वित्त मंत्रालय ने पिछले दो वर्ष में एक रुपये के 16 करोड़ नोट जारी किए हैं। आरटीआई कानून के मिली सूचना में यह खुलासा किया गया। सरकार ने करीब दो दशक पहले एक रुपये के नोट छापना बंद कर दिए थे।
दिल्ली के आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चन्द्र अग्रवाल और मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता मनोरंजय राय ने अलग-अलग आरटीआई दाखिल कर सरकार द्वारा पिछले 20 वर्षों में जारी किए गए एक रुपये के नोट की संख्या के बारे में पूछा था।
करेन्सी नोट प्रेस के जन सूचना अधिकारी जी. कृष्ण मोहन द्वारा दिए गए जवाब में कहा गया, ‘वर्ष 1994-95 में एक रुपये मूल्य के कुल 4 करोड़ नोट जारी किए गए थे। इसके बाद वित्त वर्ष 1995-96 से 2013-14 तक एक रुपये का कोई नोट जारी नहीं किया गया।’ हालांकि, वित्त वर्ष 2014-15 में एक रुपये के कुल 50 लाख नोट और चालू वित्त वर्ष में 15.5 करोड़ नोट बाजार में फिर से जारी किए गए।
जवाब में आगे बताया गया कि वित्त वर्ष 1994-95 में एक रुपये मूल्य के 4 करोड़ नोटों की उत्पादन लागत 59,40,059 रुपये थी।
अग्रवाल का दावा है, ‘एक रपये के नोट की बिक्री 50 रुपये के प्रीमियम मूल्य पर खुलेआम वेबसाइटों पर की जा रही है जिस पर रिजर्व बैंक को अंकुश लगाने की जरूरत है।’ हालांकि, आरबीआई की प्रवक्ता अल्पना किलावाला ने कहा, ‘एक रुपये का नोट वास्तव में एक सिक्का है। नोटों की देनदारी आरबीआई की है, जबकि सिक्के भारत सरकार की देनदारी है। इसलिए, एक रुपये के नोटों को पुन: जारी करने का निर्णय वित्त मंत्रालय द्वारा किया गया।’