सरकारी एयर इंडिया को नौ मई की दिल्ली-शिकागो उड़ान में देरी की वजह से 323 यात्रियों को 88 लाख अमेरिकी डॉलर का जुर्माना देना पड़ सकता है. चालक दल के सदस्यों को दी जाने वाली ड्यूटी के वक्त में छूट (एफडीटीएल) को वापस लेने की वजह से इस उड़ान में देरी हुई थी. एयर इंडिया और फेडरेशन ऑफ इंडियन एयरलाइंस ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर 18 अप्रैल को डीजीसीए को दिए निर्देश में सुधार की मांग की जो एफडीटीएल में तब्दीली की इजाजत नहीं देता है.
नौ मई को उड़ान एआई 127 को शिकागो जाना था और उड़ान का वक्त 16 घंटे था. बहरहाल, खराब मौसम होने की वजह से वहां उड़ान नियत वक्त पर उतर नहीं सकी और इसका मार्ग बदलकर इसे नजदीक के मिल्वौकी भेज दिया गया.
उड़ान का शिकागो से मिल्वौकी तक का सफर 19 मिनट का था. उड़ान में सवार यात्री पहले ही 16 घंटे की यात्रा कर चुके थे, लेकिन चालक दल के सदस्यों की ड्यूटी के समय ने मामला बिगाड़ दिया. दरअसल, चालक दल के सदस्यों की ड्यूटी पूरी हो चुकी थी और इसमें तब्दीली को वापस लेने की वजह से उस दिन चालक दल के सदस्यों को एक बार ही विमान उतारने की इजाजत थी.
एयर इंडिया के सूत्रों के मुताबिक, उच्च न्यायालय के आदेश के बाद डीजीसीए द्वारा ड्यूटी के घंटों में तब्दीली को वापस लेने के कारण एयरलाइन के पास सिर्फ चलाक दल के नए सदस्यों का इंतजाम करने के अलावा कोई चारा नहीं था. इन्हें उड़ान का प्रभार लेने के लिए सड़क रास्ते से मिल्वौकी भेजा गया.
इस कारण उड़ान छह घंटे की देरी के बाद शिकागो के लिए रवाना हो सकी. इस दौरान मुसाफिर विमान में ही रहे. इसके बाद अमेरिकी के कड़े दिशा निर्देशों ने मुसीबत और बढ़ा दी जो इस तरह से देरी होने पर एयर लाइन पर ‘टर्मक डिले’ का आरोप लगाता है. अमेरिकी दिशानिर्देश के मुताबिक अगर अंतरराष्ट्रीय उड़ान में यात्री विमान में चार घंटे से ज्यादा देर तक फंसे रहते हैं तो एयरलाइन ‘टर्मक डिले’ की दोषी होती है.
सूत्रों ने बताया कि ऐसे मामले में एयरलाइन पर 27,500 अमेरिकी डॉलर प्रति यात्री के हिसाब से जुर्माना लग सकता है. विमान में 323 यात्री सवार थे इस हिसाब से जुर्माना 88 लाख अमेरिकी डॉलर का हो सकता है.