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2-जी पर जेपीसी रिपोर्ट में पीएम, चिदंबरम को क्लीन चिट, विपक्ष नाराज

2-जी पर जेपीसी की ड्राफ्ट रिपोर्ट में पीएम मनमोहन सिंह और चिदंबरम को क्लीन चिट देने की बात सामने आने के बाद बीजेपी और लेफ्ट असहमति प्रस्ताव लाने की तैयारी में है।
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NDTV Profit हिंदी09:43 AM IST, 19 Apr 2013NDTV Profit हिंदी
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2-जी घोटाले पर बनी ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) पीएम मनमोहन सिंह और पी चिदंबरम को क्लीन चिट देने की तैयारी में है। इसमें सभी गड़बड़ियों के लिए तब के टेलीकॉम मंत्री ए राजा को दोषी ठहराए जाने की बात सामने आई है। ये जानकारियां उस ड्राफ्ट रिपोर्ट से निकली हैं, जो कि कांग्रेस नेता पीसी चाको की अध्यक्षता वाली जेपीसी की तरफ से अपने सदस्यों को बांटी गई है। इस पर राजनीति गर्मा गई है।

बीजेपी और लेफ्ट ने इसके खिलाफ असहमति प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। दरअसल, बीजेपी प्रधानमंत्री को क्लीन चिट दिए जाने से नाराज है। बीजेपी नेता और समिति के सदस्य यशवंत सिन्हा ने कमेटी के अध्यक्ष पीसी चाको पर आरोप लगाते हुए कहा कि पीएम और चिदंबरम को बचाने के लिए चाको ने नैतिकता ताक पर रख दी।

दूसरी तरफ लेफ्ट ने सवाल उठाया है कि पीएम और राजा को जेपीसी में क्यों नहीं बुलाया गया। सीपीआई नेता गुरुदास दास गुप्ता ने कहा कि यह रिपोर्ट लीपापोती है और अब इस पर कमेटी के अध्यक्ष पीसी चाको को कई सवालों का जवाब देना होगा। बीजेपी और लेफ्ट दोनों इस मुद्दे को संसद में जोरशोर से उठाने की तैयारी में हैं।

दासगुप्ता ने कहा, हम इसे खारिज करेंगे। हम अपने विचार देंगे। यह मामले पर पर्दा डालने की कोशिश है। यह कांग्रेस पार्टी के इशारे पर गढ़ी गई कहानी है। जेपीसी के सदस्य दासगुप्ता ने कहा कि यह सामने आए तथ्यों के विरोधाभासी है ।

भाजपा प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कहा, चूंकि हम जेपीसी का हिस्सा थे, हम अपने विचार रखेंगे ताकि यह भविष्य के लिए ऑन रिकॉर्ड आ जाए। इससे इतिहास कायम होगा, क्योंकि रिपोर्ट भावी पीढ़ी के लिए होती है।
 
लेखी ने जेपीसी की मांग करते समय पार्टी के रुख को यह कहते हुए सही ठहराया, प्रशासन की व्यवस्था में यकीन रखने वाली एक पार्टी के तौर पर हम उन प्रणालियों की अनदेखी नहीं कर सकते जिन्हें स्थापित किया गया है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा, हमने सोचा था कि वे देश के लिए काम करने वाले लोग होंगे, एक राजनीतिक दल के सदस्य की तरह न देखकर एक राजनेता की तरह की दृष्टि रखेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।

भाकपा नेता डी राजा ने कहा, यह एक कांग्रेस रिपोर्ट बनकर रह गई है। मेरी पार्टी एक असंतोष पत्र देगी, क्योंकि हम इससे सहमत नहीं हैं। राजा ने रिपोर्ट के लीक होने की भी यह कहते हुए आलोचना की, यह हमें बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। यह अब भी एक मसौदा रिपोर्ट है। जेपीसी की औपचारिक बैठक अब भी होनी है। रिपोर्ट को औपचारिक तौर पर स्वीकार किया जाना बाकी है। भाकपा नेता ने यह भी कहा कि यह ‘‘प्रधानमंत्री और तत्कालीन वित्त मंत्री को बचाने’’ का स्पष्ट प्रयास है।

वहीं द्रमुक ने ए राजा को 2जी मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के समक्ष अपना पक्ष रखने की इजाजत देने की अपनी मांग फिर उठाते हुए कहा कि इन आरोपों पर राजा को स्पष्टीकरण देने की इजाजत नहीं मिलने की सूरत में समिति की रिपोर्ट ‘‘बेकार’’ रह जाएगी। द्रमुक ने कहा कि उनके नेता के खिलाफ ‘‘गलत आरोप’’ लगाये गए हैं। पार्टी के सांसद टी के एस एलेनगोवन ने कहा कि राजा को बुलाये बिना यह गलत आरोप हैं, जिनका कोई मतलब नहीं है।

वैसे, इस रिपोर्ट को सदन में पास करवाने के लिए भी सरकार को बहुत मशक्कत करनी होगी। जेपीसी में अध्यक्ष को मिलाकर 30 सदस्य होते हैं, जिसमें 20 लोकसभा और 10 राज्यसभा के सदस्य होते हैं। अगर सरकार को रिपोर्ट पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का समर्थन मिलता है तो सरकार के साथ कमेटी के 14 सदस्य होंगे जबकि सरकार के खिलाफ 16 सदस्य होंगे।

सदन में रिपोर्ट को मंजूर कराने के लिए सरकार को कुछ और सदस्यों की जरूरत होगी, जिसके लिए केंद्र सरकार को तृणमूल कांग्रेस या फिर जनता दल यूनाइटेड जैसी पार्टियों को मनाना होगा। अगर इनमें से किसी पार्टी के सदस्य गैर-मौजूद रहे तो सरकार का काम हो जाएगा यानी सरकार के मैनेजर्स को इस नंबर गेम में अपने आंकड़ों को चतुराई से मैनेज करना होगा। जानकारों का मानना है कि जेपीसी रिपोर्ट का भी वही हाल होगा, जो पीएसी रिपोर्ट का हुआ था।

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