसे शानदार सीरियल बनाए हैं, आगे भी क्या कुछ इस तरह के सीरियल बनाने का इरादा है?
इस वक्त सीरियल बनाने का कोई विचार नहीं है लेकिन आने वाले साल में देश प्रेम पर आधारित एक बायोपिक का निर्माण करूंगा जो आने वाली पीढ़ी को समाजिक प्रेरणा देगी.

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आप दो बेहतरीन किताबें लिख चुके हैं, किसी और भी किताब पर काम कर रहे हैं?
नहीं किताब लिखने का अभी कोई ख्याल नहीं है लेकिन अपनी फिल्म निर्माण होने के बाद कुछ लिखना जरूर चाहूंगा.