औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर अगस्त माह में घटकर 2.7 प्रतिशत पर आ गई है। विनिर्माण क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन तथा पूंजी वस्तुओं के उत्पादन में गिरावट से औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर कम हुई है।
पिछले साल अगस्त में कुल औद्योगिक उत्पादन वृद्धि 3.4 प्रतिशत रहा थी। इससे भारतीय रिजर्व बैंक इसी माह पेश होने वाली दूसरी तिमाही की मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।
शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस वित्तवर्ष में अप्रैल से अगस्त के दौरान औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 0.4 प्रतिशत रही है, जो पिछले वित्तवर्ष की समान अवधि में 5.6 फीसदी थी। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में 75 फीसदी का हिस्सा रखने वाले विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर अगस्त में घटकर 2.9 प्रतिशत पर आ गई, जो इससे पिछले साल इसी महीने में 3.9 प्रतिशत रही थी।
अप्रैल से अगस्त में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन पिछले साल के स्तर पर ही बना रहा, जबकि पिछले वित्तवर्ष इसी अवधि में इसमें 6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी। अगस्त में पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन 1.7 प्रतिशत घटा, जबकि पिछले साल अगस्त में यह एक साल पहले की तुलना में 4 फीसदी बढ़ा था।
अप्रैल से अगस्त की अवधि में पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में 13.8 प्रतिशत की गिरावट आई है। पिछले वर्ष इसी दौरान इसमें 7.3 फीसदी वृद्धि हुई थी। इस बार अगस्त में खनन क्षेत्र का उत्पादन 2 प्रतिशत बढ़ा, जबकि पिछले साल इसी महीने में यह 5.5 फीसदी घटा था। अप्रैल से अगस्त तक पांच महीनों में खनन क्षेत्र के उत्पादन में 0.6 फीसदी की गिरावट आई, जबकि इससे पिछले वित्तवर्ष की समान अवधि में यह 0.5 प्रतिशत घटा था।
उपभोक्ता सामान क्षेत्र का उत्पादन अगस्त में 5 प्रतिशत बढ़ा था, जबकि पिछले साल इसी महीने में यह 2.1 फीसदी रहा था। अप्रैल से अगस्त में इस क्षेत्र की वृद्धि दर 3.5 प्रतिशत रही, जबकि इससे पिछले वित्तवर्ष की समान अवधि में यह 4.4 फीसदी रही थी। कुल मिलाकर विनिर्माण क्षेत्र के 22 उद्योग समूहों में से 13 का उत्पादन अगस्त में बढ़ा।
टिकाऊ उपभोक्ता सामान क्षेत्र के उत्पादन की वृद्धि दर अगस्त में घटकर 4 फीसदी रही, पिछले साल अगस्त में यह प्रतिशत थी। अप्रैल से अगस्त में इस क्षेत्र की वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत रही, जो पिछले वित्तवर्ष की समान अवधि में 4.5 प्रतिशत रही थी।
गैर-टिकाऊ उपभोक्ता क्षेत्र का उत्पादन अगस्त में 5.8 प्रतिशत बढ़ा, जबकि पिछले साल इसी महीने में इसमें 0.7 फीसदी की गिरावट आई थी। चालू वित्तवर्ष के पहले पांच महीनों में इस क्षेत्र की वृद्धि दर 1.6 प्रतिशत रही, जो इससे पिछले वित्तवर्ष की समान अवधि में 4.3 फीसदी रही थी।