नरेंद्र मोदी सरकार के वित्तमंत्री अरुण जेटली से उम्मीद की जा रही है कि वह गुरुवार को पेश होने जा रहे अपने पहले आम बजट में मध्यम वर्ग पर से करों का बोझ कम करने के लिए दीर्घावधि वित्तीय बचत पर आयकर में दी जाने वाली छूट की सीमा को दोगुना कर देंगे। यह जानकारी सूत्रों ने एनडीटीवी को दी है। वर्तमान में छूट की यह सीमा एक लाख रुपये है।
आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत दी जाने वाली इस छूट के तहत गृहऋण वापसी (मूलधन), पांच साल या अधिक अवधि के लिए खुलवाए गए सावधि खाते (एफडी), भविष्य निधि (पीएफ), तथा जीवन बीमा करवाने के लिए दिए गए प्रीमियम आदि शामिल किए जाते हैं।
यदि अरुण जेटली इस सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये कर देते हैं, तो उच्च आयवर्ग (10 लाख रुपये प्रतिवर्ष से अधिक करयोग्य आय) के करदाताओं को 30,000 रुपये प्रतिवर्ष कर बचत होगी, मध्यम आयवर्ग (पांच से 10 लाख रुपये प्रतिवर्ष के बीच करयोग्य आय) के करदाता 20,000 रुपये की कर छूट पा सकेंगे, जबकि दो से पांच लाख रुपये प्रतिवर्ष के बीच करयोग्य वाले करदाता 10,000 रुपये प्रतिवर्ष बचा सकेंगे।
इस कदम से घरेलू बचत में बढ़ोतरी होगी, जो सरकार के लिए धन जुटाने का बेहद महत्वपूर्ण साधन है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार, इस धनराशि का प्रयोग बुनियादी ढांचे के विकास में किया जा सकता है, जो नरेंद्र मोदी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है।
हालांकि इस धारा के तहत कर में छूट की सीमा को एक लाख रुपये प्रतिवर्ष बढ़ा देने से सरकार को लगभग 30,000 करोड़ रुपये की राजस्व हानि होगी, और अरुण जेटली को उसकी भरपाई के लिए उत्पाद शुल्क या सीमा शुल्क बढ़ाना होगा। इसके अतिरिक्त भरपाई का एक और विकल्प है, विनिवेश के लक्ष्य को बेहद बढ़ा देना, जो मौजूदा समय में 36,925 करोड़ है।