Budget 2018 : इसी बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली को करना होगा उपाय, मोदी सरकार के सामने हैं 5 चुनौतियां

मोदी सरकार बजट में कई बड़ी घोषणाएं कर सकती है. लेकिन उसके सामने राजकोषीय घाटे को कम रखने की भी चुनौती है. आर्थिक सर्वे में साल 2018-2019 के लिए जीडीपी की दर 7 से 7.5 फीसदी रखी गई है लेकिन कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें बड़ी मुश्किलें ला सकती हैं. फिलहाल कुछ चुनौतियां ऐसी हैं जिनसे हर हाल में मोदी सरकार को जूझना होगा. 

Budget 2018 : इसी बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली को करना होगा उपाय, मोदी सरकार के सामने हैं 5 चुनौतियां

Budget 2018 : आज वित्त मंत्री अरुण जेटली बजट पेश करेंगे

खास बातें

  • 11 बजे अरुण जेटली पेश करेंगे बजट
  • मोदी सरकार का आखिरी पूर्णकालिक बजट
  • सामने हैं कई चुनौतियां
नई दिल्ली:

आज 11 बजे जब वित्त मंत्री अरुण जेटली  बजट पेश कर रहे होंगे तो उनके दिमाग में सामने खड़ी कुछ चुनौतियां जरूर होंगी. इसी साल 8 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और अगले साल लोकसभा का चुनाव. लेकिन इन सबसे पहले हाल ही में जो कुछ चुनाव हुए हैं उनके नतीजे यह कहते हैं कि गांवों की जनता मोदी सरकार के कामकाज से बहुत खुश नहीं है. उम्मीद की ज रही है कि मोदी सरकार बजट में कई बड़ी घोषणाएं कर सकती है. लेकिन उसके सामने राजकोषीय घाटे को कम रखने की भी चुनौती है. आर्थिक सर्वे में साल 2018-2019 के लिए जीडीपी की दर 7 से 7.5 फीसदी रखी गई है लेकिन कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें बड़ी मुश्किलें ला सकती हैं. फिलहाल कुछ चुनौतियां ऐसी हैं जिनसे हर हाल में मोदी सरकार को जूझना होगा. 

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आर्थिक वृद्धि दर :  वित्त मंत्री अरुण जेटली को आर्थिक वृद्धि दर को बढ़ाने के लिए कुछ उपाय करने होंगे. वृद्धि दर इस समय चार सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है. इस फाइनेंसिय साल में यह दर 6.75 फीसदी के करीब दर्ज की गई है. आर्थिक सर्वे में साल 2018-19 में7 से 7.5 फीसदी रखने का लक्ष्य रखा गया है.

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कच्चे तेल कीमतें : कच्चे तेल की कीमतें जब भी बढ़ी हैं महंगाई साथ में बढ़ती है. जून से इसकी कीमतों में 40 फीसदी का बढ़ोत्तरी हो चुकी है. इसके साथ ही सरकार पर एक्साइज ड्यूटी घटने का भी दबाव बढ़ रहा है, लेकिन अगर ये फैसला किया गया तो सरकार के राजस्व में भारी कमी आ जाएगी. मुख्य आर्थिक सलाहकार का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में 10 डॉलर की बढ़ोत्तरी आर्थिक वृद्धि दर  में .02 फीसदी से 0.3 फीसदी की कमी लाती है.

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जीएसटी : जीएसटी लागू होने के बाद से दो महीने तक राजस्व संग्रह में भारी कमी आ गई थी. लेकिन दिसंबर में  इसमें सुधार हुआ था. लेकिन अभी जुलाई की तुलना में इसमें कमी है. कुछ विशेषज्ञों कहना है कि जीएसटी का आने वाला वक्त में काफी फायदा मिलेगा लेकिन इससे पहले इसकी जटिलताओं को दूर करना होगा. 

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टैक्स में कटौती  : वित्त मंत्रलाय पर इस सम उद्योग जगत की ओर से टैक्स में कटौती करने का दबाव है. साल 2015-16 के बजट में जेटली ने कारपोरेट टैक्स को घटाकर चार साल के लिए 30 से 25 फीसदी कर दिया था. अमेरिका की ओर से कम किए गए टैक्स रेट के बाद से विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को वैश्विक कारोबार के हिसाब से कारपोरेट में कटौती करनी चाहिए. इसके साथ ही नए स्टार्ट अप भी सरकार से टैक्स में कटौती की उम्मीद कर रहे हैं.

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वित्तीय मोर्चा : राजकोषीय घाटा का लक्ष्य 3.3 फीसदी रखा गया है. लेकिन ये लक्ष्य पूरा होता नहीं दिख रहा है क्योंकि चुनाव को देखते हुए सरकार को कुछ लोकलुभावन काम करने ही होंगे. इससे आर्थिक वृद्धि दर प्रभावित हो सकती है. जिसका सीधा असर जनता पर पड़ सकता है. 
 


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