नोटबंदी के कारण देश की जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष में सिमटकर 6.5-7.5 रह सकती है...
खास बातें
- मोदी सरकार ने 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की थी
- तभी से बहस जारी थी कि अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी या नहीं
- सरकार अपने बयानों में इन आशंकाओं को खारिज करती रही
नई दिल्ली: मोदी सरकार ने 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की थी. तभी से देश में इस बात को लेकर बहस जारी थी कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होगी. सरकार अपने बयानों में इन आशंकाओं को खारिज करती रही. यहां तक कि कई रेटिंग एजेंसियों ने भारत के आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को घटा दिया था. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत की वृद्धि दर अनुमान को 7.6 फीसदी से घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया था. लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते हुए पहली बार स्वीकार किया कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को चोट पहुंची है. संसद में मंगलवार को पेश की गई आर्थिक समीक्षा 2016-17 में उन्होंने नोटबंदी को देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के विकास में बाधा उत्पन्न करने वाला सबसे बड़ा खतरा बताया है.
सर्वे के मुताबिक, नोटबंदी के कारण देश की जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष में सिमटकर 6.5-7.5 रह सकती है. गौरतलब है कि मोदी सरकार ने 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की थी. तब से वित्त मंत्री अरुण जेटली और सरकार के मंत्री जब भी मीडिया से मुखातिब हुए तो यही दोहराते रहे कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था प्रभावित नहीं होगी. इसकी रफ्तार पर कोई असर नहीं पड़ेगा. यहां तक कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मौकों पर यह संदेश देने की कोशिश की नोटबंदी से आर्थिक रफ्तार सुस्त नहीं होगी लेकिन आर्थिक सर्वे में सरकार ने पलटी मार ली है.
नकदी उपलब्ध कराने पर जोर
सर्वे में इस बात पर विशेष रूप से जोर दिया है कि नकदी समस्या को जितनी जल्दी हो सके दूर किया जाए. इससे आम जन में विश्वास की बहाली होगी. साथ ही नकदी निकालने पर कोई पेनाल्टी नहीं लगाने की वकालत की गई है. यह भी आशंका जताई गई है कि अगर नकदी निकासी पर पेनाल्टी लगाई गई तो जमाखोरी को बढ़ावा मिलेगा.
कृषि क्षेत्र भी होगा प्रभावित
उन्होंने संसद को यह भी बताया है कि नोटबंदी के बाद देश में उपजे नकदी संकट का असर कृषि क्षेत्र पर व्यापक स्तर पर पड़ेगा. इससे उसके उत्पादन और विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 4.1 फीसदी रहेगी. 2015-16 में यह 1.2 फीसदी रही थी. हालांकि नोटबंदी के चलते छोटे किसान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.