वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अर्थव्यवस्था में सुधार होने पर इनकम टैक्स में और छूट देने का वादा किया। जेटली ने कहा, हम उच्च कराधान की व्यवस्था नहीं चाहते। पिछली सरकार की उच्च कराधान की नीति के कारण मुद्रास्फीति बढ़ी है।
एक टीवी कार्यक्रम में उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि 1947 से अब तक कोई ऐसा आम बजट आया, जिसमें निम्न, मध्यम तथा अधिक आय वाले वर्ग के सभी करदाताओं को 50,000 रुपये तक की राहत दी गई।
वित्त मंत्री ने कहा, अगर कल सरकार के पास ज्यादा पैसा होगा, मैं और राहत दूंगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि करदाता और खर्च करेंगे, ज्यादा बचत करेंगे, जिससे आर्थिक वृद्धि बढ़ेगी और विनिर्माण क्षेत्र को गति मिलेगी, जिसमें पिछले दो साल में नकारात्मक वृद्धि देखी गई।
जेटली ने रक्षा क्षेत्र में 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देने के सरकार के निर्णय का बचाव करते हुए कहा कि वह आयात की जगह इस बात को तरजीह देंगे कि भारतीयों द्वारा नियंत्रित कंपनियां 49 प्रतिशत एफडीआई के साथ देश में रक्षा उपकरण बनाए। उन्होंने कहा, जहां तक मैं जानता हूं सोनिया जी (कांग्रेस अध्यक्ष) ही रक्षा क्षेत्र में 49 प्रतिशत एफडीआई का विरोध कर रही थीं और रक्षा उपकरणों के आयात को तरजीह दे रही थीं।
रक्षा मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रहे जेटली ने रेखांकित किया कि अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के दौरान रक्षा क्षेत्र में 26 प्रतिशत एफडीआई की मंजूरी दी गई। उन्होंने कहा, हम दुनिया में रक्षा उपकरणों के सबसे बड़े आयातक हैं। पिछले डेढ़ महीने में जो भी विदेशी नेता हमसे मिलने आए, उन्होंने अपने रक्षा उपकरणों को बेचने की पैरवी की। मंत्री ने कहा कि बुद्धिमानी यह होगी कि 51 प्रतिशत भारतीय इक्विटी कंपनियां हों, जो विदेशी प्रौद्योगिकी और निवेश के जरिये यहां रक्षा उपकरणों का विनिर्माण करें।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के इस बयान पर कि बजट भाषण केवल कांग्रेस सरकार की नीतियों और लक्ष्यों का दोहराव है, जेटली ने कहा, अगर कांग्रेस हमारे बजट का समर्थन करती है, तो मुझे बहुत प्रसन्नता होगी, लेकिन मैं जानता हूं कि वे समर्थन नहीं करेंगे। यूपीए सरकार अर्थव्यवस्था को खराब हालत में छोड़कर गई है।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पेश किए जाने के बारे में उन्होंने कहा कि राज्यों को नई कर व्यवस्था से होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति को लेकर आपत्ति है। वित्त मंत्री ने कहा, अगर हम उनके बिल (राज्यों का बकाया) दे देते हैं, तब जीएसटी को पेश करेंगे। इससे हमारा सकल घरेलू उत्पाद बढ़ेगा, कर चोरी कम होगी तथा उद्योग को परेशान किए जाने पर रोक लगेगी।