भाजपा ने 2-जी घोटाले की जांच के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक का करीब ढाई महीने का बहिष्कार आज खत्म कर दिया। उसके सदस्य आज समिति की बैठक में शामिल हुए और उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं वित्तमंत्री पी चिदंबरम को तलब करने की मांग फिर उठाई।
जेपीसी की आज की बैठक शुरू होते ही यशवंत सिन्हा के नेतृत्व में भाजपा सदस्यों ने मनमोहन और चिदंबरम को समिति के समक्ष तलब करने की मांग की। भाजपा की ओर यह मांग पूर्व कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर के बयान की पृष्ठभूमि में की गई है।
चंद्रशेखर ने जेपीसी को बताया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री को 2-जी स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस शुल्क को बढ़ाने का सुझाव देते हुए पत्र लिखा था ताकि सरकार के खजाने में 35 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जमा हो सके।
भाजपा सदस्यों ने बैठक के बाद दावा किया कि जेपीसी के अध्यक्ष पीसी चाको इस मामले में गवाहों की सूची पर चर्चा करने की खातिर विशेष बैठक बुलाने के सुझाव पर खुले मन से विचार करने पर सहमत थे।
खबर है कि डीएमके के टी शिवा जैसे कुछ सदस्यों ने मांग की कि पूर्व दूरसंचार मंत्री एराजा को बतौर गवाह तलब किया जाए।
बैठक के दौरान उस समय तीखी बहस हुई जब कांग्रेस के सदस्य ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को गवाह के तौर पर बुलाया जाए।
भाजपा सदस्य जेपीसी की दो बैठकों से यह आरोप लगाते हुए बाहर आ गए थे समिति के प्रमुख पीसी चाको तानाशाही व्यवहार कर रहे हैं और प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री को तलब करने की मांग पर जोर देने पर कांग्रेस सदस्यों ने अभ्रद भाषा का इस्तेमाल किया।
जेपीसी में भाजपा के छह सदस्य यशवंत सिन्हा, जसवंत सिंह, धर्मेद्र प्रधान, गोपीनाथ मुंडे, हरेन पाठक और रविशंकर प्रसाद हैं।