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मोदी सरकार के दो साल : अर्थव्‍यवस्‍था से जुड़े पीएम के दावों पर क्‍या कहता है उद्योग जगत

दो साल पहले आज के दिन ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथ ली। दो साल बाद चल रहे जश्न के बीच प्रधानमंत्री दावा कर रहे हैं कि उन्होंने आर्थिक सुधारों पर अधिकतम काम किया, हालांकि अब भी कई चुनौतियां बाक़ी हैं।
NDTV Profit हिंदीHimanshu Shekhar Mishra
NDTV Profit हिंदी11:34 PM IST, 26 May 2016NDTV Profit हिंदी
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दो साल पहले आज के दिन ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथ ली। दो साल बाद चल रहे जश्न के बीच प्रधानमंत्री दावा कर रहे हैं कि उन्होंने आर्थिक सुधारों पर अधिकतम काम किया, हालांकि अब भी कई चुनौतियां बाक़ी हैं।

एनडीए सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिये इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने ये बात कही। मोदी ने कहा, "भारत रक्षा उत्‍पादन में आगे बढ़ना चाहता है। क्योंकि हम रक्षा उत्‍पादों का आयात काफी बड़े स्तर पर करते हैं। देश के नौजवानों को अगर मैं रोज़गार देना चाहूं तो रक्षा उपकरणों का उत्‍पादन ऐसा क्षेत्र है जिसमें मेरे देश के नौजवानों को सबसे ज़्यादा रोज़गार मिल सकता है।"

इसके अलावा प्रधानमंत्री ने ये उम्मीद जताई कि इस साल के अंत तक जीएसटी बिल पास हो जाएगा। सीआईआई ने प्रधानमंत्री के इस बयान का स्वागत किया है। सीआईआई कमेटी ऑन जीएसटी के चेयरमैन हरिशंकर सुब्रह्मण्‍यम ने एनडीटीवी से कहा, "प्रधानमंत्री का बयान काफी महत्वपूर्ण है। हमें उम्मीद है कि संसद के मॉनसून सत्र में सरकार जीएसटी बिल को पारित कराने में सफल हो सकती है। अगर सरकार सफल हुई तो 1 अप्रैल, 2017 से जीएसटी लागू करना संभव हो सकेगा।"

हालांकि अर्थव्यवस्था में सुधार के सवाल पर प्रधानमंत्री ने माना अभी काफी काम बाकी है। प्रधानमंत्री ने कहा, "मैंने आर्थिक सुधार की दिशा में काफी काम किया है। लेकिन मेरे सामने बहुत बड़ा काम बचा हुआ है।"

उद्योगजगत का मानना है कि अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने की जद्दोजहद में जुटे प्रधानमंत्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती आने वाले समय में रोज़गार के नए अवसर पैदा करने की होगी। और इसके लिए सरकार को माहौल बेहतर बनाना होगा जिससे अर्थव्यवस्था में ज़्यादा निवेश हो सके। एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल डी.एस. रावत कहते हैं कि पहले दो साल में निवेश ज्यादा नहीं हुआ है। बुनियादी सेक्टर में काफी दिनों तक काम ठप्प रहा। उन्होंने एनडीटीवी से कहा, "कई सेक्टरों में संकट की वजह से मंदी रही और अर्थव्यवस्था को बिग पुश देना पहले दो साल में संभव नहीं हो सका।" लेकिन प्रधानमंत्री की चुनौती इस विकास में सबको भागीदार बनाने की भी होगी।

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