Sunil Dutt Birthday: रेडियो के मशहूर एनाउंसर से सुनील दत्त कैसे बने बॉलीवुड के 'डैशिंग डकैत'

Sunil Dutt Birthday: सुनील दत्त का नाम जेहन में आते ही कभी ‘पड़ोसन’ के ‘भोला’ का चेहरा सामने आता है तो कभी ‘मुन्नाभाई’ के संजीदा और सख्त पिता का.

Sunil Dutt Birthday: रेडियो के मशहूर एनाउंसर से सुनील दत्त कैसे बने बॉलीवुड के 'डैशिंग डकैत'

Sunil Dutt Birthday: सुनील दत्त की फाइल फोटो

नई दिल्ली:

सुनील दत्त का नाम जेहन में आते ही कभी ‘पड़ोसन' के ‘भोला' का चेहरा सामने आता है तो कभी ‘मुन्नाभाई' के संजीदा और सख्त पिता का. लेकिन सुनील दत्त ने सबसे ज्यादा बार परदे पर किसी किरदार को जीवंत किया था तो वह था डकैत का किरदार. सुनील दत्त ने करीब 20 फिल्मों में डकैत की भूमिका निभाई थी. डाकू की भूमिका में सुनील दत्त काफी रौबदार व प्रभावी दिखाई देते थे. दर्शकों ने उन्हें इस रोल में काफी पसंद भी किया.

सुनील दत्त का जन्म खुर्दी नाम के एक छोटे से गांव में हुआ, जो अब पाकिस्तान के पंजाब में है. बंटवारे के दौरान हिंदुस्तान में आए सुनील दत्त का रूपहले परदे पर डैशिंग डकैत बनने का सफर आसान नहीं था. सुनील दत्त जब मुंबई आए तो उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. खर्च चलाने के लिए उन्हें बस डिपो में चेकिंग क्लर्क की छोटी से नौकरी कर ली. समय ने करवट बदली और सुनील दत्त को रेडियो सीलोन में एनाउंसर की नौकरी मिल गई. रेडियो सीलोन उस समय का प्रतिष्ठित और एकमात्र रेडियो स्टेशन था. इसी दौरान उनकी मुलाकात मशहूर अभिनेत्री नरगिस से हुई. सुनील दत्त को नरगिस का इंटरव्यू लेना था, लेकिन सुनील उन्हें दिल दे बैठे. उनके मुंह में शब्द मानों जम गए थे. आखिरकार ये इंटरव्यू कैंसिल करना पड़ा.

फिल्मों की दीवानगी सुनील दत्त को रेडियो सीलोन से रूपहले पर्दे पर खींच लाई. 1955 में उनकी पहली फिल्म आई जिसका नाम था ‘रेल्वे प्लेटफॉर्म'. लेकिन 1957 में ‘मदर इंडिया' ने उनके फिल्मी और निजी जीवन को पूरी तरह से बदल कर रख दिया. इस फिल्म के दौरान सेट पर आग लगने की घटना हुई. सुनील दत्त ने जान पर खेलकर नरगिस को बचाया और नरगिस हमेशा के लिए उनकी हो गईं. इसके साथ ही मदर इंडिया बेहद सफल रही. ये फिल्म भारत की ओर से पहली बार अकादमी पुरस्कार के लिए भेजी गई. आज भी ये श्रेष्ठ क्लासिक फिल्मों को शुमार की जाती है.

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

 मदर इंडिया में सुनील दत्त का किरदार ‘बिरजू' अन्याय से व्यथित होकर बंदूक थाम लेता है और डाकू बन जाता है. इस किरदार के बाद परदे पर सुनील दत्त के हाथों में भी बंदूक आ गई और उन्होंने कई फिल्मों को डाकू की भूमिका निभाई. मुझे जीने दो, रेशमा और शेरा, बदले की आग, जानी दुश्मन, राजतिलक जैसी फिल्मों में उन्होंने बीहड़ के डकैत के हूबहू पर्दे पर उतार दिया था. ‘मुझे जीने दो' फिल्म का निर्माण भी उन्हीं ने किया था. शूटिंग के लिए उन्होंने चंबल के इलाके को चुना जो उस समय डकैतों की मौजूदगी के लिए पहचाना जाता था. कहा जाता है कि एक बार दत्त साहब डाकू की भूमिका साकार करने के लिए डकैतों से मिलने भी जा पहुंचे थे.