ADVERTISEMENT

अरुण जेटली ने सस्ती लोकप्रियता की बजाय राजकोषीय मजबूती पर जोर दिया

नरेंद्र मोदी सरकार के पहले आम बजट में बिना सोच विचार के सस्ती लोकप्रियता के हथकंडे नहीं अपनाए जाने का संकेत देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि सरकार ठोस निर्णय लेगी और अर्थव्यवस्था को उच्च वृद्धि के रास्ते पर लाने के लिए राजकोषीय सूझबूझ का रास्ता अपनाएगी।
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी10:33 AM IST, 02 Jul 2014NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

नरेंद्र मोदी सरकार के पहले आम बजट में बिना सोच विचार के सस्ती लोकप्रियता के हथकंडे नहीं अपनाए जाने का संकेत देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि सरकार ठोस निर्णय लेगी और अर्थव्यवस्था को उच्च वृद्धि के रास्ते पर लाने के लिए राजकोषीय सूझबूझ का रास्ता अपनाएगी।

देश के समक्ष खड़ी चुनौतियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटा ऊंचा है, मुद्रास्फीति स्वीकार्य स्तर से ऊपर है और अर्थव्यवस्था पर इराक संकट का गहरा असर पड़ रहा है।

जेटली ने कहा, यदि आप बिना सोच-विचार के सस्ती लोकप्रियता के हथकंडे अपनाएंगे, तो आप राजकोष पर बोझ बढ़ाएंगे... आप अपने आप को ऊंची कर दर की सोसायटी में परिवर्तित कर देंगे। इससे काम नहीं चलेगा, इसलिए आपको राजकोषीय सूझबूझ का रास्ता अपनाना होगा, आपको कुछ न कुछ अनुशासन के साथ आगे बढ़ना होगा।

चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ इंडिया (आईसीएआई) के एक समारोह को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि मुद्रास्फीति की दर पिछले साल के मुकाबले कुछ नीचे आई है, लेकिन यह अभी भी स्वीकार्य स्तर से ऊपर है। थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति मई में पांच माह के उच्चस्तर 6.01 प्रतिशत पर पहुंच गई।

इस साल मॉनसून कमजोर रहने की भविष्यवाणी को देखते हुए कीमतों में और वृद्धि की संभावना नजर आ रही है। देश में निवेश के माहौल के बारे में जेटली ने कहा कि तीन-चार साल के निराशा के माहौल के बाद उम्मीद बंधी है और अब ठोस निर्णय लेना संभव हुआ है।

जेटली ने आगे कहा, भारतीय अर्थव्यवस्था में आप भरोसा खो चुके हैं। सच्चाई यह है कि दुनिया यह संदेह करती है कि हमारा कर प्रशासन स्थिर नहीं है और इसी से निवेशक दूर हो गए।

उन्होंने कहा, जिस प्रकार नीतिगत शिथिलता हमारे प्रशासन के शब्दकोष में अब तक एक अनजान शब्द था, उसकी तरह अब एक नया शब्द इसमें जुड़ा है, जिसे मैंने स्वंतत्र विश्लेषकों की टिप्पणियों में पढ़ा है... कर आतंकवाद। भारत वैश्विक एजेंडा से हट गया था, लेकिन अब अचानक इस देश में रुचि जगी है। अब हमारे ऊपर यह जिम्मेदारी है कि हमारे सामने जो यह नया अवसर आया है, उसका लाभ उठाएं।

जेटली ने कहा कि देश कठिन परिस्थिति से गुजर रहा है। ऊंचा राजकोषीय घाटा, ऊंची मुद्रास्फीति के साथ-साथ लगातार दो साल तक पांच प्रतिशत से नीचे रही आर्थिक वृद्धि की चुनौती हमारे समक्ष है।

कमजोर मॉनसून और इराक संकट से उपजी आशंका के बारे में जेटली ने कहा, हालांकि यह भी चुनौती है, लेकिन इनसे पार पा लिया जाएगा। हमारे पास खाद्यान्न का काफी भंडार है। कोई कमी नहीं है और हम व्यवस्थित करने की स्थिति में हैं। मेरा मानना है कि यदि हम उस रास्ते पर बढ़ते हैं, तो आर्थिक वृद्धि दर आगे बढ़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि जहां आवश्यकता है, वहां विदेशी निवेश की अनुमति दी जानी चाहिए।

NDTV Profit हिंदी
लेखकNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT