चुनाव आयोग ने केंद्र से कहा - बजट में चुनाव वाले पांच राज्यों के बारे में कोई विशेष घोषणा न की जाए

चुनाव आयोग ने केंद्र से कहा - बजट में चुनाव वाले पांच राज्यों के बारे में कोई विशेष घोषणा न की जाए

वित्त मंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी को आम बजट पेश करेंगे

खास बातें

  • चुनाव आयोग ने 1 फरवरी को बजट पेश किए जाने को मंजूरी दी
  • 'बजट भाषण में चुनाव वाले राज्यों में सरकार की उपलब्धियों का जिक्र न हो'
  • आयोग ने सरकार को 2009 की एक एडवाइजरी की भी याद दिलाई
नई दिल्ली:

चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले आम बजट में उन पांच राज्यों के बारे में कोई विशेष घोषणा न की जाए, जहां विधानसभा चुनाव होने हैं. आयोग ने 1 फरवरी को बजट पेश किए जाने की मंजूरी दे दी है. आयोग ने कहा कि वित्त मंत्री के भाषण में इन राज्यों में सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख नहीं होना चाहिए. आयोग ने सरकार को 2009 की एक एडवाइजरी की भी याद दिलाई जिसमें कहा गया था कि परंपरा के अनुसार चुनावों से पहले पूर्ण बजट के बजाय लेखानुदान पेश किया जाता है.

चुनाव आयोग ने कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा से कहा, 'आयोग निर्देश देता है कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनावों के लिए और सभी के लिए स्थिति समान बनाए रखते हुए किसी राज्य-केंद्रित योजना की घोषणा नहीं की जाएगी जिसकी चुनाव वाले पांच राज्यों के मतदाताओं पर सत्तारूढ़ दलों के पक्ष में असर पड़ने की संभावना हो.'

उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरुआत में 16 राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग से आग्रह किया था कि वह सरकार से चुनाव के बाद केंद्रीय बजट पेश करने के लिए कहे ताकि इसका उपयोग पांच राज्यों में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए नहीं किया जा सके, जहां चुनाव होने हैं. सोमवार को केंद्र सरकार के 1 फरवरी को बजट पेश करने के खिलाफ दाखिल याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि आम बजट केंद्रीय होता है और इसका राज्यों से कोई लेना-देना नहीं है.

सोमवार को कांग्रेस ने मोदी सरकार पर चुनाव से पहले मतदाताओं को लुभाने का आरोप लगाते हुए निर्वाचन आयोग से अपील की थी कि वह अपने संवैधानिक कर्तव्यों को पूरा करते हुए निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाए, ताकि सरकार इस बजट में किसी प्रकार के प्रलोभन की घोषणा नहीं करे.

कांग्रेस के प्रवक्ता अजय कुमार ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं और स्पष्ट रूप से कहते हैं कि यह निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी है और उन्हें निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अपने संवैधानिक कर्तव्य का पालन करना चाहिए कि ऐसा किसी प्रकार का प्रलोभन नहीं दिया जाए, जिससे उन पांच राज्यों के मतदाता प्रभावित हों जिनमें चुनाव होने हैं.'

दूसरी ओर, संसद के बजट सत्र से पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने 30 जनवरी को अलग-अलग सर्वदलीय बैठकें बुलाई हैं, ताकि संसद में सुगम कामकाज का रास्ता बन सके और उन मुद्दों के बारे में जाना जा सके जो विभिन्न राजनीतिक दल उठाना चाहते हैं. अगले दिन यानी 31 जनवरी को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अभिभाषण देंगे.

केंद्रीय बजट 1 फरवरी को पेश किया जाना निर्धारित है और इसी दिन आर्थिक सर्वेक्षण को भी पटल पर रखा जा सकता है. बजट सत्र का पहला हिस्सा 9 फरवरी तक होगा, क्योंकि इस दौरान उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव होने हैं. सत्र का दूसरा हिस्सा 9 मार्च से शुरू होगा और 12 अप्रैल तक चलेगा.


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