प्याज, दाल के बाद अब बारी है सरसों के तेल की, जिसकी कीमतें इन दिनों आसमान छू रही हैं। कारोबारी सरसों के कम उत्पादन को कीमतों में बढ़ोतरी के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। जानकारों का मानना है कि सर्दी के मौसम में सरसों तेल की मांग बढ़ने से इसकी कीमत आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है।
पिछले साल के मुकाबले प्रति लीटर 45 रुपये तक महंगा तेल
पिछले साल अक्टूबर में सरसों तेल 95 से 105 रुपए प्रति लीटर बिक रहा था, जो इस साल अक्टूबर में 130 से 150 रुपए प्रति लीटर पहुंच गया है। माना जा रहा है कि मार्च में नई फसल तक सरसों में नरमी नहीं आएगी। वाशी थोक मंडी में सिद्धिविनायक ट्रेडिंग कंपनी के मालिक युवराज गौर ने कहा "फसल खराब हुई है, नॉर्थ में सरसों का चलन ज्यादा है। इसका इंपोर्ट भी नहीं होता। बारिश से भाव बढ़ा है। जब तक नई फसल नहीं आएगी भाव बढ़ेगा। 15 किलो पर भाव 150 रुपये हो गया है। 2016 में नई फसल आने से पहले तक सरसों तेल के दाम बढ़ते रहेंगे।" वहीं दूसरे कारोबारी दीपक मेसरी का कहना था "फसल थोड़ी कमजोर हुई है, इसलिए थोड़ी तेजी है।"
बारिश से फसलों को नुकसान से उत्पादन घटा
कारोबारी कहते हैं, इस साल मार्च-अप्रैल में आई बारिश से सरसों की फसल को बहुत नुकसान हुआ, जिससे पैदावार घटी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2013-14 में सरसों का उत्पादन 78 लाख टन हुआ था, जबकि 2014-15 में 63 लाख टन हुआ। यानी लगभग 20 फीसदी की कमी। त्योहारों से पहले हर चीज में बढ़ती महंगाई से लोग परेशान हैं।
अगली फसल से उम्मीद
बेमौसम बरसात ने यूपी, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में लगभग 50 लाख हैक्टेयर में खड़ी सरसों को नुकसान पहुंचाया। लेकिन जानकार यह भी मानते हैं कि देर से हुई बारिश से जमीन में नमी है। किसानों को अच्छा फायदा मिला है। ऐसे में अगले साल वे सरसों की बुवाई बढ़ा सकते हैं।