उद्योग निकाय एसोचैम ने कहा है कि ब्याज दरों में दो फीसदी की कमी करने की जरूरत है, ताकि भारतीय उद्योग जगत प्रतिस्पर्धी बन सके. एसोचैम के अध्यक्ष संजीव जाजोदिया ने चिंता व्यक्त की कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को मौद्रिक नीति समीक्षा में एक बार फिर ब्याज दरों को घटाने का मौका खो दिया है.
एसोचैम की प्रबंधन समिति की यहां बैठक हुई, जिसमें केंद्र सरकार से ब्याज दरों, गैरनिष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए या बैंकों के फंसे हुए कर्जे), प्रमुख उद्योगों में आई मांग में कमी का समाधान करने की गुजारिश की गई.
जाजोदिया ने बैंकों के फंसे हुए कर्जों की वसूली के लिए लचीला और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया, जो बढ़कर सात लाख करोड़ रुपये तक हो चुका है. उद्योग निकाय ने सिफारिश की है कि किसी खाते को सामान्य खाते से एनपीए खाता में बदलने की 90 दिन की अवधि को बढ़ाकर 180 दिन कर दी जाए.
उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "एक बार जब खाते को एनपीए में बदल दिया जाता है, तो कामकाजी पूंजी फंस जाती है, जिससे उद्योग की परेशानी और बढ़ जाती है." एसोचैम के अध्यक्ष ने कहा कि 90 दिन की अवधि को बढ़ाकर 180 दिन करने की सबसे ज्यादा जरूरत इस्पात, बिजली, दूरसंचार और अवसंरचना क्षेत्र को है. उन्होंने कहा कि प्रमुख उद्योग मांग की कमी से जूझ रहे हैं, जिससे एनपीए में वृद्धि हो रही है.
उन्होंने कहा कि आम बजट में बुनियादी क्षेत्र को चार लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो अब तक का सर्वाधिक है. उम्मीद है कि इससे इस्पात, सीमेंट और अन्य बिल्डिंग मैटेरियल की मांग बढ़ेगी और रोजगार का सृजन होगा.